पार्टी बनाकर जमीन हड़पने का अब नहीं चलेगा खेल

राजनीतिक दल

-पार्टी का वजूद खत्म होते ही वापस ले ली जाएगी जमीन

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम।  मध्य प्रदेश में अब राजनीतिक दल बनाकर रियासती जमीन हथियाने का अब खेल नहीं चलेगा। दरअसल, सरकार ने राजनीतिक दलों के भूमि आवंटन के नियम में बदलाव किया है। पार्टी का वजूद खत्म होते ही रियायती जमीन वापस हो जाएगी। यानि राजनीति करोगे तो ही रियासती जमीन बची रहेगी। जमीन पर बना भूखंड भी सरकार छीन लेगी। साथ ही लीज की राशि भी जब्त हो जाएगी। दरअसल, मध्य प्रदेश में राजनीतिक दलों को कार्यालय के लिए रियायती दर पर जमीन मिलती है। अब जमीन आवंटन के एक साल के भीतर भवन निर्माण शुरू करना होगा और तीन साल के भीतर काम भी पूर्ण करना होगा। वहीं कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। कांग्रेस के समस्त प्रकोष्ठ और विभाग प्रभारी जेपी धनोपिया ने कहा कि यह सरकार का तुगलकी फरमान है। जमीन आवंटन के बाद भवन निर्माण की शुरुआत के लिए 1 साल की समय सीमा तय नहीं की जा सकती। 3 साल के लिए निर्माण की अवधि भी तय नहीं की जा सकती। भाजपा सरकार इस तरह के मनमाफिक आदेश जारी कर रही है। वहीं भाजपा प्रदेश कार्यालय प्रभारी भगवानदास सबनानी ने कहा कि समय-समय पर जरूरत के हिसाब से नियमों में परिवर्तन किए जाते हैं। आम लोगों के भवन निर्माण के लिए नियम बनाए गए हैं तो राजनीतिक दलों के लिए भी बनाए गए हैं। सभी दलों को आदेश का पालन करना चाहिए।
तीन वर्ष में निर्माण पूरा करना होगा
राजनैतिक दल को आवंटित भूमि पर एक वर्ष के भीतर निर्माण प्रारंभ कर तीन वर्ष में निर्माण पूरा करना होगा, ताकि भूमि का  समुचित उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। यदि किसी कारणवश राजनैतिक दल अस्तित्व में नहीं रहता है, तो उसे आवंटित भूखंड और उस पर निर्मित भवन राज्य शासन के हो जाएंगे। इस भूखंड के लिए शासन को दिया गया भूभाटक और प्रब्याजि के मद में जमा की गई राशि वापस नहीं लौटाई जाएगी और न ही इस भूखंड पर निर्मित भवन के लिए कोई प्रतिफल दिया जाएगा। केवल ऐसे राजनीतिक दल को कार्यालय भवन निर्माण के लिए नजूल भूखंड आवंटन की पात्रता होगी, जो भारत निर्वाचन आयोग के द्वारा राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त हो। राजनीतिक दल को अपने प्रादेशिक कार्यालय के लिए प्रदेश में केवल एक भूखंड आवंटन की तथा जिले में जिला कार्यालय के लिए केवल एक भूखंड की पात्रता होगी। यदि किसी राजनैतिक दल को प्रादेशिक कार्यालय या जिला कार्यालय के लिए पूर्व से शासकीय भूखंड आवंटित है, तो ऐसे दल को यथास्थिति प्रादेशिक कार्यालय या उसी जिले मे जिला कार्यालय के लिए पुन: शासकीय भूखंड के 7 आवंटन की पात्रता नहीं होगी। भूखंड का आवंटन किसी व्यक्ति या पदाधिकारी के नाम से नहीं बल्कि राजनैतिक दल के नाम से किया जाएगा। राजनैतिक दल को लैंड बैंक में से भूमि का चयन कर कलेक्टर को भूखंड के लिए प्रक्रिया शुल्क दस हजार रुपए के साथ आवेदन करना होगा। एक ही भूखंड के लिए दो दलों के आवेदन पर जिसके विधायक, लोकसभा सदस्य और संसद सदस्यों की संख्या अधिक होगी उसे वरीयता मिलेगी। राजनीतिक दल को एक हजार वर्गमीटर के भूखंड के स्थाई पट्टे पर बाजार मूल्य का पचास प्रतिशत और इससे अधिक के भूखंड पर सौ प्रतिशत प्रब्याजि देना होगा। इन पट्टों पर दो गुना वार्षिक भूभाटक देना होगा।
जमीन और भवन हो जाएगा सरकारी
राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश नजूल भूमि निर्वतन निर्देशों में संशोधन कर दिया है। यह निर्देश वर्ष 2020 में जारी किए गए थे। अब इसमें तीसरी बार बदलाव कर इसे जारी किया गया है। राजनीतिक दलों के लिए रियायती दर पर पट्टे के लिए सामान्य शर्तो के साथ अब नई शर्तें भी जोड़ दी गई है। नई शर्त यह तय की गई है कि राजनैतिक दल को मिलने वाला पट्टा अहस्तांतरणीय होगा और विभाजन नहीं किया जाएगा। राजनैतिक दलों को रियायती दर पर दी गई जमीन पर अब तीन वर्ष में निर्माण करना होगा और दल के अस्तित्व में नहीं रहने पर आवंटित भूखंड और उस पर बना भवन राज्य शासन का हो जाएगा। इसके लिए दल की ओर से जमा की गई राशि राज्य सरकार वापस नहीं करेगी। उस जमीन पर बने भवन के लिए भी कोई प्रतिफल नहीं दिया जाएगा।

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