- विभाग द्वारा खरीदे जा रहे हैं साढ़े सात हजार फोन
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार अब वनकर्मियों को स्मार्टफोन देने की तैयारी कर रही है। दरअसल वन कर्मियों को अवैध कटाई, अवैध परिवहन और वन्य प्राणियों के शिकार की आए दिन शिकायतें आती रहती हैं, लेकिन स्मार्टफोन नहीं होने से से वनकर्मी सबूत के तौर पर न तो फोटो खींच पाते हैं और न ही वीडियो बना पाते हैं। वनकर्मियों पर कई बार हमले भी हुए हैं, जिससे वह खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। स्मार्टफोन न होने की वजह से तकनीक के इस दौर में भी वन विभाग को जंगल में हुई घटनाओं की जानकारी समय से नहीं मिल पाती। खासकर अतिक्रमण के मामले में मैदानी अमले को पता तक नहीं चल पाता है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए अब प्रदेश सरकार वन कर्मियों को मोबाइल फोन देने जा रही है। सरकार पहले चरण में ढाई हजार स्मार्टफोन खरीदने की तैयारी कर रही है, जिस पर कुल 5 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। दूसरे चरण में करीब 5 हजार वन कर्मियों के लिए मोबाइल खरीदने की योजना है। वहीं जानकारी के मुताबिक कुछ वनकर्मियों के पास स्मार्टफोन तो हैं , लेकिन कहीं-कहीं नेटवर्क के अभाव में वे काम नहीं करते हैं7 इसलिए अब वनकर्मियों के लिए वन विभाग ने एक आईटी साखा में सॉफ्टवेयर तैयार किया है। वनकर्मियों को जो मोबाइल दिए जाएंगे वह सीधे आईटी शाखा से कनेक्ट रहेंगे। वहीं, ऐसी जगहों पर जहां नेटवर्क नहीं आते हैं वहां पर वन कर्मियों के लिए 1500 वायरलेस खरीदे जा रहे हैं, जो सीधे वायरलेस सेट से कनेक्ट रहेंगे। हालांकि वन विभाग की इस खरीदी पर सवाल उठ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि आज के दौर में हर वनकर्मी के पास स्मार्टफोन है। ऐसे में वनकर्मियों के पास उपलब्ध स्मार्ट फोन पर ही वन विभाग की सभी एप्लीकेशन को अपलोड किया जा सकता है। इस तरह से मोबाइल फोन खरीदकर वनकर्मियों को देना फिजूलखर्ची है। सूत्रों के मुताबिक वन विभाग द्वारा वन कर्मियों के लिए खरीदे जा रहे एक मोबाइल की कीमत करीब 10 हजार रुपए है।
स्मार्ट फोन में रहेंगी वन विभाग की सभी एप्लीकेशन
बीट गार्ड को दिए जाने वाले स्मार्ट फोन में वन विभाग के सभी एप्लीकेशन रहेंगे। इनमें बीट गार्ड जानकारी भर सकेंगे। स्मार्ट फोन में सयुक्त वन प्रबंधन की निगरानी प्रणाली, ग्रीन इंडिया मिशन, वृक्षारोपण निगरानी प्रणाली, वर्किंग प्लान लाइब्रेरी, हितग्राही प्रबंधन प्रणाली, रोपगी प्रबंधन सूचना प्रणाली सहित अन्य एप मोबाइल में रहेंगे। इनमें चाही गई जानकारी बीट गार्ड को अपडेट करना होगी। यह जानकारी वन भवन में बैठे अधिकारियों के पास तत्काल पहुंच जाएगी।
कम नहीं हो रहे वन अपराध और अतिक्रमण
प्रदेश के जंगल में न तो वन अपराध कम हो रहे हैं और न ही अतिक्रमण रुक रहे हैं। अतिक्रमण की वजह से घना वन क्षेत्र भी कम हो रहा है। मप्र में बाघों के शिकार के मामले भी हर साल बढ़ रहे हैं। इस साल अब तक प्रदेश जंगल में 26 बाघों की मौत हो चुकी है। ज्यादातर बाघों की मौत आपसी संघर्ष में हुई है। वहीं हर साल प्रदेश में 50 हजार से ज्यादा वन अपराध के मामले सामने आते हैं।