
- व्यापारियों को मंडी तक जाने की जरुरत नहीं रह जाएगी …
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना संकट काल में किसानों की सुविधा के लिए शुरू की गई घर से उपज विक्रय की सुविधा के परिणामों से उत्साहित सरकार अब इस तरह की सुविधा स्थाई करने की पहल करने जा रही है। इसके लिए अब सरकार एक एप तैयार करा रही है। इस एप के माध्यम से किसान अब पूरी तरह से अपनी उपज को घर बैठे ही बेंच सकेगें। इस सुविधा के शुरू होने व्यापारियों को मंडी तक जाने की जरुरत नहीं रह जाएगी। गौरतलब है कि प्रायोगिक तौर पर की गई इस व्यवस्था में किसान और व्यापारियों की भागीदारी को देखते हुए राज्य सरकार इस तरह का कदम उठा रही है। एप के माध्यम से उपज विक्रय करने से मंडी टैक्स में भी कमी नहीं आएगी। दरअसल अभी प्रदेश में किसानों की उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के माध्यम से और व्यापारियों द्वारा मंडियों में बोली लगाकर उपज खरीदी जाती है। कोरोना के चलते इससे उन किसानों को असुविधा हो रही थी, जो उपार्जन केंद्रों में उपज नहीं बेचते हैं। इसे देखते हुए शिवराज सरकार ने सौदा पत्रक के माध्यम से मंडी बोर्ड में पंजीकृत व्यापारियों को किसानों से सीधे उपज खरीदने की अनुमति दी। इस व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए मोबाइल एप तैयार कराया गया है।
इस एप में व्यापारी को उपज खरीदने से पहले किसान के मोबाइल नंबर सहित पूरी जानकारी दर्ज करनी होती है। इसके बाद किसान के पास ओटीपी आता है और जब वो वह नंबर व्यापारी को देता है तो आगे की प्रक्रिया शुरू हो पाती है। इसके बाद किसान और व्यापारी के बीच सौदा पक्का होने पर उपज की मात्रा एप पर दर्ज करनी होती है। इसके बाद सहमति के लिए किसान के पास फिर ओटीपी आता है और जब उसे व्यापारी लेकर दर्ज करता है तब भुगतान की प्रक्रिया शुरू होती है। इसी तरह से भुगतान के बाद एक ओटीपी किसान के पास आता है। उसके द्वारा पुष्टि करने पर ही अनुज्ञा पत्रक जारी होता है और उपज को उठाने की अनुमति मिलती है।
यह है सौदा पत्रक के परिणाम
कोरोना संकट के दौरान सरकार ने व्यापारियों को मंडी के बाहर किसानों से सौदा पत्रक के माध्यम से उपज खरीदने की अनुमति दी थी। एक लाख 93 हजार 722 सौदा पत्रक जारी हुए। एक लाख 32 हजार 972 किसानों से सात लाख 91 हजार टन उपज खरीदी गई। किसानों द्वारा विक्रय की गई उपज का मूल्य दो हजार 212 करोड़ 48 लाख रुपये रहा। इससे सरकार को मंडी शुल्क के तौर पर 33 करोड़ 18 करोड़ रुपये प्राप्त हुए।