
- हर मंत्री से पूछे जाएंगे विभाग के दस काम और ली जाएगी योजनाओं की कैफियत
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। बीते चुनाव से मिले सबक से सीख लेते हुए इस बार भाजपा हर हाल में पुरानी गल्तियों को दोहराना नहीं चाहती है, यही वजह है कि अभी प्रदेश में विधानसभा चुनावों में एक साल का समय है, लेकिन अभी पार्टी पूरी तरह से बेहद चौकन्नी नजर आने लगी है। वह चुनावी तैयारियों के साथ ही हर उस रास्ते पर कदम बड़ा रही है जो उसे सीधे -सीधे आमजन से जोड़ती है। इसके लिए पार्टी से लेकर सरकार तक में चिंतन मनन का दौर जारी है। सत्ता व संगठन हर उस पहलू पर फोकस का काम कर रहा है, जो उसे अगले चुनाव में जीत का रास्ता पार करा सकता है।
सत्ता और संगठन में मैराथन बैठकों का दौर रुक-रुक कर जारी है। इन बैठकों में हर उस विषय पर गौर किया जा रहा है , जो उसके लिए जनता से जोड़ने में मदद कर सकता है। संगठन द्वारा जहां बूथ स्तर तक काम किया जा रहा है तो , सरकार जनता से जुड़ी हर योजना का लाभ वास्तविक रूप से जरूरतमंद को पहुंचाने की चिंता में लगी हुई है। हाल ही में रातापानी सेंचुरी में हुई भाजपा की बड़ी बैठक में आए सुझावों के बाद अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह मंत्रियों के साथ दो दिनी चिंतन शिविर लगाने जा रहे हैं।
यह शिविर अगले माह के पहले सप्ताह में प्रस्तावित है। प्रशासन अकादमी में चार और पांच नवंबर को होने वाले इस चिंतन शिविर के लिए मंत्रियों से अभी से अपने दो दिन पूरी तरह आरक्षित रखने के निर्देश दे दिए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक हाल ही में रातापानी में हुई भाजपा के शीर्ष नेताओं की बैठक राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष की मौजूदगी में हुई थी। इस बैठक में संगठन के कुछ नेताओं ने मंत्रियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए थे। इसी तरह से यह बात भी सामने आयी थी कि केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं का जिस तरीके से निचले स्तर तक प्रचार प्रसार होना चाहिए था, उस तरह से नहीं हो रहा है। इसके बाद ही इस तरह का चिंतन शिविर लगाने का फैसला किया गया है। गौरतलब है कि इसके पहले मुख्यमंत्री द्वारा बीते साल जनवरी और दिसंबर में भी दो बार क्लास लगाई जा चुकी है।
नसीहत का भी नहीं हो रहा है असर
प्रदेश सरकार के मंत्रियों को सत्ता से लेकर संगठन तक द्वारा कई बार प्रभार के जिलों में अधिक से अधिक दौरे करने के अलावा पार्टी कार्यकर्ताओं को महत्व देने को कहा गया था, लेकिन इस पर अमल होता अब तक नहीं दिखा है। इस तरह की नसीहत कई बार दी जा चुकी है। इसके अलावा प्रवास के दौरान अधिकांश मंत्रियों द्वारा कार्यकर्ताओं से मुलाकात तक नहीं की जाती है, उनके काम करना तो दूर की बात है। इसकी वजह से कार्यकर्ताओं की नाराजगी की बात कई बार सामने आ चुकी है।
मंत्रियों को बताने होंगे दस विभागीय काम
सूत्रों के मुताबिक चार नवंबर को सुबह से शुरू होने वाले चिंतन शिविर में मंत्रियों से सबसे पहले उनके विभाग की कैफियत ली जाएगी। जिसमें मंत्री को अपने संबंधित विभाग के दस प्रमुख काम भी गिनाने होंगे। इसमें वे योजनाएं खासतौर पर होंगी, जिनसे आम जन को सीधा फायदा होता है। मंत्रियों को यह भी बातना होगा कि इन योजनाओं का क्रियान्वयन किस तरह से और कैसा हो रहा है। खास बात यह है कि इस चिंतन बैठक में मुख्य सचिव समेत विभाग के अतिरिक्त प्रमुख सचिव, प्रमुख सचिव और अन्य अफसर भी मौजूद रहेंगे। सीएम इन अफसरों से भी सीधे विकास के रोडमैप और योजनाओं के क्रियान्वयन पर चर्चा करेंगे। पांच नवंबर की शाम तक चलने वाले शिविर में सरकार की आम आदमी से जुड़ी एक एक योजना पर चर्चा की जाएगी। शिविर में मंत्रियों से यह भी पूछा जाएगा कि वे प्रभार के जिलों में कितनी बार गए और वहां की प्रमुख समस्या क्या है।
फ्लैगशिप योजनाओं पर भी रहेगा फोकस
सूत्रों का कहना है कि अगले साल होने वाले चुनाव के मद्देनजर सरकार का पूरा फोकस केंद्र और राज्य द्वारा चलाई जा रही फ्लैगशिप योजनाओं पर भी रहने वाला है। इन योजनाओं की इस बैठक में बारीकी से समीक्षा की जाएगी। बैठक में विधायकों द्वारा अपने क्षेत्र के विकास कार्यों को लेकर दिए गए प्रस्तावों पर भी चर्चा की जा सकती है। मंत्रियों से कहा गया है कि वे बैठक में पूरी तैयारी के साथ आएं। अफसरों को अभी से बैठक को लेकर तैयारियों के लिए कह दिया गया है। दरअसल केंद्र की फ्लैगशिप योजनाओं में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, स्वच्छ भारत मिशन, पीएम स्वनिधि, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना शामिल है। इसी तरह से प्रदेश की फ्लैगशिप योजनाओं में मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना, मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ विक्रेता योजना, मुख्यमंत्री कल्याण विवाह सहायता योजना, आयुष्मान भारत, निरामयम मप्र, लाड़ली लक्ष्मी योजना, आहार अनुदान योजना, मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना शामिल है।