सरकार के लिए घाटे का सौदा बने नेशनल पार्क, 74 फीसदी हो रहा नुकसान

नेशनल पार्क

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। देश में सर्वाधिक राष्ट्रीय उद्यान वाले प्रदेशों में सिरमौर मध्यप्रदेश के नेशनल पार्क अब उसके लिए लगातार घाटे का सौदा साबित हो रहे हैं। पर्यटकों की बेरुखी की वजह से हालात यह बने हुए हैं कि प्रदेश में मौजूद 11 में से 10 में घाटा हो रहा है। यह घाटा भी कोई मामूली नहीं बल्कि 74 फीसदी तक है।
 सरकार के आंकड़ों के मुताबिक मप्र के सभी नेशनल पार्क की सुरक्षा और रखरखाव जो राशि खर्च की जाती है उसमें से महज 26 प्रतिशत राशि ही पर्यटकों से मिल पाती है। इसकी वजह से शेष राशि का इंतजाम सरकार को करना पड़ता  है। अगर बीते साल के सरकारी आंकड़ों को देखें तो 31 मार्च 2022 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में 11 राष्ट्रीय पार्क की देखरेख और रखरखाव पर सरकार को कुल 171.47 करोड़ रुपए खर्च करने पड़े, लेकिन इन पार्कों से आय हुई महज 44.43 करोड़ रुपए। यह आय इन पार्क में आने वाले 15.39 लाख पर्यटकों से हुई है। अगर आय के मामले में देखें तो एक मात्र बांधवगढ़ पार्क ही ऐसा रहा है, जहां पर खर्च से अधिक आय हुई है।  इस पार्क पर बीते साल सरकार द्वारा 7.77 करोड़ रुपए खर्च किए  गए थे , जबकि आय 12.06 करोड़ रुपए हुई थी। यानि की इस पार्क की आय देखी जाए तो वह खर्च की तुलना में 55.21 प्रतिशत अधिक रही है। इसकी वजह है पर्यटकों के लिए बांधवगढ़ तीसरी पसंद होना। प्रदेश के पार्कों में भोपाल का वन विहार पहली और कान्हा दूसरी पसंद है। कान्हा की कमाई भी बांधवगढ़ से ज्यादा है। लेकिन सरकार को कान्हा के रखरखाव और सुरक्षा पर बांधवगढ़ के मुकाबले छह गुना अधिक राशि खर्च करनी पड़ती है। यह जानकारी हाल ही में विधानसभा में सरकार की ओर से कांग्रेस के एक सदस्य के  प्रश्न के उत्तर में दी गई है।
डायनासोर पार्क को नहीं मिला कोई पर्यटक
प्रदेश के धार में स्थापित डायनासोर नेशनल पार्क हाथी का दांत साबित हो रहा है। इसकी वजह है यह पार्क पर्यटकों को लुभाने में पूरी तरह से असफल साबित हो रहा है। हद तो यह है कि बीते साल इस पार्क में एक भी पर्यटक नहीं पहुंचा। यह बात अलग है कि इस पार्क पर प्रदेश सरकार को अधिक राशि खर्च नहीं करनी पड़ती है। बीते साल इस पर सरकार को महज महज 97 हजार रुपए ही खर्च करने पड़े। डिंडोरी के शाहपुरा स्थित फासिल पार्क में कूनो से अधिक 7, 214 यात्री पहुंचे। इसके रखरखाव पर खर्च 17 लाख रुपए का रहा। संजय नेशनल पार्क में पर्यटकों की संख्या 2,800 ही रही। यहां रखरखाव का खर्च 12.72 करोड़ रुपए आया। रखरखाव की तुलना में आय के लिहाज से यह पार्क मप्र के लिए सबसे अधिक घाटे का सौदा साबित हो रहा है। यह बात अलग है कि कोविड प्रतिबंधों मे राहत मिलने के बाद से प्रदेश में वाइल्ड लाइफ टूरिज्म करीब 55 प्रतिशत बढ़ा है। 20-21 में सभी 11 नेशनल पार्क में 993,766 पर्यटक आए थे। 21-22 में इनकी संख्या बढ़कर 1,539,085 हो गई।  सबसे ज्यादा पर्यटक भोपाल के वन विहार में बढ़े। यहां पर्यटकों की संख्या तीन गुना बढ़ी। 20-21 में यहां कुल पर्यटकों की संख्या 2.32 लाख थी जो बढ़कर 6.99 लाख हो गई।

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