भोपाल/गौरव चौहान//बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में कांग्रेस की कमान सम्हालने के बाद से कमलनाथ का हर दांव पार्टी के लिए मुफीद साबित हो रहा है, ऐसे में अब कमलनाथ द्वारा एक और नया दांव चलने की तैयारी कर ली गई है। यह दांव अब राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बहाने चला जा रहा है। दरअसल उनकी यह यात्रा दो माह बाद दिंसबर में प्रदेश में प्रवेश कर सकती है। उनकी इस यात्रा के बहाने कांग्रेस मालवा निमाड़ अंचल में भाजपा के गढ़ को ढहाने की पूरी तैयारी की जा रही है। यही वजह है कि इस यात्रा के दौरान हर दिन एक लाख नए लोगों को इसमें शामिल करने की योजना तैयार की गई है। यह लोग हर दिन अलग-अलग क्षेत्रों से इसमें शामिल होने के लिए आएंगे। दरअसल इस यात्रा का जो मार्ग तय किया गया है उसमें प्रदेश की पांच लोकसभा और 26 विधानसभा की सीटें आती हैं। इन पांचों लोकसभा सीट पर खंडवा, खरगोन, इंदौर, उज्जैन और देवास पर अभी भाजपा का कब्जा है।
इसी तरह से यात्रा जिन 26 विधानसभा सीटों से होकर निकलने वाली है उसमें से 16 पर भाजपा और 10 पर कांग्रेस विधायक हैं। कांग्रेस का लक्ष्य भाजपा के कब्जे वाली सोलह में से कम से कम एक दर्जन सीटों पर अगले चुनाव में जीत दर्ज करने का लक्ष्य है। इस यात्रा का प्रदेश में कमलनाथ द्वारा इस तरह से खाका खींचा गया है, जिससे की पार्टी को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में अधिक से अधिक फायदा मिल सके। इसके लिए यात्रा में अधिकाधिक आदिवासी सुमदाय को भी शामिल करने की योजना है। इस वजह से पार्टी को पूरे प्रदेश में फायदा मिल सकता है। कमलनाथ जानते हैं कि अगर बीते विधानसभा चुनाव में इस अंचल के एक दो जिलों का और साथ मिल गया होता तो उनकी सरकार को पूर्ण बहुमत मिल जाता। यही वजह है कि वे यात्रा के बहाने प्रदेश में अधिकाधिक मतदाताओं को पार्टी के पक्ष में करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। यात्रा के बीच में वह खंडवा जिला भी आ रहा है, जहां पर बीते चुनाव में कांग्रेस को सभी चारों सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा था। यह जिला पूर्व में कांग्रेस का गढ़ रह चुका है। इसी तरह से बुरहानपुर की भी दोनों सीटों पर कांग्रेस को विजय नहीं मिल सकी थी। खरगोन जिले के पांचों विधायक कांग्रेस के हैं, जिसे वह अगले चुनाव में बरकारार रखना चाहती है। इसी तरह से इंदौर जिले की नौ में से छह पर भाजपा का कब्जा है, उन पर भी कमलनाथ की नजर लगी हुई है। इसी तरह से उज्जैन जिले की भाजपा की चार और आगर मालवा जिले की भाजपा की सीट पर भी कांग्रेस की नजर लगी हुई है। दरअसल इनमें से अधिकांश सीटें आदिवासी और पिछड़ा वर्ग बाहुल मतदताओं वाली हैं। दरअसल राहुल गांधी की यात्रा प्रदेश में 425 किलोमीटर के मार्ग से निकालने वाली है। उनकी यह यात्रा प्रदेश में करीब सोलह दिनों तक रहेगी। सोलह दिन की इस इस यात्रा में वे हर दिन 25 किलोमीटर का सफर तय करेंगे।
आदिवासी सीटों का रहता अहम रोल
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस का फोकस अभी से आदिवासी बहुल 47 सीटों पर तो बना ही हुआ है, साथ ही इस समुदाय द्वारा जिन अन्य सीटों पर भी प्रभाव डाला जाता है उन 73 सीटों पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यह वे सीटें हैं जहां पर आदिवासी वर्ग की आबादी करीब दस फीसदी है। सत्ता के लिए सीढ़ी प्रदेश में इन्हीं सीटों से मिलती है। बीते चुनाव में कांग्रेस को बढ़त मिली फलस्वरुप वह सत्ता में आ गई थी।
जयस व गोगापा बन रही चिंता
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने बीते रोज अपने आवास पर पार्टी के 28 विधायकों से वन-टू-वन चर्चा कर उन्हें क्षेत्र में सक्रिय होकर अभी से आदिवासी समुदाय के लिए उनके कार्यकाल में किए गए कामों की जानकारी देने को कहा है। दरअसल इन दिनों प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस की चिंता मालवा- निमाड़ में जयस तो महाकौशल में जीजीपी को लेकर बनी हुई है। नाथ से कल मिले सभी विधायक आदिवासी वर्ग के थे। दरअसल नाथ इन दिनों चुनावी तैयारियों को लेकर अलग-अलग सभी वर्गों के विधायकों से चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने विधायकों से कहा कि हमें जनता के बीच पहुंचना होगा और उनके दुख-दर्द में सहभागी बनना होगा। उनकी जो दिक्कतें हैं उन्हें देखें। 11 महीने बाद जब हमारी सरकार बनेगी तो सभी आदिवासियों के हित में तैयार की गई योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाएगा।
कमलनाथ खुद कर रहे मॉनीटरिंग
यात्रा के मार्ग में कहां -कहां स्वागत द्वारा बनाए जाएंगे और कहां पर यात्रा में शामिल लोग रात्रि विश्राम करेंगे, इसके लिए स्थानों का चयन कर लिया गया है। इन सभी जगहों का खुद कमलनाथ मौके पर पहुंचकर जायजा लेंगे। कांग्रेस की योजना इस यात्रा के जरिए राजनीतिक रूप से अपनी स्थिति मजबूत करने की है। नाथ यात्रा को अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर बनाने के प्रयासों में पूरी ताकत से लगे हुए हैं। यही वजह है कि प्रदेश में यात्रा के प्रवेश करते ही उसमें हर रोज 1 लाख लोगों से राहुल गांधी का इंट्रेक्शन कराने की योजना बनाई गई है। इससे 16 दिन में करीब 16 लाख लोगों से राहुल गांधी की किसी न किसी तरह से बात कराने की योजना है। यह सभी लोग 52 जिलों के होंगे।
इस अंचल की वजह से ही बनती रही भाजपा की सरकार
2003 से लेकर 2013 तक के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जब-जब मप्र में सरकार बनाई तब , मालवा-निमाड़ के रास्ते ही सफलता मिली । 2018 में भाजपा को इस अंचल से निराशा हाथ लगी थी क्योंकि उसे 29 सीटों पर भारी नुकसान हुआ था। यही वजह है कि भाजपा सत्ता से बाहर हो गई थी। इनमें से अधिकांश पर कांग्रेस को बढ़त मिली थी।
भाजपा के लिए संघ भी मैदान में
भाजपा सरकार और संगठन भी इस वर्ग में पैठ बढ़ाने के लिए मैदान में पूरी तरह से सक्रिय हो गया है। यही नहीं अब संघ ने भी मैदानी मोर्चा सम्हालना शुरू कर दिया है। इनमें से उन सीटों पर अधिक फोकस किया जा रहा है जहां , पर बीते चुनाव में पार्टी को हार मिली थी। इसके तहत आदिवासी युवा चेहरों पर फोकस किया जा रहा है। जयस से जुडे और पढ़े-लिखे आदिवासी युवाओं को आगे लाने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि पार्टी योजना के तहत अगले साल एक बड़ा आयोजन भी इस वर्ग के लिए करने जा रही है। मालवा-निमाड़ में जय आदिवासी संगठन (जयस) सक्रिय है। भाजपा और संघ के अनुषांगिक संगठनों के पदाधिकारी जयस के साथ नजदीकी बढ़ा रहे हैं। अभी भाजपा के पास आदिवासी आरक्षित सीटों के विधायकों की संख्या 17 है। इसमें से भी दो सीटें उसे उपचुनाव में मिली है। इसमें जोबट से सुलोचना रावत और अनूपपुर से बिसाहूलाल सिंह उपचुनाव में जीते हैं।
12/10/2022
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