मप्र के ब्यूरोक्रेट्स को हो रहा हर माह 11 फीसदी डीए का नुकसान

मप्र के ब्यूरोक्रेट्स

-कोरोना संक्रमण के कारण केंद्र और राज्य के डीए में आई असमानता
– प्रदेश के नौकरशाहों को हर माह लग रही चपत
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।
कोरोना संक्रमण के कारण केंद्र और राज्य सरकार के डीए में आई असमानता के कारण मप्र के ब्यूरोक्रेट्स को हर माह 11 फीसदी डीए का नुकसान हो रहा है। इससे एक जनवरी 2004 के बाद अखिल भारतीय सेवा में आए मप्र कैडर के आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों को केंद्र के समान डीए नहीं मिलने से हर साल वेतन में करीब 1.80 लाख रुपए और नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) में 30 से 50 हजार रुपए का नुकसान हो रहा है।
इसको लेकर अधिकारियों में रोष है और उन्होंने केंद्र के समान डीए मिलने की बात उठाई है। जानकारी के अनुसार, केंद्र अपने कर्मचारियों को 31 फीसदी डीए दे रहा है, जबकि मप्र में 20 फीसदी दिया जा रहा है। दो साल पहले तक जब भी केंद्र महंगाई भत्ता घोषित करता था, उसी तारीख से उतना ही डीए अखिल भारतीय सेवा के मप्र कैडर के अधिकारियों को भी मिल जाता था। अब केंद्र और राज्य में डीए असमान हो गया है। कोरोना को इसकी बड़ी वजह बताया जा रहा है।
एसोसिएशन के सामने उठाई मांग
2004 बैच के अधिकारियों के एक दल ने तीन दिन पहले आईएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष आईसीपी केशरी से मिलकर केंद्र के समान डीए मिलने की बात उठाई है। अफसरों के दल ने कहा कि उन्हें 11 फीसदी डीए का नुकसान हर माह हो रहा है, जिससे उनकी पेंशन प्रभावित होगी। नेशनल पेंशन स्कीम में जो उनके वेतन का 10 फीसदी अंश और सरकार का 14 फीसदी हिस्सा जमा होता है, वह भी डीए में अंतर की वजह से कम हो गया है। अखिल भारतीय सेवा के अफसरों को हर माह 11 प्रतिशत डीए की राशि का नुकसान हो रहा है। प्रभावितों की संख्या करीब एक हजार है। यह पैसा हर माह के वेतन में करीब 15 से 20 हजार रुपए बैठता है।
चूंकि केंद्र सरकार ने अपने अफसरों और कर्मचारियों की पुरानी पेंशन एक जनवरी 2004 से बंद कर दी है। लिहाजा इसके बाद सेवा में आए अफसरों के लिए नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) लागू की गई। इसमें अधिकारी के वेतन से 10 फीसदी हिस्सा काट कर एनपीएस में जमा कर दिया जाता है। सरकार 14 फीसदी पैसा डालती है। यानी एनपीएस में हर माह वेतन का 24 फीसदी पैसा जमा होता है।
इस तरह हो रहा नुकसान
उदाहरण के लिए अधिकारी का वेतन एक लाख रुपए है तो वेतन से 10 फीसदी की हिस्सेदारी 10 हजार रुपए और सरकार के 14 प्रतिशत के हिसाब से 14 हजार रुपए एनपीएस में जमा होते हैं। मौजूदा स्थिति में मप्र के अधिकारियों के वेतन का निर्धारण वर्तमान महंगाई दर (20 प्रतिशत डीए) से हो रहा है। मूल वेतन एक लाख रुपए है तो डीए की राशि मिलाकर वेतन 1 लाख 20 हजार रुपए हो जाता है। इसकी दस फीसदी राशि 12 हजार रुपए वेतन से एनपीएस में काटी जा रही है। सरकार 14 प्रतिशत के हिसाब से 16 हजार 800 रुपए अपना अंश जमा कर रही है। यानि एनपीएस में कुल 28 हजार 800 रुपए जमा होते हैं। वहीं केंद्र में पदस्थ अखिल भारतीय सेवा के अफसरों को 31 फीसदी डीए मिल रहा है। तब वेतन एक लाख 31 हजार रुपए होता है। अफसरों का 10 प्रतिशत यानी 13100 रुपए और सरकार का 14 प्रतिशत के हिसाब से 18340 रुपए होता। तब कुल 31 440 रुपए एनपीएस में जमा होते। साफ है कि एनपीएस में अधिकारियों को 2640 रुपए का नुकसान हर माह हो रहा है।

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