सवा अरब की संपत्ति बेचेगी मप्र सरकार

मप्र सरकार
  • अब तक राज्य शासन ने 600 करोड़ की मृतप्राय और अनुपयोगी संपत्तियां बेची…

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में फैली राज्य शासन की ऐसी संपत्तियां जो मृतप्राय हैं और जिनका कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है, सरकार उनको बेच रही है। जानकारी के अनुसार सरकार ने प्रदेशभर में अब तक करीब 600 करोड़ रूपए की संपत्तियां बेंची है, जबकि करीब सवा अरग रुपए की अभी बेंची जाने की तैयारी है। शासन का मानना है कि इन संपत्तियों पर अवैध कब्जे और अतिक्रमण हो रहे हैं। ऐसे में इन संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन करना जरूरी है। इसी के लिए सरकार ने लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग बनाया है। विभाग प्रदेशभर की अनुपयोगी सरकारी संपत्तियों को सूचीबद्ध कर रहा है और उन्हें बेचकर सरकारी खजाने को भर रही है। वर्तमान में प्रदेश सरकार पर तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है। सूत्रों की माने तो इस कर्ज से उबरने के लिए संपत्तियों का विक्रय किया जा रहा है। इनमें अधिकांश संपत्तियां मप्र सडक़ परिवहन निगम की हैं।
दरअसल, सत्ता में आने के बाद से ही खजाना खाली होने के चलते आर्थिक संकट से जूझ रही प्रदेश की शिवराज सरकार लगातार आय के साधन को बढ़ाने में जुटी हुई है। राजस्व में बढ़ोत्तरी के लिए आए दिन बड़े-बड़े फैसले लिए जा रहे हैं। इसी कड़ी में अब सरकार प्रदेश भर में मौजूद सरकारी संपत्तियों को बेंच रही है।  प्रदेश सरकार ने बीते दो साल में प्रदेश की 600 करोड़ रुपये की सरकारी संपत्तियां बेच दीं। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार की कहां, कितनी संपत्ति है, उसका क्या व्यावसायिक या अन्य उपयोग किया जा सकता है। इसका प्रबंधन करने के लिए सरकार ने एक अलग लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग बनाया है। यह विभाग प्रदेशभर में सरकारी संपत्तियों की सूची तैयार कर रहा है।  विभाग संपत्ति के रखरखाव के साथ उसके औचित्य का निर्धारण भी करेगा।
सभी विभागों के पास अचल संपत्तियां
प्रदेश में तकरीबन सभी विभागों के पास अचल संपत्तियां हैं। लोक निर्माण विभाग के पास जो रेस्ट हाउस हैं, उनमें निर्माण तो एक या डेढ़ हजार वर्गफीट पर है लेकिन, ढाई से सात एकड़ तक जमीन खाली पड़ी हुई है। साथ ही वो अचल संपत्ति, जिसका उपयोग नहीं हो रहा है, उनके निराकरण की समयबद्ध कार्ययोजना बनाने को कहा गया है। ऐसी सभी संपत्तियों का उपयोग अब राज्य हित में वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए किया जाएगा। 600 करोड़ रुपए की संपत्ति बेचने के बाद अब 131 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां बेचने की तैयारी की जा रही है। नर्मदापुरम का पिपरिया वेयर हाउस 2.14 करोड़ रुपये, कटनी का ब्लाक-तीन 8.19 करोड़, ट्रैक्टर स्कीम इटारसी 11.87 करोड़, छतरपुर के नौगांव की 5.51 करोड़ संपत्ति और धार का बस डिपो 25.58 करोड़ रुपये में नीलाम किया जाएगा। इसी तरह ग्वालियर की 47.92 करोड़ रुपये कीमत की तीन संपत्तियां विक्रय के लिए उपलब्ध कराई गई हैं। इस तरह 131.21 करोड़ की संपत्तियों की नीलामी की जाएगी। बता दें कि प्रदेश में ऐसी शासकीय संपत्तियां जिनका वर्तमान स्थिति में उपयोग नहीं है उन्हें चिह्नित कर उनका विक्रय किया जाता है। लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग इन संपत्तियों को चिह्नित करता है और उन्हें नीलाम करता है। इससे सरकार को करोड़ों रुपये की आय अर्जित हो रही है। उत्तर प्रदेश के झांसी में मध्य प्रदेश परिवहन विभाग का बस डिपो भी विक्रय किया जाएगा। हालांकि इसका मूल्य निर्धारित नहीं किया गया। इस वर्ष 65 से अधिक संपत्तियां विक्रय के लिए चिह्नित की गई हैं। बता दें कि भोपाल की प्राइम लोकेशन पर स्थित आरटीओ और मध्य प्रदेश सडक़ परिवहन निगम की संपत्ति भी विक्रय करने की तैयारी थी, लेकिन बाद में आरटीओ कार्यालय भाजपा को किराए पर दिए जाने से फिलहाल इस संपत्ति की नीलामी प्रक्रिया रोक दी गई है। दिसंबर, 2020 से अभी तक 553.59 करोड़ रुपये की संपत्तियां बेची जा चुकी हैं। वित्तीय वर्ष 2020-21 में 26.96 करोड़ रुपये, वित्तीय वर्ष 2021-22 में 282.97 करोड़ रुपये और वित्तीय वर्ष 2022-23 में 256.71 करोड़ रुपये की संपत्ति बेची गई। उपयोग में नहीं आ रही संपत्तियों की नीलामी की प्रक्रिया निर्धारित की गई है। राज्य शासन की संबंधित जिले में स्थित अनुपयोगी परिसंपत्तियों की नीलामी/ विक्रय जिला नजूल निर्वर्तन समिति से प्राप्त एवं कार्यपालिका समिति द्वारा निर्णय के आधार पर किया जाता है। जिले में शासन की अनुपयोगी परिसंपत्तियों के प्रबंधन के लिए जिला कलेक्टर समक्ष अधिकारी होता है।
सरकारी संपत्ति बेचने की सबसे बड़ी योजना
सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में वर्तमान सरकार ने सरकारी संपत्तियां बेचने की सबसे बड़ी योजना शुरू की है। इसके तहत बस डिपो, रेस्ट हाउस, मकान, खाली भूखंड, कारखाने, ऑफिस, बिल्डिंग, रेशम केंद्र, सिल्क केंद्र आदि बेचे जा रहे हैं। इन संपत्तियों को लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग की वेबसाइट पर प्रदर्शित किया गया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इनमें से कई संपत्तियों की बिक्री के लिए टेंडर जारी किए जा चुके हैं। कुछ संपत्तियों की बोली भी शुरू हो गई है।

Related Articles