- अन्नदाता को साधने कांग्रेस और किसान संघ मोर्च पर

गौरव चौहान
मप्र में अन्नदाता राजनीति का सबसे बड़ा मुद्दा रहता है। एक बार फिर अन्नदाता की आड़ में प्रदेश की राजनीति गरमा रही है। प्रदेश में किसानों की मूंग नहीं खरीदे जाने पर सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस ने सरकार पर किसानों की उपेक्षा का आरोप लगाकर आंदोलन की चेतावनी दी है। वहीं प्रदेश में किसानों के सबसे बड़े संगठन भारतीय किसान संघ ने उड़द और मूंग की समर्थन मूल्य पर खरीदी की मांग को लेकर आज तहसील मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन करेगी। यानी वर्तमान में मूंग मप्र की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बन गया है।
गौरतलब है कि सरकार हर साल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर ग्रीष्मकालीन मूंग की खरीदी करती है, लेकिन इस बार सरकार ने एमएसपी पर मूंग खरीदी को लेकर अब तक पत्ते नहीं खोले हैं। अब तक एमएसपी पर मूंग खरीदी की घोषणा नहीं किए जाने से किसानों में सरकार के प्रति नाराजगी है। नर्मदापुरम जिले में कुछ स्थानों पर किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक मप्र ग्रीष्मकालीन मूंग का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। पिछले साल प्रदेश में लगभग 11.59 लाख हेक्टेयर में मूंग की बोवनी हुई थी, जबकि इस वर्ष यह बढकऱ करीब 13.49 लाख हेक्टेयर हो गई है। नर्मदा पट्टी के 16 जिले मूंग के प्रमुख उत्पादक माने जाते हैं। इस बार कुल उत्पादन लगभग 21 लाख टन रहने का अनुमान है। हर साल प्रदेश सरकार ग्रीष्मकालीन मूंग की एमएसपी पर खरीदी करती है, जिससे मूंग के रकबे में तेजी से वृद्धि हो रही है। दरअसल, मूंग की खेती में किसानों को प्रति एकड़ औसतन 28,500 की लागत आती है, जिसमें बीज, खाद, कीटनाशक, मजदूरी, सिंचाई और परिवहन का खर्च शामिल है, लेकिन बाजार में इस समय मूंग का जो भाव मिल रहा है, वह लागत से भी बहुत कम है! सरकारी उदासीनता के कारण व्यापारी मनमाने दामों पर खरीद कर रहे हैं और सरकार पूरी तरह मूकदर्शक बनी हुई है।
मंडी अधिनियम की धारा 36(3) का हो पालन
भारतीय किसान संघ के प्रदेश महामंत्री चंद्रकांत गौर ने बताया कि मंडी अधिनियम की धारा 36(3) के अनुसार मंडी प्रांगण में ऐसी कृषि उपज जिसका सरकार ने समर्थन मूल्य घोषित किया है। मंडी प्रांगण में उस उपज के नियत घोषित समर्थन मूल्य से कम पर बोली प्रारंभ नहीं होने दी जाएगी। इस प्रकार का आदेश पत्र पूर्व में नर्मदापुरम जिले में जारी किया जा चुका है। जिसकी प्रतिलिपि जारी करते हुए महामंत्री चंद्रकांत गौर ने कहा कि यदि सरकार उड़द मूंग की खरीदी नहीं करती है तो प्रदेश सरकार सभी जिलों के कलेक्टर को मंडी अधिनियम की धारा 36(3) का पालन सुनिश्चित कराने आदेश जारी करे। उधर, सोशल मीडिया पर जारी रील, पोस्टर आदि के माध्यम से उड़द मूंग खरीदी का आंदोलन गांव गांव पहुंच गया है। कृषि व किसान क्षेत्र के बड़े बड़े ब्लॉगर, इन्फ्लूएंसर द्वारा बनाई रील, गाने, नारे सोसल मीडिया के सभी प्लेटफार्म वॉट्सअप, फेसबुक, इंस्टाग्राम पर धमाल मचाए हैं। हजारों किसान उन पर सरकार के प्रति तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त भी कर रहे हैं। जनप्रतिनिधियों व राजनैतिक किसान नेताओं को खरी खोटी सुना रहे है।
किसान संघ का धरना…कांग्रेस कर रही पत्राचार
भारतीय किसान संघ और कांग्रेस किसानों के समर्थन में आ गई है। भारतीय किसान संघ ने आज प्रदेश के सभी तहसील मुख्यालयों पर धरना, प्रदर्शन शुरू कर दिया है। वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को अलग अलग पत्र लिखकर मूंग खरीदी जल्द शुरू किए जाने की मांग की है। आने वाले दिनों में एमएसपी पर मूंग खरीदी का मामला और गरमाने के आसार है। चूंकि इस साल सरकार ने एमएसपी पर मूंग खरीदी की घोषणा नहीं की है, इसलिए एमएसपी से 2 से 3 हजार रुपए प्रति क्विंटल कम भाव पर कृषि मंडियों में मूंग बेच रहे हैं। किसानों का कहना है कि मूंग की सिंचाई और दवा छिड़काव पर काफी लागत आती है, इसलिए मंडियों में कम दामों पर मूंग बेचने से उनकी लागत नहीं निकल रही है। सरकार को जल्द एमएसपी पर मूंग की खरीदी शुरू करना चाहिए। अरुण यादव ने सीएम को पत्र लिखकर मूंग को जहरीला बताकर खरीदी नहीं किए जाने को लेकर सवाल उठाए है। हैं। उन्होंने कहा कि सरकार यदि समर्थन मूल्य 8768 रुपए में मूंग खरीदती है, तो उसमें जहर है और यही मूंग मंडी से व्यापारी 3500 से 5000 रुपए प्रति क्विंटल खरीद रहे हैं, तो वह अमृतमयी हो जाती है। सरकार सात-आठ साल से यही कीटनाशक वाली मूंग समर्थन मूल्य पर खरीदती रही, क्या उसे अब जाकर पता चला है कि किसान जहरीली मूंग बेच रहे हैं?
मूंग उपजाने वाले लाखों किसानों के साथ धोखा
एमएसपी में मूंग खरीदी नहीं होने पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा है की मूंग उपजाने वाले लाखों किसानों के साथ धोखा है। सरकार ने मूंग की सरकारी खरीदी से इनकार कर किसानों की मेहनत और भरोसे पर कुठाराघात किया है। कभी दुगनी आमदनी का सपना दिखाने वाली भाजपा अब मूंग को जहरीला बताकर पल्ला झाड़ रही है। इससे किसानों को 6000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान होगा। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि प्रदेश के लाखों किसान फिर गहरी पीड़ा और निराशा में हैं। ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल का उत्पादन करने वाले किसानों को भाजपा सरकार की उदासीनता, वादाखिलाफी और प्रशासनिक अस्थिरता के कारण गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। पटवारी ने आगे लिखा कि हर वर्ष अप्रैल-मई में मूंग की खरीदी के लिए पंजीयन प्रक्रिया शुरू हो जाती है, लेकिन इस बार सरकार ने कोई स्पष्ट नीति घोषित नहीं की। न तो समय पर खरीदी की घोषणा की गई, न ही कोई वैकल्पिक योजना सामने रखी गई। आपकी सरकार की ओर से यह कहा जाना कि मूंग में अत्यधिक रसायनों का प्रयोग हुआ हुआ है यह न केवल वैज्ञानिक तथ्यों से परे है, बल्कि किसानों की समझ पर सवाल उठाने वाला भी है। यदि ये रसायन इतने ही खतरनाक हैं, तो फिर सरकार इनकी बिक्री को लाइसेंस क्यों दे रही है? पटवारी ने आगे लिखा कि मूंग प्रदेश की एक महत्वपूर्ण नगदी फसल है, जो किसानों को आंशिक आर्थिक सुरक्षा देती है, खासकर तब, जब अन्य फसलें या तो बारिश, ओलावृष्टि या कीट जनित बीमारियों के कारण खराब हो जाती हैं। इस बार यदि मूंग की खरीदी नहीं की गई, तो किसानों को लाखों रुपए का सीधा नुकसान होगा और अगली फसल की बोवनी के लिए उन्हें ऊंचे ब्याज पर कर्ज लेना पड़ेगा। इससे कर्ज का दुष्चक्र और भी गहरा होता जाएगा।