- क्षेत्रीय व जातीय समीकरणों का रखा पूरा ध्यान
- गौरव चौहान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक विकसित भारत का जो सपना देखा है, उसे अमलीजामा पहनाने के लिए 71 मंत्रियों के साथ उन्होंने अपनी तीसरी पारी की शुरुआत की है। खास बात यह है कि मोदी की तीसरी सरकार में भी मप्र का दबदबा कायम है। पिछली बार की तरह इस बार भी प्रदेश से पांच सांसदों ने मंत्री पद की शपथ ली है। इसमें दो ओबीसी, दो अनुसूचित जनजाति और एक दलित वर्ग से है। यानी इन समीकरणों के सहारे पीएम ने मप्र के बड़े वोट बैंक का साधा है। मप्र में भाजपा के लोकसभा चुनाव में क्लीन स्वीप कर 29 सीटें जीती हैं। इसके बाद प्रदेश में केंद्र सरकार में मंत्री पद का कोटा बरकरार है। नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद मोदी कैबिनेट 3.0 में प्रदेश के पांच सांसदों ने मंत्रियों की शपथ ली। इसके जरिए मोदी कैबिनेट में प्रदेश का जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण साधा है। कैबिनेट में शिवराज सिंह चौहान समेत तीन नए चेहरों को शामिल किया गया है।
मोदी सरकार 3.0 में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, टीकमगढ़ से आठ बार के सांसद वीरेंद्र खटीक, धार से सांसद सावित्री ठाकुर और बैतूल-हरदा लोकसभा क्षेत्र से दुर्गादास उइके को मंत्री बनाया गया है। शिवराज और सिंधिया ओबीसी वर्ग से, सावित्री ठाकुर और दुर्गादास उइके अनुसूचित जनजाति और वीरेंद्र खटीक अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं। मोदी सरकार की दूसरी कैबिनेट में प्रदेश से पांच मंत्री थे। इसमें ज्योतिरादित्य और वीरेंद्र खटीक को दोबारा मौका मिला है। वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते का पत्ता कट गया है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में पांच सांसदों को चुनाव लड़ाया था। इसमें तीन केंद्रीय मंत्री रहे फग्गन सिंह कुलस्ते, प्रहलाद पटेल और नरेंद्र सिंह तोमर भी शामिल थे। फग्गन सिंह कुलस्ते मंडला जिले की निवास से विधानसभा चुनाव हार गए थे। इसके बाद से ही उनके सियासी भविष्य पर सवाल उठ रहे थे। वहीं, प्रहलाद पटेल और नरेंद्र सिंह तोमर को प्रदेश सरकार में बड़ी जिम्मेदारी दी गई है।
शिवराज सिंह ओबीसी का बड़ा चेहरा
विदिशा सीट से सांसद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान केंद्र सरकार में पहली बार मंत्री बने हैं। उन्होंने विदिशा सीट पर 8.21 लाख वोट से जीत दर्ज की है। शिवराज प्रदेश में ओबीसी वर्ग को बड़ा चेहरा हैं। वे मप्र के चार बार मुख्यमंत्री रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री छठी बार विदिशा से लोकसभा का चुनाव जीते हैं। वे 6 बार विधायक रहे हैं। प्रदेश में भाजपा को सभी 29 सीट पर जीत मिली हैं। इसका एक कारण शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री रहते शुरू हुई लाडली बहना को भी बताया जा रहा है। शिवराज की मामा की छवि उनको जनता से जोड़ती है। चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि शिवराज जी की जरूरत मुझे दिल्ली में है। शिवराज सिंह को बड़ा विभाग मिलना भी तय माना जा रहा है।
सिंधिया मोदी की पसंद
गुना-शिवपुरी सीट से सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछली सरकार में केंद्रीय नागरिक एवं उड्डयन और इस्पात मंत्री रहे। वे पांच बार के सांसद हैं। 2019 में कांग्रेस से चुनाव लड़े और भाजपा के केपी यादव से हार गए। 2020 में कांग्रेस छोडक़र भाजपा ज्वाइन की और राज्यसभा सदस्य बने। सिंधिया पीएम और शाह की पसंद हैं। सिंधिया को भाजपा लगातार आगे बढ़ा रही है। उन्हें युवा चेहरे के रूप में भाजपा आगे बढ़ा रही है। प्रदेश के अलावा दूसरे राज्यों में भी वे लोकप्रिय हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई की है। पिछली बार सिंधिया भाजपा सरकार में केंद्रीय नागरिक एवं उड्डयन, इस्पात मंत्री रहे। वे 53 साल के हो चुके है। सिंधिया ने इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के यादवेंद्र सिंह यादव को 540929 वोटों से हराया है।
प्रदेश संगठन की कमान रहेगी वीडी शर्मा के ही पास
केंद्रीय मंत्रिमंडल में जिन चेहरों को शामिल करने की संभावना थी, उनमें बड़ा नाम प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा का भी था पर उन्हें फिलहाल मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। पार्टी हाईकमान उनका उपयोग अभी संगठन में ही करना चाह रहा है। वीडी शर्मा का कार्यकाल पूरा हो गया है, पर इस बात की अब प्रबल संभावना है कि उन्हें फिर से इसी पद पर एक और मौका दिया जाए। वीडी शर्मा के कार्यकाल में मप्र में भाजपा ने विस चुनावों में बड़ी जीत दर्ज की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोस चुनाव के दौरान उनके काम की खुलकर तारीफ की थी।
सावित्री ठाकुर महिला कोटे से
धार से सांसद सावित्री ठाकुर मोदी सरकार में पहली बार मंत्री बनी हैं। वे मोदी सरकार में 2014 से 2019 तक सांसद थीं। भाजपा ने लोकसभा चुनाव में 6 महिला सांसदों को चुनाव में उतारा था, इसी कोटे से सावित्री ठाकुर को टिकट मिला था। सावित्री ठाकुर आदिवासी वर्ग से आती हैं और आरएसएस की करीबी होने का फायदा उन्हें मिला। वहीं, ठाकुर को मंत्री बनाकर मालवा क्षेत्र के साथ ही आदिवासी वर्ग को साधने की कोशिश की गई है।
तीसरी बार मंत्री बने वीरेंद्र कुमार
टीकमगढ़ सीट से सांसद वीरेंद्र कुमार खटीक पिछली सरकार में सामाजिक न्याय मंत्री रहे हैं। वे आठवीं बार के सांसद हैं। पहली बार 1996 में सांसद बने। मोदी की पहली सरकार में भी मंत्री रहे। अब वे तीसरी बार मंत्री बने हैं। प्रदेश में सबसे वरिष्ठ सांसद के साथ अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं। बुंदेलखंड में अनुसूचित जाति वर्ग का बड़ा वोट बैंक है। खटीक को मंत्री बनाकर भाजपा ने क्षेत्रीय और जातिगत दोनों समीकरण साधने का प्रयास किया है। मप्र की टीकमगढ़ लोकसभा सीट से सांसद डॉ. वीरेंद्र कुमार खटीक 70 साल के हैं। उन्होंने पीएचडी की उपाधि भी हासिल की है।
दुर्गादास पहली बार मंत्री बने
बैतूल-हरदा लोकसभा सीट से सांसद दुर्गादास उईके मोदी सरकार में पहली बार मंत्री बने हैं। वे राजनीति में 2019 में आए और सांसद बने। वह शिक्षक की नौकरी छोडक़र राजनीति में आए। संघ के करीबी और आदिवासी वर्ग से आते हैं। आदिवासी क्षेत्र बैतूल को लंबे समय से राज्य और केंद्र सरकार में कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला था। उईके को मंत्री बना कर भाजपा ने आदिवासी वोट बैंक के साथ ही मध्य भारत और मालवा को भी साधने का प्रयास किया है।