- विस चुनाव की तुलना में मिले कम मत
- विनोद उपाध्याय
भले ही भाजपा ने इस बार ऐतिहासिक रूप से प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों को जीत कर क्लीन स्वीप करने के साथ ही सर्वाधिक मतों से जीत का रिकार्ड बनाया है, लेकिन छह विधानसभा सीटें ऐसी हैं , जहां अपनों के होने के बाद भी भाजपा प्रत्याशियों को झटका लगा है। इन सीटों पर भाजपा की जगह कांग्रेस प्रत्याशी भारी पड़े हैं। यह वे सीटें हैं, जहां पर छह माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत मिली थी। इनमें खरगोन लोकसभा सीट का पानसेमल, ग्वालियर सीट का भितरवार, मुरैना का सबलगढ़, भिंड का सेवढ़ा, सीधी का सिहावल और खंडवा लोकसभा सीट का बुरहानपुर विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। हालांकि कांग्रेस की जीत वाली 66 विधानसभा सीटों पर लोकसभा चुनाव में 50 सीटों पर भाजपा ने बढ़त बनाई है।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में कुल 230 सीटों में से 163 में भाजपा जीती थी। विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में मिले मतों को देखें तो बुरहानपुर सीट पर छह माह पहले पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस विधायक निर्वाचित हुई थीं। इस सीट की बात की जाए तो यहां पर छह माह में ही भाजपा को 8 हजार से अधिक मतों का नुकसान उठाना पड़ा है। इस सीट पर भाजपा की अर्चना चिटनीस ने 31 हजार से ज्यादा वोट के अंतर से जीत दर्ज कराई थी। उन्होंने कांग्रेस के तत्कालीन विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा को हराया था। लोकसभा चुनाव में बुरहानपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को 112527 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को 119736 वोट मिले थे। यहां कांग्रेस 7209 मतों से आगे रही है। यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी अपेक्षाकृत अधिक है। इसी तरह से पानसेमल से श्याम बर्डे भाजपा के विधायक हैं। विधानसभा चुनाव में वह यहां से 13 हजार 442 मतों से जीते थे, पर लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी गजेंद्र पटेल 5290 मतों से पीछे रहे। अन्य सीटों में बढ़त के चलते वह एक लाख 35 हजार मतों से जीत गए हैं। भितरवार सीट से मोहन सिंह राठौर विधानसभा चुनाव में 22 हजार 354 मतों से जीते, लेकिन लोकसभा चुनाव में उनके क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार भारत सिंह कुशवाह 5898 मतों से पिछड़ गए। कुशवाह कांग्रेस के प्रवीण पाठक से 70 हजार 210 मतों से जीते हैं। मुरैना लोकसभा की सबलगढ़ विस सीट से सरला रावत 9805 मतों से जीती थी, लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी शिवमंगल सिंह तोमर इस सीट पर 13 हजार से भी अधिक मतों से पीछे रह गए। इसी तरह से सेवढ़ा सीट से भाजपा के प्रदीप अग्रवाल 2558 मतों से जीते थे, पर लोकसभा चुनाव में यह अंतर इस सीट पर बढक़र 4908 हो गया। यह बात अलग है कि दूसरी विधानसभा सीटो ंपर मिली बढ़त की वजह से भाजपा प्रत्याशी की जीत हो गई। सीधी लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली सिहावल विधानसभा में विश्वामित्र पाठक कांग्रेस के कमलेश्वर पटेल से 16 हजार 478 मतों से जीते थे, पर लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार डा. राजेश मिश्रा को उनकी विधानसभा सीट पर 3943 मत कम मिले।
भाजपा में शामिल कांग्रेस विधायकों ने दिलाई बढ़त
विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस के तीन विधायक दलबदल कर भाजपा में शामिल हो गए थे। अगर इनकी विधानसभा क्षेत्र में मिले मतों को देखें, तो भाजपा फायदे में रही है। विजयपुर से कांग्रेस के टिकट पर रामनिवास रावत ने 18,059 मतों से जीत हासिल की थी, लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा को उनकी सीट पर 35,612 मतों की बढ़त मिली। इसी तरह से अमरवाड़ा सीट पर कांग्रेस से विधायक बने कमलेश शाह को 25086 मतों की बढ़त मिली थी, लेकिन उनके भाजपा में आने के बाद लोकसभा चुनाव में भाजपा को 15,039 मतों की ही बढ़त मिल सकी है। इसी तरह से तीसरी विधायक निर्मला सप्रे की बीना सीट पर कांग्रेस को विस चुनाव में 6155 मतों से बढ़त मिली थी, लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा को यहां से 40,094 मतों की भारी बढ़त मिली।