
- सरकार दफ्तरों में ई-ऑफिस सिस्टम से हो रहा सारा काम
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। आम जनता को सहूलियत देने और प्रदेश के विकास की गति को बढ़ाने के लिए प्रदेश में 1 जनवरी से ई-ऑफिस सिस्टम लागू किया गया था। आज स्थिति यह है कि मंत्रालय से लेकर जिलों तक कार्यालयों में फाइलों का ऑनलाइन मूवमेंट हो रहा है। लेकिन ई-ऑफिस की कवायद के बीच ज्यादातर मंत्री 9 महीने बाद भी ऑफलाइन दफ्तर चला रहे हैं। इन मंत्रियों के कारण इनके विभाग के अफसर अभी भी ऑफलाइन फाइलें दौड़ा रहे हैं। कई मंत्रियों के यहां गिनी-चुनी फाइलों को छोड़ ज्यादातर फाइलें ऑफलाइन चल रही हैं। दूसरी तरफ मंत्रालय में मुख्य सचिव, सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव और विभागाध्यक्ष कार्यालय लगभग ई-ऑफिस पर शिफ्ट हो चुके हैं।
ई-ऑफिस सिस्टम से कार्यालयों में फाइले स्पीड से आगे बढऩे लगी है, क्योंकि हर फाइल की लोकेशन अपडेट रहती है। इस सिस्टम में लिपिक से लेकर मुख्य सचिव तक फाइल निपटाने की समय-सीमा निर्धारित है, इसलिए अधिकारी-कर्मचारी तय समयावधि में फाइलें आगे बढ़ा रहे हैं। ई-ऑफिस सिस्टम में हर फाइल को ट्रेस करना आसान है। संबंधित विभाग का अधिकारी या कर्मचारी किसी भी फाइल की लोकेशन ट्रेस कर सकता है। अधिकारी-कर्मचारियों की टेबलों पर फाइलों का ढेर नजर नहीं आता। एक क्लिक पर फाइल कम्प्यूटर या लैपटॉप की स्क्रीन पर उपलब्ध हो जाती है। लेकिन विड़बना यह है कि मंत्रियों के लिए कुछ परेशानी उनके दफ्तरों में ई-ऑफिस के लिए दक्ष कर्मचारियों की कमी भी है। हालांकि मंत्रालय व जिलों के लिए कुछ माह पूर्व तकनीकी रूप से दक्ष मैनपावर टीम गठित करने के निर्देश दिए थे।
जनवरी में लागू हुआ ई-ऑफिस सिस्टम
गौरतलब है कि प्रशासनिक कामकाज में गति एवं पारदर्शिता लाने के मकसद से प्रदेश के सरकारी कार्यालयों में ई-ऑफिस सिस्टम के जरिए फाइलों का ऑनलाइन मूवमेंट हो रहा है। सबसे पहले मंत्रालय में गत एक जनवरी से ई-ऑफिस सिस्टम लागू हुआ था। मंत्रालय में ई-ऑफिस सिस्टम में सामने आई खामियों और परेशानियों को दूर कर दूसरे चरण में मार्च से सभी विभागाध्यक्ष कार्यालयों में ई-ऑफिस सिस्टम लागू किया गया। इसके एक महीने बाद तीसरे चरण में सभी जिलों के सरकारी कार्यालयों में ई-ऑफिस सिस्टम पर काम शुरू किया गया। ई-ऑफिस सिस्टम पर काम करने में शुरुआत में अधिकारी-कर्मचारियों को कई तरह की दिक्कतों से जूझना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे वे नए सिस्टम पर काम करने में अभ्यस्त हो गए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय, मुख्य सचिव कार्यालय और राजभवन में भी ई-ऑफिस सिस्टम लागू है। मंत्रालय में ई-ऑफिस सिस्टम लागू हुए नौ महीने हो गए, लेकिन प्रदेश सरकार के मंत्री अब भी फाइलों को मैनुअली आगे बढ़ा रहे हैं। अब तक एक भी मंत्री ने ई-ऑफिस सिस्टम के जरिए फाइलें निपटाने में रुचि नहीं दिखाई है। यह स्थिति तब है, जब मंत्रियों के निजी स्टाफ निज सचिव/निज सहायक को ई-ऑफिस सिस्टम का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। बड़ा सवाल यह है कि जब सभी सरकारी कार्यालयों में ई-ऑफिस सिस्टम लागू है, तो मंत्री मैनुअली फाइलें आगे क्यों बढ़ा रहे हैं?
8 साल पहले बनी थी योजना
दरअसल, सबसे पहले वर्ष 2017 में प्रदेश के सरकारी कार्यालयों में ई-ऑफिस सिस्टम लागू करने की योजना बनाई गई थी। इसकी शुरुआत मंत्रालय से की गई थी। इसके लिए नए कंप्यूटर और स्कैनर खरीदे गए थे। अपर मुख्य सचिव से लेकर कर्मचारियों को राष्ट्रीय सूचना केंद्र (एनआईसी) के माध्यम से सॉफ्टवेयर का प्रशिक्षण दिया गया था। तत्कालीन शिवराज सरकार में मार्च, 2018 में मंत्रियों को भी इसका प्रशिक्षण भी दिया गया था, लेकिन न अधिकारियों ने और न ही मंत्रियों ने फाइलों के ऑनलाइन मूवमेंट में रुचि दिखाई। इस तरह यह प्रयोग सफल नहीं हो पाया। पिछले साल अक्टूबर में अनुराग जैन ने मुख्य सचिव का पदभार संभालने के कुछ दिनों बाद बैठक कर ई-ऑफिस सिस्टम हर हाल में लागू करने को लेकर अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए और गत एक जनवरी से मंत्रालय में इसे लागू कर दिया गया। इसके बाद सभी विभागाध्यक्ष कार्यालयों और सभी जिलों में सरकारी कार्यालयों में ई-ऑफिस सिस्टम लागू किया गया।
ई-ऑफिस पर शिफ्ट तो होना पड़ेगा
विशेषज्ञों की मानें तो चुनौतियां अपनी जगह है लेकिन ई-ऑफिस सबसे बड़ी जरूरत है, जिसे काफी पहले अमल में लाया जाना चाहिए था, क्योंकि केंद्र सरकार का ज्यादातर काम ई-ऑफिस पर हो रहा है तो, कई कार्पोरेट कंपनियां व उपक्रम भी पूरी तरह ई-ऑफिस से काम कर रहे हैं। ऐसे में कुछ विभागों व मंत्रियों द्वारा ऑफलाइन काम करना या कराना, मुश्किलों भरा हो सकता है। प्रशासनिक स्तर पर ई-ऑफिस को अपनाने से कई स्तरों पर सुधार महसूस किए जा रहे हैं। फाइलों का मूवमेंट पहले से बढऩा बताया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह शुरुआत सबसे ऊपर स्तर से हो तो नीचे अपने-आप सिस्टम सुधार जाएगा। जब एक बार प्रदेश में सभी कार्यालय ई-ऑफिस के जरिए काम करने लगेंगे तो आम जनता को बड़ा लाभ होगा, उनके काम समय पर होंगे। पारदर्शिता तो आएगी ही, प्रदेश के विकास में भी गति मिलेगी। तबादला नीति 2025 में तय किया गया था कि प्रत्येक मंत्री तबादलों के लिए की जाने वाली अनुशंसा ऑनलाइन जारी करेंगे, ताकि किसका तबादला कहां और क्यों किया जा रहा, इसका रिकॉर्ड आसानी से उपलब्ध हो सके। सूत्रों के मुताबिक ज्यादातर मंत्रियों के कार्यालयों से इसका पालन ही नहीं हुआ। इसके पीछे कुछ मंत्रियों के दफ्तर में पदस्थ अधिकारी-कर्मचारी भी जिम्मेदार बताए जाते हैं, जोकि स्वयं ही फाइलों को ऑनलाइन चलाने की जगह ऑफलाइन चलाने में ज्यादा रुचि लेते हैं।
मंत्रियों के लिए चुनौतियां
अधिकांश मंत्री आधुनिक तकनीक से दूर है। सूत्रों के मुताबिक कार्य व्यवहार में फाइलों पर मैनुअली काम करना ज्यादा पसंद करते हैं। यदि मंत्रियों के कार्यालयों को पूरी तरह ई-ऑफिस पर शिफ्ट किया जाता है तो सभी के लिए अमल करना जरुरी हो जाएगा। सूत्रों की मुताबिक यदि मंत्री चाहेंगे तो ही बात आगे बढ़ेगी। हालांकि जिस तरह विभाग ई-ऑफिस पर शिफ्ट हो रहे हैं, यदि उसी तरह मंत्रियों के कार्यालय भी पूरी तरह ई-ऑफिस पर लाए जाते हैं तो ऐसी स्थिति में मंत्रियों के लिए भी तकनीकी रूप से दक्ष अमले की जरुरत होगी, जो कि अभी नहीं है।
समय के साथ पैसा भी खर्च
कैबिनेट बैठक सप्ताह में प्रत्येक मंगलवार होती है, जिसमें लाए जाने वाले प्रस्तावों का ब्यौरा प्रत्येक मंत्रियों को उपलब्ध कराना होता है। यह काम बहुत कम समय में गोपनीय तरीके से किया जाता है। सूत्रों के मुताबिक यह फोल्डर तैयार करना, उसे प्रिंट कराना, मंत्रियों के बंगले तक पहुंचाना, इसमें समय के साथ-साथ राशि भी खर्च होती है। मैनपावर अलग लगता है। सूत्र बताते हैं कि सरकार जिन विषयों को गोपनीय रखना चाहती है, वे भी कई हाथों से होकर गुजरते हैं। इन चुनौतियों के बावजूद कैबिनेट बैठक को लेकर की जाने वाली तमाम तैयारियां ई-ऑफिस के जरिए शुरू नहीं हुई। हां कुछ मंत्री के दफ्तर से जरूर फाइलें ऑनलाइन चल रही हैं लेकिन इनकी संख्या काफी कम है। दफ्तर के अफसर और कर्मचारी भी ई-ऑफिस बनाने को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं दिखते। इन हालातों में कुछ फाइलों को ऑनलाइन भेजने का कोरम पूरा किया जाता है।
पांच दिन ठप रहा ई-ऑफिस सिस्टम
मंत्रालय समेत प्रदेश के अन्य सरकारी कार्यालयों में पांच दिन तक ई-ऑफिस सिस्टम ठप रहा। हालांकि छठे दिन सर्वर शुरू हो गया। राष्ट्रीय सूचना केंद्र (एनआईसी) के दिल्ली स्थित सर्वर में तकनीकी खामी आने के कारण ई-ऑफिस सिस्टम काम नहीं कर रहा था। अधिकारियों का कहना है कि नगरीय विकास एवं आवास और गृह विभाग में ई-ऑफिस सिस्टम के जरिए फाइलों का मूवमेंट ज्यादा होने के कारण दोनों विभागों के सर्वर पर लोड ज्यादा रहता है। इसे देखते हुए दोनों विभागों में ई-ऑफिस सिस्टम के संचालन के लिए अलग से सर्वर बनाया जा रहा है, ताकि भविष्य में कामकाज बाधित न हो। मंत्रालय में ई-ऑफिस सिस्टम के जरिए विभिन्न विभागों में रोजाना 400 से ज्यादा फाइलों का ऑनलाइन मूवमेंट होता है।
