मंत्री ने खड़े किए आईएफएस अफसर की योग्यता पर सवाल

  • गणेश पाण्डेय
आईएफएस अफसर

अनुभव दिलाने इंदौर तलब

भोपाल। बन महकमे के अफसर अपनी मर्जी के ही मालिक बने हुए हैं। उनकी यही मर्जी अब वन मंत्री डॉ विजय शाह के निशाने पर आ गई है। दरअसल वृक्षारोपण के लिए गड्ढे खोदने के अलावा उनमें डाली जाने वाली रेत और खाद का समय निकल जाने के बाद भी कुछ जिलों में इस काम में बेहद लापरवाही बरती गई है। इसकी वजह से विभाग द्वारा दिया गया बजट खर्च ही नहीं हो पाया है। इसकी वजह से कई जिलों में वृक्षारोपण तक समय पर होता नहीं दिख रहा है। समीक्षा के दौरान ऐसे ही एक मामले में उज्जैन सर्किल एपीसीसीएफ मनोज अग्रवाल विभागीय मंत्री विजय शाह के निशाने पर आ गए। नाराज शाह ने गड्ढे खोदने के प्रैक्टिकल नॉलेज हेतु एपीसीसीएफ और पदेन वन संरक्षक मनोज अग्रवाल को 5 अगस्त को इंदौर बुलवाया है। इस दौरान वन बल प्रमुख आरके गुप्ता ने बजट खर्च नहीं करने पर आधा दर्जन डीएफओ के प्रति नाराजगी भी जताई है। जंगल महकमे में  बीते रोज वन मंत्री डॉ विजय शाह  ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मैदानी अधिकारियों को नसीहत भी दी और फटकार भी लगाई। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मनरेगा के अंतर्गत मशीन से गड्ढे खुदाई पर चर्चा हो रही थी। वन मंत्री शाह का कहना था कि मशीन से गड्ढे की खुदाई की जाए।  उन्होंने बताया कि गड्ढे खोदने के लिए 18-20 हजार रुपए की मशीन आती है। इससे हर साइज के गड्ढे आसानी से खुद जाते हैं।  इस पर उज्जैन सर्किल के पदेन वन संरक्षक एपीसीसीएफ मनोज अग्रवाल ने मनरेगा के बजट से मजदूरी से काम कराने का प्रावधान का उल्लेख करते हुए मंत्री को पाठ पढ़ाने का प्रयास करना शुरू कर दिया। अग्रवाल ने मंत्री को ध्यान दिलाया कि उनके यहां की मिट्टी कठोर है, जिसकी वजह से उनके यहां गड्ढे आसानी से नहीं खोदे जा सकते हैं। अग्रवाल के इस बात पर वन मंत्री ने तपाक से उन्हें 5 अगस्त को इंदौर आने का न्यौता दिया और कहां कि यहां आप गड्ढे खोदकर प्रैक्टिकल नॉलेज ले।
सीएम के  डीम प्रोजेक्ट पर भी डेढ़ साल से अफसर लापरवाह
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ड्रीम प्रोजेक्ट वन विहार को सिंगापुर जू की तर्ज पर विकसित करने के मामले में भी वन विभाग के अफसर लापरवाह बने हुए हैं। इसकी वजह से इस पर काम ही शुरू नहीं हो पा रहा है। इस बीच इको पर्यटन बोर्ड के दो सीईओ और वन विहार के 2 डायरेक्टर बदल गए, लेकिन अभी भी इसकी ड्राइंग डिजाइन तक तय नहीं हो सकी है। अब 4 अगस्त को प्रस्तावित बैठक में वन विहार के रिनोवेशन संबंधित मामले में निर्णय लिया जा सकता है।
बीते साल जनवरी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वन विभाग के शीर्ष अधिकारियों की बैठक में वन विहार को सिंगापुर जू की तरह विकसित करने के निर्देश दिए थ। इसके बाद तत्कालीन ईको पर्यटन बोर्ड के सीईओ एसएस राजपूत ने 5 करोड़ लागत से इंदौर की आकृति आर्किटेक्ट से ड्राइंग डिजाइन बनवाइ्र थी , जिसे विभाग की उप समिति ने भी स्वीकृ़ति प्रदान कर दी थी। इस मामले का टेंडर होता इसके पहले राजपूत सेवानिवृत्त हो गए, उनकी जगह सत्यानंद की पदस्थापना की गई।
सत्यानंद को यह ड्राइंग डिजाइन पसंद नहीं आयी, लिहजा उनके द्वारा  सब कमेटी द्वारा स्वीकृत ड्राइंग डिजाइन में तमाम सारी खामियां निकालते हुए उसमें अपने हिसाब से संशोधनों का सिलसिला शुरू कर दिया। वे भी वन विहार के विकसित करने की डिजाइन फाइनल स्टेज तक पहुंचा पाते, उनको भी इको पर्यटन बोर्ड से स्थानांतरित कर दिया गया। अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की मंशा के अनुरूप वन विहार को सिंगापुर जू के स्वरूप देने की जिम्मेदारी बोर्ड की वर्तमान सीईओ सामिता राजौरा को सौपी गई है। इस मुद्दे पर 4 अगस्त को बैठक होने जा रही है, जिसमें टेंडर की शर्तें और अन्य मुद्दों पर निर्णय हो सकता है।
 इन अफसरों ने बजट खर्च करने में बरती उदारता
 वीडियो कांफ्रेंसिंग में वनबल प्रमुख (हॉफ) आरके गुप्ता ने बजट के उपयोग करने में बरती गई उदासीनता पर आधा दर्जन डीएफओ के प्रति नाराजगी जताई। आधा दर्जन से डीएफओ अब तक 2 से 3 परसेंट तक ही बजट का उपयोग कर सकें है। इनमें हरदा, शिवपुरी, शाजापुर, दक्षिण सिवनी, शिवपुरी, टीकमगढ़ और बालाघाट उत्तर प्रमुख है। इसके अलावा बालाघाट दक्षिण उत्पादन वन मंडल की डीएफओ नेहा गुप्ता की भी क्लास लगी। श्रीमती गुप्ता ने भवन मरम्मत के लिए प्राप्त बजट राशि का उपयोग अभी तक नहीं कर पाई हैं।

Related Articles