मप्र में मंत्री और विधायकों के क्षेत्र में बेलगाम हुआ माइनिंग माफिया

माइनिंग माफिया

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश ऐसा राज्य बन चुका है जहां पर सरकार किसी की भी रहे और प्रशासन का मुखिया कोई भी हो उन पर माइनिंग माफिया हावी ही रहता है। दरअसल यह माफिया इतना ताकतवर है कि अगर किसी अफसर ने सख्ती करने का प्रयास किया तो फिर उसका तबादला होना भी तय हो जाता है, भले ही उसकी पदस्थापना के चंद ही दिन क्यों न हुए हों। खास बात यह है कि जिन इलाकों में माइनिंग माफिया का अघोषित राज चल रहा हैै, वे इलाके सरकार में मंत्रियों व सत्ता दल के विधायकों वाले हैं। हालत यह है कि जिसने भी अवैध रेत उत्खनन और रेत परिवहन करने वाले वाहनों को पकड़ने का प्रयास किया उसकी जान लेने से भी यह माफिया पीछे नहीं रहता है। यही वजह है कि अब तो कर्मचारी और मध्यम श्रेणी के अफसर इन मामलों में कार्रवाई करने से भी डरने लगे हैं। इसकी वजह से इन माफियाओं द्वारा नदियों का सीना न केवल खुलकर छलनी किया जा रहा है बल्कि पर्यावरणीय नुकसान भी जमकर किया जा रहा है। इसका बड़ा कारण है इस माफिया को राजनैतिक और आला अफसरों का खुलकर संरक्षण होना।
इस मामले में बेहद गंभीर स्थिति बुंदलेखंड, ग्वालियर-चंबल और राजधानी से सटे होशंगाबाद इलाके की है। प्रदेश में यह माफिया बीते डेढ़ दशक में जमकर फलाफूला है। यह बात अलग है कि समय-समय पर सरकार द्वारा इस माफिया के खिलाफ संयुक्त रुप से कार्रवाई करने के निर्देश दिए जाते हैं, लेकिन वह महज दिखावे तक ही सीमित रहता है। खास बात यह है कि इस तरह के मामलों में खनिज विभाग तो कभी कोई कार्रवाई करता नजर नहीं आता है, वहीं पुलिस विभाग भी थाने के सामने से अवैध रेत परिवहन के वाहन निकालने पर उनके खिलाफ कार्रवाई करने की जगह उनसे वसूली करने में ही रुचि लेता रहता है। हालांकि इसकी जानकारी सभी जिम्मेदार अफसरों को भी रहती है, लेकिन यह अफसर कार्रवाई करने की जगह लक्ष्मी दर्शन में लगे रहते हैं। यही वजह है कि इस माफिया के लोग दिनरात अवैध हथियारों से लैस होकर सड़कों पर बैखोफ खनिज, खासतौर पर रेत का परिवहन करते रहते हैं। इस कारण से ग्वालियर-चंबल इलाके के तहत आने वाले भिंड, मुरैना, दतिया, श्योपुर, शिवपुरी और उसके आसपास के इलाकों में तो आए दिन कार्रवाई करने की हिम्मत दिखाने वाले निचले अमले पर जानलेवा हमले होते ही रहते हैं।
इस तरह की आए दिन होने वाली घटनाओं के बाद भी प्रशासन इस माफिया के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठाता है। इसी तरह के मामलों में हाल ही में मुरैना जिले में वन विभाग के एसडीओ के पद पर पदस्थ श्रद्धा पंद्रे और उनकी टीम पर करीब एक सैकड़ा लोगों ने हमला कर दिया था। जिसमें वे बाल-बाल बच गई, लेकिन उनके साथ मौजूद एसएएफ का एक जवान घायल हो गया था। खास बात यह है कि निचले अमले के साथ मौजूद पुलिसकर्मियों को तैनाती सिर्फ दिखावे के लिए की जाती है। उन्हें हमले के दौरान गोली चलाने की अनुमति नहीं होती है। श्रद्धा ऐसी महिला अफसर हैं, जिन पर अब तक आधा दर्जन बार यह माफिया हमला कर चुका है। खास बात यह है कि हर बार उनके द्वारा पुलिस से लिखित शिकायत की जाती है, लेकिन पुलिस का रुख कार्रवाई करने की जगह बेरुखी वाला बना रहता है।
हाल ही में हुई इस तरह की घटनाएं
हाल ही में जिन जिलों में इस तरह के हमले की घटनाएं हुई हैं, उनमें श्योपुर जिले के तहत आने वाले ग्राम इंद्रपुरा में पार्वती नदी से अवैध रेत परिवहन करने वाले वाहन को पकड़ने पर खनिज अधिकारी भावना सेंगर पर हमला कर दिया गया था। इसके पहले 7 फरवरी को कंदरपुर घाटी में प्रशासन की संयुक्त टीम के सामने ही रेत ठेकेदार के एक कर्मचारी को माफिया के लोगों ने बंदूक की बट से जमकर पीटा था। यही नहीं भिंड जिले में भी 26 अप्रैल को रानीपुरा इलाके में भी चंबल सेंचुरी की टीम पर हमलाकर कई लोगों को घायल कर दिया गया था। अभी हाल ही में 10 जून को शिवपुरी जिले दिनदहाड़े एक युवक को माफिया ने सिर्फ इसलिए गोली मार दी क्योंकि उसने अपने खेत से अवैध रेत परिवहन के वाहन निकालने से मना कर दिया था।
इन इलाकों में भी माफिया का राज
होशंगाबाद, बड़वानी , रायसेन, बैतूल और छतरपुर जिलों में भी माफिया का राज चलता है। इन सभी जिलों में भी समय-समय पर प्रशासन के अलावा रेत ठेकेदारों के कर्मचारियों पर हमलों की घटनाएं होती रहती हैं। खास बात यह है कि अवैध रेत से भरे वाहन दिनभर एक नहीं बल्कि कई थानों के सामने से बेधड़क होकर तेज रफ्तार आते-जाते रहते हैं, लेकिन मजाल है कि पुलिस उन पर कोई कार्रवाई करने की हिम्मत दिखा सके। खास बात तो यह है कि छतरपुर जिले में तो एक विपक्षी दल के माननीय उप्र के एक पूर्व माननीय के भाई के साथ इस कारोबार में लगे हुए हैं। बता दें कि उनका इसको लेकर पूर्व में एक आॅडियो तक वायरल हो चुका है। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी तरह से होशंगाबाद जिले में भी कई राजनैतिक रसूखदारों द्वारा इसी तरह से अवैध रेत का कारोबार किया जा रहा है।

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