विदेशियों को ताकत दे रहा मध्यप्रदेश का महुआ

महुआ
  • यूरोप ने कोरोना काल के बाद हमारे महुए को लेकर कई प्रयोग किए …

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में देशी शराब के कारण बदनाम महुआ इनदिनों विदेशियों को ताकत दे रहा है। यूरोप के कई देशों में मप्र का महुआ न केवल अपनी खुशबू बिखेर रहा है बल्कि शुद्ध और प्राकृतिक महुआ को तीन गुना ज्यादा कीमत मिल रही है। दरअसल, महुए की ताकत और खासियत को यूरोप ने न केवल पहचाना है बल्कि अब उसका प्रयोग भी करना शुरू कर दिया है। गौरतलब है कि महुआ का जड़, धड़, तना, पत्ती, फूल और फल सब फायदेमंद होते हैं।
महुआ की छाल का इस्तेमाल क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, डायबिटीज मेलिटस और ब्लीडिंग में किया जाता है। गठिया और बवासीर की दवाई के रूप में महुआ की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी जड़ सूजन, दस्त और बुखार में बहुत असरकारक होती है। खास बात ये हैं महुआ बहुत लंबे समय तक सुखा कर स्टोर किया जा सकता है। एक बार जब ये सूख जाता है तो सालों तक इसका प्रयोग किया जा सकता है। महुए की इन विशेषताओं को अब यूरोप ने पहचान लिया है। महुआ में कार्बोहाइड्रेट, फैट और प्रोटीन के साथ ही कैल्शियम, फास्फोरस आयरन, कैरोटीन और विटामिन सी भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इतने पोषक तत्वों से भरे होने के कारण इसे खाने के बहुत से फायदे होते हैं। इसलिए महुए से विदेश में अब एनर्जी बार बनेगी। इसके लिए यूरोप के कई देशों ने मप्र से महुआ मंगाना शुरू कर दिया है। प्रदेश के कई जिलों से महुआ ब्रिटेन समेत कई देशों में भेजा जा रहा है।
महुए में सभी पोषक तत्व: विदेशी कंपनी ने महुआ सैंपल की जांच की, जिसमें जरूरत के सभी पोषक तत्व मिले हैं। लघु वनोपज संघ की एएमडी अर्चना शुक्ला के अनुसार, महुआ से अलग-अलग प्रोडक्ट तैयार करने को लेकर यूरोप के कई देशों की कंपनियां रिसर्च कर रही है। धीरे-धीरे इससे बनी चाय वहां फेमस हो रही है। अभी ग्रामीण अंचलों में इसके लड्डू तैयार किए जाते हैं तो वन धन केंद्र कुकीज और बिस्किट तैयार कर रहा है। अच्छी कीमत और पोषण भी महुआ आदिवासियों की आय का स्रोत माना जाता है। उन्हें जहां महुआ से आर्थिक मजबूती मिलती है तो खाने में भी इसका उपयोग भरपूर करते हैं। उनका मानना है कि इनके पुरखे महुआ को कई विधियों से उपयोग करते थे। इसके कारण वह गंभीर बीमारी से बचे रहते थे। वैद्य के बताए अनुसार ही वे इसका भरपूर उपयोग करते हैं।
महुआ के फल और फूल से बन रहा एनर्जी चॉकलेट
मप्र सहित देशभर में महुए का प्रयोग अभी सीमित है। लेकिन यूरोप के देश उसके नए-नए प्रयोग कर रहे हैं। यूरोप में एनर्जी बार और एनर्जी चॉकलेट बनाने के लिए महुआ के फल और फूल का उपयोग किया जा रहा है। यूरोप की एक कंपनी पहली बार इससे एनर्जी बार बनाने जा रहा है। बता दें कि यूरोप ने कोरोना काल के बाद हमारे महुए को लेकर कई प्रयोग किए। इसकी चाय अब वहां काफी पॉपुलर हो रही है। कंपनी का मानना है कि इससे बनने वाली एनर्जी बार इम्युनिटी बूस्टर का काम करेगी। उसकी मांग के अनुसार नर्मदापुरम के केसरा से 17 क्विंटल महुआ एक्सपोर्ट किया गया। इसे करीब 105 रुपए की किलो की दर से बेचा गया। लघु वनोपज संघ के अधिकारियों के अनुसार महुआ संग्रहण का न्यूनतम मूल्य 35 रुपए है। अच्छी क्वालिटी का होने पर भी 40-45 रुपए किलो से ज्यादा भाव नहीं मिल पाता है। लघु वनोपज संघ ने पिछले साल पूरे प्रदेश से करीब 35 हजार क्विंटल महुआ का संग्रहण कराया था। अन्य देशों में इसे बेचने के प्रयास भी किए गया। पहली सफलता लंदन में मिली। यहां की एक कंपनी ने एनर्जी बार बनाने के लिए महुआ खरीदने की इच्छा जताई।
20 टन महुआ इंग्लैंड गया
गत वर्ष अक्टूबर में सीधी जिले से 20 टन महुआ इंग्लैंड भेजा गया। इंग्लैंड की कंपनी ने जिला प्रशासन सीधी से बात कर महुआ सैंपल की जांच की, जिसमें जरूरत के सभी पोषक तत्व मिले हैं। फॉरेस्ट कंपनी के डायरेक्टर दीपम और तकनीकी विशेषज्ञ अनिल पटेल करीब अगस्त 2022 में सीधी आए थे। ग्राम पंचायत चमराडोल में स्व सहायता समूह की महिलाओं व प्रधानमंत्री वन बंधन समिति से बात की। अब इस साल 300 टन महुआ की खरीद की जाएगी। गुणवत्तापूर्ण महुआ संग्रहण के लिए कुसमी और मझौली के 150 स्व सहायता समूह, 58 वन समिति के साथ ग्रामीणों को ट्रेनिंग दी जाएगी। आजीविका मिशन के प्रबंधक पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि इंग्लैंड में महुआ का उपयोग चीनी की वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में किया जाएगा। महुए से एनर्जी ड्रिंक, बिस्किट, लड्डू के साथ पौष्टिक खाद्य सामग्री निर्माण किया जाएगा।

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