मध्यप्रदेश सरकार अब मवेशियों को खिलाएगी चॉकलेट

चॉकलेट
  • हरे चारे का विकल्प चॉकलेट विटामिन और प्रोटीन से है भरपूर …

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के गाय, भैंस समेत अन्य मवेशी अब चॉकलेट खाएंगे। इससे मवेशियों में दुग्ध उत्पादन और प्रजनन दर में सुधार करने में मदद मिलेगी। जबलपुर स्थित नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय ने मवेशियों के चारे और आहार के एक स्वादिष्ट  विकल्प को चॉकलेट के रूप में खोजा है।  वैज्ञानिकों का  फोकस दूध देने वाले पशुओं पर ज्यादा है। नए उत्पाद को बाजार में लाने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी गई है। सरकार से अनुमति मिलने के साथ यह उत्पाद किसानों के लिए बाजार में उपलब्ध हो जाएगा। जबलपुर स्थित विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसपी तिवारी ने बताया कि दो महीने के शोध के बाद विश्वविद्यालय ने मवेशियों के लिए मल्टीविटामिन और खनिज युक्त चॉकलेट तैयार की है। यह चॉकलेट मवेशियों के लिए हरा चारा नहीं होने पर वैकल्पिक आहार भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रदेश के पशु चिकित्सा और पशुपालन विभाग की सहायता से प्रदेश भर में किसानों की जल्दी चॉकलेट की आपूर्ति करेगा। उन्होंने बताया कि इसको लेकर मध्यप्रदेश सरकार को पत्र लिखा है। सरकार  से अनुमति मिलने के बाद यह उत्पाद बाजार में उपलब्ध करा दिया जाएगा। तिवारी ने कहा कि विश्वविद्यालय की चॉकलेट उत्पादन तकनीक को पशु चिकित्सा स्नातकों को हस्तांतरित करने की योजना है। यह उनके लिए बेहतर विकल्प भी है, जो चॉकलेट उत्पादन के लिए स्टार्टअप इकाई खोलने के इच्छुक हैं। उन्होंने कहा कि यह चॉकलेट विटामिन और प्रोटीन से भरपूर है। यह मवेशियों में दूध उत्पादन, प्रजनन दर और उनकी गर्भाधान की दर को बढ़ाने वाली है।
    चॉकलेट का नाम- नर्मदा विटामिन लिक
     विश्वविद्यालय ने चॉकलेट का नाम नर्मदा विटामिन लिक दिया गया है। लेकिन यह चॉकलेट आम इंसानों की चॉकलेट से अलग है क्योंकि इसे खाने से किसी भी तरह का नुकसान नहीं बल्कि फायदा ही फायदा होगा अमूमन दूध वाली अवधि या उस वक्त जब गाय के खाने के लिए वह तमाम जरूरी सामग्रियां नहीं मिलती जिसकी उसे जरूरत होती है। उस वक्त चारा और भूसे के अलावा यह कैंडी उनके सेहत के लिए बेहद लाभकारी होगी। इसमें आयोडीन, गुड़ समेत कई आवश्यक चीजों को मिलाया गया है जो जानवरों को खाने में मीठी और स्वादिष्ट लगेगी। जानवर इसे चाट कर खा सकेंगे और एक कैंडी करीब-करीब तीन से चार दिन में खत्म होगी।
    पोषक तत्वों से भरपूर
    वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति बताते हैं कि उन्होंने पशु पोषण विभाग को यह जिम्मेदारी दी थी कि वह जानवरों के लिए खास किस्म का फूड सप्लीमेंट तैयार करें जिससे जानवरों को तमाम पोषक तत्व भरपूर मात्रा में मिल सके। विशेषज्ञों द्वारा तैयार की इस चॉकलेट को तकनीकी भाषा में कैटल चॉकलेट, कहा जा रहा है जिसे जल्द ही मार्केट में उपलब्ध कराया जा सकेगा। इससे गाय या भैंस में होने वाली तमाम दिक्कतों को दूर करने में आसानी होगी तो वहीं दूध का प्रोडक्शन भी बढ़ सकेगा। विश्वविद्यालय अब जल्द ही इन कैटल चॉकलेट को किसानों तक उपलब्ध कराने शासन को पत्र लिखने जा रहा है और सरकारी मशीनरी के आधार पर ही इसे प्रदेश भर में जल्द उपलब्ध कराया जाएगा।
    चॉकलेट का प्रत्येक टुकड़ा लगभग 500 ग्राम का
    मवेशियों को चॉकलेट सीधे भी दी जा सकती है और अन्य चारे के साथ मिलाकर भी दिया जा सकता है। तिवारी ने कहा कि चॉकलेट का प्रत्येक टुकड़ा लगभग 500 ग्राम का होता है और इसे पारंपरिक रूप से मवेशियों के चारे में इस्तेमाल होने वाली सामग्री से तैयार किया गया है। इसे सरसों की खली, चावल की भूसी, गुड़, स्टार्च, चूना पाउडर और नमक मिलाकर बनाया गया है। चॉकलेट के एक टुकड़े की कीमत लगभग 25 रुपए होगी। प्रयास यह है कि किसान इसका उपयोग कर अपने दुग्ध उत्पादन को बढ़ाएं। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने चॉकलेट के उत्पादन के लिए लकड़ी के सांचे डिजाइन किए हैं। शुरूआती प्रयोग के तौर पर फिलहाल 500 टुकड़े तैयार किए जा चुके हैं।

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