नवाचारों का गढ़ बना मप्र

 शिवराज
  • विकास के सहारे सबको साध रहे शिवराज

2005 में जब शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री का पद संभालाते ही मप्र को उत्तम प्रदेश बनाने का संकल्प लिया था। आज उसी का परिणाम है कि मप्र विकास में उच्च मुकाम हासिल कर पाया है। शिवराज सिंह चौहान की विकासात्मक नीति का ही परिणाम है कि आज मप्र नवाचारों का गढ़ बन गया है। प्रदेश में पिछले 18 साल में विकास के इतने नवाचार हुए हैं कि उन्हें अपनाकर कई राज्य आज मप्र का अहसान मान रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मप्र को नई पहचान देने में सफल हुए हैं, लेकिन वे उस पथ के राही हैं जो बिना थके अपने प्रयासों को जारी रखता है, एक जिद और जुनून के साथ विकास के नए-नए आयामों को स्पर्श करना चाहता है।

विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)।
मप्र विधानसभा चुनाव को अब करीब 10 माह का समय बचा है। मप्र में मुख्यमंत्री के तौर पर पांचवी पारी खेलने के लिए शिवराज सिंह चौहान ने विकास का ऐसा चक्रव्यूह रचा है जिसमें कांग्रेस फंस गई है। कांग्रेस की समझ में नहीं आ रहा है कि वह इस चक्रव्यूह को कैसे तोड़े। शिवराज के चक्रव्यूह को तोडऩे के लिए कांग्रेस कभी सॉफ्ट हिंदुत्व, कभी श्रेय की राजनीति, कभी गलत तथ्यों को परोसकर अपनी विफलता का प्रदर्शन कर रही है। उधर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विकास के सहारे सभी वर्ग और सभी क्षेत्र को साधने में जुटे हुए हैं। भाजपा जहां अपने 18 साल के विकास यात्रा के सहारे जनता के बीच पैठ बना रही है, वहीं कांग्रेस अपने 15 माह के शासनकाल का गुणगान कर रही है। भाजपा के पास जनता के सामने परोसने के लिए विकास कार्यों की लंबी-चौड़ी सूची है। वहीं कांग्रेस आरोप-प्रत्यारोप का सहारा ले रही है। चुनावी रणनीतिक लड़ाई में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ अकेले जूझ रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ सत्ता, संगठन, संघ के साथ ही केंद्रीय नेता भी जुटे हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही गृहमंत्री अमित शाह लगातार प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। अब सरकार पूरी तरह चुनावी मोड में काम करेगी। यानी विधानसभा चुनाव को देखते हुए प्रदेश में अब विकास कार्यों की बहार आने वाली है। आने वाले समय में सडक़ निर्माण, भूमिपूजन, लोकार्पण, शिलान्यास के कार्यों में गति आएगी। इसके लिए सरकार ने खाका तैयार कर लिया है। इसके तहत विधानसभावार विकास कार्य कराए जाएंगे।
गौरतलब है की पूर्व में सरकार ने विधायकों से उनके क्षेत्र में होने वाले विकास कार्यों की सूची मांगी थी। जिसमें सडक़ों को प्राथमिकता में रखा गया था। दरअसल, सरकार विधानसभा चुनावों से पहले तेजी से विकास कार्य करना चाहती है ताकि इसका सीधा लाभ उसे आने वाले चुनावों में मिल सके। इसलिए सभी विभागों से सीएम डैशबोर्ड पोर्टल पर कई तरह की जानकारियां मांगी गई है ताकि सीएम उनकी समीक्षा कर सके। विभागों से कहा गया है कि अगले एक साल के भीतर होने वाले लोकार्पण, शिलान्यास की जानकारी शासन को अलग से भी भेजी जानी है। इसमें भूमिपूजन व शिलान्यास कार्य के नाम के साथ जिला और विधानसभा/ विकासखंड की भी जानकारी देना है। इसी तरह सिंगल क्लिक से दी जाने वाली राशि के मामले में भी जानकारी दिया जाना है। विभागों से इसके लिए सितम्बर तक के लिए संभावित तारीख के बारे में भी पूछा गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सितंबर तक होने वाले पांच करोड़ से अधिक के शिलान्यास, लोकार्पण कार्यों और 50 करोड़ से अधिक राशि की हितग्राहीमूलक योजनाओं की समीक्षा करेंगे। इसके लिए सभी विभागों से जानकारी मांगी गई है। सितंबर तक पांच करोड़ रुपए या उससे अधिक लागत के शिलान्यास योग्य कार्यों की सूची विभागों से मांगी गई है। इसी अवधि में पांच करोड़ या उससे अधिक लागत के लोकार्पण योग्य कामों की सूची भी मांगी गई है। सितंबर तक सिंगल क्लिक के माध्यम से एक बार में पचास करोड़ या उससे अधिक राशि के हितग्राहियों को हितलाभ के रूप में वितरण संबंधी योजनाओं की जानकारी भी विभागों से मांगी गई है। मुख्यमंत्री विभागीय समीक्षा बैठकों की इसी माह शुरुआत करने जा रहे है। इसके लिए आत्मनिर्भर मप्र के रोडमैप अंतर्गत आउटपुट और आउटपुट की पूर्ति की स्थिति की जानकारी मांगी गई है। तीन से 11 जनवरी 2022 की अवधि में आयोजित समीक्षा बैठकों में दिए गए निर्देशों का कितना परिपालन हुआ इसकी समीक्षा भी सीएम करेेंगे। विभागों द्वारा निर्धारित अल्पकालीन, मध्यकालीन, दीर्घकालीन लक्ष्य और उनकी पूर्ति की क्या स्थिति है इस पर भी सीएम सभी विभागो के अधिकारियों से अलग-अलग चर्चा करेंगे। बैठक में विभागीय मंत्री के साथ विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव को उपस्थित रहना अनिवार्य किया गया है। विभागाध्यक्ष और अन्य जिम्मेदार अधिकारी इन बैठकों में वर्चुअली शामिल हो सकेंगे। मंत्रालयीन सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री का फोकस उनके द्वारा की गई घोषणाओं पर है। मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं का कितना क्रियान्वयन हुआ उसकी प्रगति की क्या स्थिति है इस पर भी सीएम बात करेंगे। मप्र लोक सेवाओं के प्रदाय की गारंटी अधिनियम के अंतर्गत वर्तमान में अधिसूचित विभागीय लोक सेवाओं की कुल संख्या और उन लोक सेवाओं की संख्या मय सूची जिन्हें अधिनियम अंतर्गत अधिसूचित किया जा सकता है उसकी जानकारी भी सीएम ने मांगी है। इसके अलावा अंतर्विभागीय समन्वय और केन्द्र सरकार में लंबित प्रकरणों पर भी सीएम विभागीय अफसरों से बात करेंगे। इसके साथ ही मप्र लोक सेवा गारंटी अधिनिनियम के अंतर्गत दी जाने वाली सेवाओं को नोटिफिकेशन किए जाने तथा अंतर्विभागीय समन्वय, नीतिगत मामले और केंद्र सरकार के पास लंबित विभागीय मामलों में भी चर्चा होगी।

प्रदेश में हो रहे लगातार नवाचार
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश भर में लगातार नवाचार किए जा रहे हैं। वर्ष 2023 का आगमन हो गया है। इस बेला में हम पिछली उपलब्धियों पर नजर डालें तो मुख्यमंत्री के सभी कार्य-काल अनूठे पाएंगे। चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद जिस तरह उन्होंने कोरोना महामारी की चुनौती का पूरी नेतृत्व क्षमता के साथ मुकाबला किया, वह बेमिसाल है। चाहे विद्यार्थी हो अथवा किसान, जनजातीय वर्ग के भाई हो या श्रमिक, उनके खातों में वे योजनाओं की राशि पहुंचाते रहे। जब-जब लॉक डाउन की स्थिति आई, आम जनता से जुड़ाव बनाए रखा। उन्होंने प्रदेश के जिले, ग्राम, शहरों की खोज-खबर ली। शिवराज ने मोहल्लों के नाम भी याद कर लिए थे। जहां ज्यादा संक्रमण होता, वहां विशेष नजर रखते, सभी जरूरी प्रबंध करवाते। अंतत: कोरोना नियंत्रित हुआ। मप्र में अधिक नुकसान नहीं होने दिया गया। देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तो प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बखूबी कमान संभाली। अब आने वाला वर्ष विकास की चुनौतियाँ लेकर आया है। जहां मप्र, देश में धार्मिक आध्यात्मिक पर्यटन का नया केंद्र बन रहा है वहीं उद्योगों की स्थापना के लिए मुख्यमंत्री ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसका सीधा लाभ अर्थ-व्यवस्था को मिलेगा। बेरोजगारी कम होगी। हर हाथ को काम चाहिए, लेकिन सरकारी क्षेत्र से इसकी पूर्ति पूरी तरह संभव नहीं। प्रदेश में जहाँ एक लाख से अधिक सरकारी पदों पर भर्ती की जा रही है, वहीं नई औद्योगिक इकाइयाँ योग्य युवाओं को सेवा का अवसर देने का कार्य करेंगी।
मप्र में अनेक क्षेत्रों में उपलब्धियां अर्जित की हैं। स्वच्छता, सुशासन और स्ट्रीट वेंडर्स के कल्याण के कार्य में मप्र देश में अग्रणी है। सांख्यिकी आयोग बनाने वाले चंद राज्यों में मप्र न सिर्फ शामिल है बल्कि इस क्षेत्र में नेतृत्व कर्ता भी बना है। आंकड़ों के उपयोग से योजनाओं के निर्माण और क्रियान्वयन में मदद मिलती है। मप्र सरकार ने आत्म-निर्भर भारत के लक्ष्य को पूरा करने में अधिक से अधिक योगदान देने का निश्चय किया है। जिस तरह शिवराज जी कार्य कर रहे हैं, वे अन्य प्रांतों के लिए आदर्श के रूप में उभर कर आए हैं। मप्र में कृषि, शिक्षा, सिंचाई, पेयजल, सडक़ परिवहन, विद्युत प्रदाय के हालात बहुत अच्छे हुए हैं। आम जनता को नागरिक सेवाएं मिल रही हैं। इसलिए मप्र सबका दिल जीत रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का मानना है कि प्रदेश को एक या दो नहीं, अनेक क्षेत्रों में अग्रणी बनाना है। विभिन्न क्षेत्रों में बेहतरीन कार्य करके मप्र आदर्श राज्य बने। मुख्यमंत्री ने इसलिए यह निर्णय लिया है कि योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए सभी जिलों में सीएम फैलो संबद्ध किए जायें। सुशासन के क्षेत्र में प्रशिक्षण गतिविधियों को सुव्यवस्थित रुप से संचालित करने के लिए मिशन कर्मयोगी योजना भारत सरकार का महत्वपूर्ण कदम है। मुख्यमंत्री का संकल्प है कि मप्र इसके क्रियान्वयन में आगे रहेगा। इसी तरह जिलों में प्रभारी मंत्रियों के साथ अब रिसर्चर संलग्न करने पर विचार किया जा रहा है। प्रदेश में हाल ही में विज्ञान नीति घोषित हुई है और युवा नीति भी नव वर्ष 2023 के पहले महीने में ही घोषित हो रही है। इसके पश्चात नई सहकारिता नीति भी लागू की जाएगी। मुख्यमंत्री श्री चौहान का विश्वास है कि बेहतर समन्वय और सम्पर्क से मंत्री और अधिकारी मिलकर योजनाओं के अधिक अच्छे परिणाम लाएंगे। आजादी के अमृत काल में आत्म-निर्भर मप्र के लिए वैसे काफी प्रयास हुए हैं। आम जनता को योजनाओं के क्रियान्वयन का बेहतर लाभ दिलवाने के लिए सुशासन के अनेक उपाय मप्र में अमल में लाए गए हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री ने कहा है कि मप्र सरकार भारत सरकार के केपेसिटी बिल्डिंग कमीशन के साथ करारनामा भी करेगी। इसमें प्रशिक्षण कार्यक्रम पर फोकस किया जाएगा। मप्र शासकीय क्षेत्र में मानव संसाधन का आकलन कर उनकी कार्यदक्षता बढ़ाने के लिए कार्य करेगा।

2022 में प्रदेश ने गढ़े अनेक कीर्तिमान
मप्र ने गत वर्ष यानी 2022 में नवाचार के कई कीर्तिमान गढ़े हैं। वर्ष 2022 में अक्टूबर माह की 11 तारीख मप्र के आध्यात्मिक धार्मिक परिदृश्य पर स्वर्ण अक्षरों में अंकित हुई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य सरकार के प्रदेश के संस्कृति और आध्यात्मिक वैभव की पुनस्र्थापना की मुहिम के अंतर्गत द्वादश ज्योर्तिलिंग में से एक महाकाल की नगरी उज्जयिनी में श्री महाकाल महालोक का शिवार्पण किया। सात दशक के बाद भारत की धरती पर मप्र के कूनो पालपुर (जिला श्योपुर) अभयारण्य में अफ्रीकी चीतों का पुनस्र्थापन हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विशेष प्रयासों से मप्र को चीता स्टेट बनने का मौका मिला। भगवान बिरसा मुण्डा की जन्म जयंती का दिन 15 नवम्बर 2022 को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु की उपस्थिति में शहडोल के लालपुर गांव में राज्य स्तरीय जनजातीय गौरव दिवस समारोह में मप्र में पेसा एक्ट लागू किया गया। यह एक्ट लागू करके राज्य सरकार ने जनजातीय वर्ग के लोगों को जल, जंगल, जमीन पर उनके जायज हक दिलाने की ऐतिहासिक पहल की है। वर्ष 2022 में मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना, आजीविका मिशन, पीएम स्व-निधि योजना, मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ- विक्रेता योजना, संत रविदास स्व-रोजगार आदि योजनाओं में 31 लाख से अधिक स्व-रोजगार के नये अवसर सृजित किए गए। लगभग 20 हजार 500 करोड़ रूपए की ऋण सहायता स्वीकृत की गई। स्वामी विवेकानंद जी की जयंती से रोजगार दिवस का आयोजन प्रारंभ हुआ। हर माह करीब 2 लाख रोजगार के नए अवसर सृजित किए जा रहे हैं। स्टार्ट योर बिजनेस इन 30 डेज कार्यक्रम शुरू किया गया। कार्यक्रम में 8 विभागों की 44 सेवाएं 30 दिन के भीतर प्रदाय की जा रही हैं। इनमें से 35 सेवाएं डीम्ड अप्रूवल की श्रेणी में हैं। पोषण आहार की नई व्यवस्था लागू की गई। 7 पोषण आहार संयंत्रों का संचालन महिला स्व-सहायता समूहों समूहों को सौंपा गया। आजीविका मार्ट पोर्टल से अब तक महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा बनाए 531 करोड़ रूपये से अधिक के उत्पाद बिके। महिलाओं के लिये पृथक से इंडस्ट्रियल कलस्टर। स्टार्ट-अप नीति 2022 लागू की गई। मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना लागू की गई। लाड़ली लक्ष्मी योजना 2.0 की लांचिंग की गई। योजना के प्रभाव से बेटियों के प्रति बदला दृष्टिकोण और लिंगानुपात में सुधार हुआ है। बाल विवाह में भी कमी आई है। हर साल 2 मई को लाड़ली लक्ष्मी दिवस मनाने, प्रत्येक शहर में लाड़ली लक्ष्मी पथ और लाड़ली लक्ष्मी वाटिका बनाने का निर्णय लिया गया है।
2022 में परम्परागत फसलों के स्थान पर लाभकारी फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए फसल विविधीकरण योजना लागू की गई। मप्र औषधीय पादप बोर्ड का गठन हुआ। मुख्यमंत्री राशन आपके ग्राम योजना 89 जनजातीय बहुल विकासखंडों में लागू कर 472 जनजातीय युवाओं को राशन वाहन के लिए 10 करोड़ 80 लाख रूपये से अधिक की सहायता दी गई। सिकलसेल मिशन प्रदेश के सभी 89 जनजातीय बहुल विकासखंडों में लागू कर 10 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया गया। मप्र स्वामित्व योजना को लागू करने वाला पहला राज्य बना। योजना में 9 लाख 37 हजार से अधिक भू-अभिलेख वितरित किए गए। भू-माफियाओं के अवैध कब्जे वाली 23 हजार एकड़ भूमि अतिक्रमण से मुक्त कराई गई। मुक्त जमीन पर आवासहीन गरीबों को आवास देने के लिए सुराज कालोनियां बनाने का निर्णय लिया गया है। जोर-जबरदस्ती बहला-फुसला कर विवाह और धर्म परिवर्तन रोकने के लिए प्रदेश में धर्म स्वातंत्रय विधेयक लागू किया गया है। मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म के दोषियों को कानून में मृत्युदंड का प्रावधान है। महिलाओं के विरूद्ध अपराधों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति, हर जिले में एक महिला थाने की स्थापना की जा रही है। साथ ही ऊर्जा महिला, आपरेशन मुस्कान, पंख अभियान और गौरवी सेंटर का सफल संचालन किया जा रहा है। सायबर तहसील की क्रांतिकारी अवधारणा लागू की गई। राजस्व प्रकरणों के निराकरण की प्रक्रिया फेसलेस और पारदर्शी बनी। आजादी के अमृत महोत्सव में 9 करोड़ घनमीटर जल भंडारण क्षमता के 6 हजार से अधिक अमृत सरोवर का निर्माण कराया गया। मप्र मत्स्य महासंघ मर्यादित को सर्वश्रेष्ठ महासंघ का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। शहर और गांव के गौरव दिवस मनाने की परम्परा शुरू की गई। जन-कल्याण के लिए 45 दिन का मुख्यमंत्री जन-सेवा अभियान संचालित कर विभिन्न योजनाओं में पात्र 83 लाख नए हितग्राही शामिल। पंचायत चुनाव में बना समरसता का नया रिकार्ड-780 से अधिक जन-प्रतिनिधि निर्विरोध निर्वाचित हुए। लोक सेवा गारंटी कानून में 600 से अधिक सेवाएं समय-सीमा में प्रदान करने की गारंटी, सीएम हेल्पलाइन के जरिये मुख्यमंत्री तक जनता की सीधी पहुंच, जन-सुनवाई, समाधान ऑनलाइन, सीएम जन-सेवा, समाधान एक दिवस आदि के माध्यम से लोकसेवाओं का प्रदाय और काम-काज की प्रभावी मॉनिटरिंग हो रही है। ओंकारेश्वर में 3500 करोड़ के निवेश से 600 मेगावॉट का देश के पहले फ्लोटिंग सोलर पॉवर प्लान्ट का कार्य शुरू हुआ। बिजली की बचत के लिये ऊर्जा साक्षरता अभियान – 11 लाख 61 हजार से अधिक नागरिकों की सहभागिता हुई है। पर्यटन के माध्यम से रोजगार के अवसर बढ़ाने ग्राम -स्टे और होम-स्टे का नवाचार किया गया है। जल जीवन मिशन में बेहतर कार्य करने और मिशन की राशि का व्यय करने में प्रथम राज्य मप्र बना है। मिशन में अब तक 50 हजार करोड़ रूपये की लागत की नल-जल योजनाएं स्वीकृत, 55 लाख 12 हजार से अधिक ग्रामीण परिवारों के घरों में नल से जल पहुंचा, 7100 से अधिक ग्राम हुए शत-प्रतिशत कवर। प्रदेश का बुरहानपुर जिला बना देश का पहला हर घर नल से जल प्रमाणित जिला बना। मप्र की विकास दर 19.74 फीसदी हुई, जो देश में सबसे ज्यादा है। राज्य की प्रति व्यक्ति आय बढ़ कर एक लाख 37 हजार रूपए हुई। भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थ-व्यवस्था बनाने में मप्र का 550 बिलियन डॉलर का योगदान देने का संकल्प लिया है। हिन्दी में मेडिकल की पढ़ाई करने वाला देश का पहला राज्य बना मप्र। रीवा-सीधी को जोडऩे वाली देश की सबसे लंबी 2280 मीटर टनल हुई शुरू। साढ़े तीन करोड़ आयुष्मान कार्ड बनाकर मप्र आयुष्मान योजना के कार्ड बनाने में देश में प्रथम। मप्र राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग का गठन। स्थानीय निकाय निर्वाचन 27 प्रतिशत आरक्षण के साथ हुए। पीएम स्व-निधि योजना के क्रियान्वयन में मप्र देश में प्रथम। पीएम स्व-निधि एवं मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ-विक्रेता योजना को मिला कर 10 लाख से अधिक पथ विक्रेताओं को ब्याज मुक्त ऋण मुहैया कराया गया।

स्टार्ट अप नीति से आत्मनिर्भर होगा मप्र
मप्र को आत्मनिर्भर बनाने का जो अभियान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुरू किया है उसके लिए कई कार्यक्रम चल रहे हैं। इसी कड़ी में नया आयाम है, राज्य सरकार द्वारा राज्य में स्टार्टअप्स के लिए एक जीवंत और अनुकूल इकोसिस्टम विकसित करने की प्रतिबद्धता। पिछले कुछ समय में ही मप्र को युवाओं, निवेशकों और भारत सरकार से लगातार मिले समर्थन से राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर स्टार्ट-अप गतिविधियों में आशा से अधिक वृद्धि देखी गई है। प्रदेश में वर्ष 2016 में डीपीआईआईटी से मान्यता प्राप्त सिर्फ 7 स्टार्टअप थे, अब डीपीआईआईटी से मान्यता प्राप्त लगभग 2584 से अधिक स्टार्टअप प्रदेश में हैं। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि इनमें 44 प्रतिशत से अधिक स्टार्टअप की प्रवर्तक महिलाएं हैं। मप्र के स्टार्टअप्स एरोनॉटिक्स, रक्षा, कृषि, ए.आई. एनीमेशन, फैशन, फिन-टेक, खाद्य प्र-संस्करण जैसे विभिन्न क्षेत्र में कार्यरत है। इन स्टार्टअप में शीर्ष 5 क्षेत्र आईटी परामर्श, निर्माण और इंजीनियरिंग, कृषि-तकनीक, खाद्य प्र-संस्करण, व्यवसाय सहायता सेवाएँ प्रमुख हैं। प्रदेश के अधिकांश स्टार्टअप ने पिछले 6 वर्षों में धीरे-धीरे आईडीएशन स्टेज से अपनी यात्रा शुरू करने के बाद आज सफल व्यवसाय स्थापित कर महत्वपूर्ण उपलब्धि अर्जित की है। प्रदेश का स्टार्टअप ईकोसिस्टम अब मप्र स्टार्टअप पॉलिसी 2022 के नियमों के अंतर्गत काम करने लगा है। पॉलिसी का क्रियान्वयन एमएसएमई विभाग कर रहा है। विभाग अपने स्टार्टअप इकोसिस्टम के विकास के लिए डीपीआईआईटी और स्टार्टअप इंडिया के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहा है। डीपीआईआईटी द्वारा जारी ‘राज्यों की स्टार्टअप रैंकिंग’ के दोनों संस्करण में मप्र अग्रणी रहा है। यही नहीं राज्य के स्टार्टअप ईकोसिस्टम की और भी कई उपलब्धियाँ रही हैं। स्टार्टअप से जुड़े सभी हितधारकों जैसे स्टार्ट-अप, इनक्यूबेटर, सेंटर, निवेशक, स्टार्ट-अप पार्टनर, राज्य सरकार और एमपी स्टार्टअप सेंटर को स्टार्टअप पोर्टल से जोड़ा गया है। स्टार्टअप इंडिया पोर्टल पर पहले से पंजीकृत और मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप, अपने मौजूदा लॉग-इन का उपयोग कर एमपी स्टार्ट अप पोर्टल में प्रवेश कर सकते हैं।
मप्र का स्टार्ट-अप ईकोसिस्टम विभिन्न क्षेत्र के स्टार्ट-अप के वर्गीकरण के साथ विकसित हुआ है। राज्य सरकार ने इसके लिये एक स्वतंत्र निकाय का गठन किया है। नई नीति में स्टार्ट-अप के लिए कई प्रक्रियाओं को सरल और आसान बनाया गया है। सार्वजनिक खरीद को आसान बनाने से लेकर नई स्टार्ट अप नीति में इनक्यूबेटरों को ज्यादा समर्थन की पेशकश की गई है। नई नीति एक मजबूत वित्त पोषण तंत्र का विकास भी करती है। साथ ही ग्रामीण नवाचार को संगठित करने के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों में भी स्टार्ट अप के प्रति अधिकतम जागरूकता और पहुँच पैदा करती है। प्रदेश की नीति के प्रमुख तत्वों में से एक प्रदेश के स्टार्टअप सेंटर की स्थापना है। यह सेंटर राज्य के स्टार्ट-अप को सुविधाएँ और जरूरी सहायता देगा। सेंटर राज्य में स्टार्ट-अप तंत्र को बढ़ावा देने, उन्हें मजबूत करने और सुविधा देने के लिए एक समर्पित एजेंसी के रूप में काम करेगा। मप्र की स्टार्ट अप नीति 2022 की अनेक विशेषताएँ हैं, जो इसे देश में अलग पहचान देती है। संस्थागत रूप से विषय-विशेषज्ञों के साथ मध्य प्रदेश स्टार्ट-अप सेंटर की स्थापना, मजबूत ऑनलाइन पोर्टल का विकास, राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय तकनीकी और प्रबंधन संस्थानों/विश्वविद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों से जरूरी शैक्षणिक सहायता का आदान-प्रदान का प्रावधान नीति की विशेषताएँ हैं। मप्र की नीति स्टार्टअप और इन्क्यूबेटर दोनों के लिए राजकोषीय और गैर-वित्तीय प्रोत्साहनों में समन्वय करती है। इस नीति में संस्थागत विपणन, वित्तीय और व्यावसायिक सुविधा स्टार्ट-अप और इनक्यूबेटर ईकोसिस्टम को विकसित और उन्हें जरूरी सहायता प्रदान करने का प्रावधान है।वित्तीय सहायता के रूप में नीति में सेबी, आरबीआई द्वारा मान्यता प्राप्त वित्तीय संस्थानों से सफलतापूर्वक निवेश प्राप्त करने पर 15 प्रतिशत की दर से अधिकतम 15 लाख रूपए तक की सहायता दी जाएगी। यह सहायता अधिकतम 4 बार दी जाएगी। इसी तरह महिलाओं के स्टार्ट-अप के लिए 20 प्रतिशत की अतिरिक्त सहायता देने का प्रावधान है। फंड जुटाने की प्रक्रिया में स्टार्टअप्स का सपोर्ट करने वाले इन्क्यूबेटरों को इनके अलावा 5 लाख रूपए तक की सहायता दी जाएगी। ईवेंट आयोजन के लिए संबंधित राज्य के इन्क्यूबेटरों को प्रति ईवेंट 5 लाख रूपए तक की सहायता दी जाएगी। इसकी सीमा अधिकतम प्रति वर्ष 20 लाख रूपए होगी। इन्क्यूबेटरों की क्षमता वृद्धि के लिए 5 लाख रूपए तक की सहायता दी जाएगी। मासिक लीज रेंटल के लिए 50 प्रतिशत तक की सहायता अधिकतम 5000 रूपए प्रति माह तीन वर्ष के लिए दी जाएगी। पेटेंट प्राप्त करने के लिए भी 5 लाख रूपए तक की सहायता दिए जाने का प्रावधान नीति में है। उत्पाद-आधारित स्टार्ट-अप के लिए विशेष वित्तीय सहायता में कौशल विकास एवं प्रशिक्षण के लिए किए गए व्यय की प्रतिपूर्ति 13000 रूपये तक प्रति कर्मचारी प्रतिवर्ष 3 वर्ष के लिए और रोजगार सृजन के लिए 5000 रूपये प्रति कर्मचारी प्रति माह की सहायता, अधिकतम 3 वर्ष के लिए दी जाएगी। कनेक्शन की तारीख से 3 साल के लिए बिजली शुल्क में छूट एवं नए बिजली कनेक्शन के लिए 5 रूपए प्रति यूनिट की दर 3 साल के लिए निर्धारित किए जाने का प्रावधान है। स्टेट इनोवेशन चैलेंज के तहत वित्तीय और गैर-वित्तीय सहायता में राज्य सरकार द्वारा सामाजिक-आर्थिक समस्या को हल करने वाले चुने हुए चार स्टार्टअप को प्रति स्टार्टअप एक करोड़ रुपये तक चार चरण में अनुदान दिए जाने का प्रावधान है। अब नीति अनुसार विपणन के क्षेत्र में 1 करोड़ रूपए तक की खरीदी में अनुभव एवं टर्नओवर से संबंधित छूट का प्रावधान किया गया है। राज्य सरकार की निविदाओं और अनुरोध के प्रस्ताव के लिए जमानत राशि से छूट के साथ ही स्टार्ट-अप को केन्द्र से टीआरईडीएस प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाना भी महत्वपूर्ण है।

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