एक सिद्धहस्त राजनेता की एक जिम्मेदार पति और पिता की छवि

  • संजीव परसाई
सिद्धहस्त राजनेता

मध्यप्रदेश के चुनाव में शिवराज जी की प्रचंड विजय के बाद एक मोहक तस्वीर सोशल मीडिया पर विचरण कर रही है। जिसमें वे अपने परिवार के साथ किसी स्थान पर भोजन कर रहे हैं। यह तस्वीर मोहक इस अर्थ में है कि यह एक सिद्धहस्त राजनेता की एक जिम्मेदार पति और पिता की छबि सामने रखती है।
राजनीति में किसी को भी एक तटस्थ या आत्मकेंद्रित व्यक्ति के रूप में बहुत आसानी से स्थापित किया जा सकता है। इसे ही परसेप्सन की राजनीति कहते हैं, जिसे बनाना और तोडऩा बहुत कम नेताओं को आता है। शिवराज जी ने इसमें भी बाजी मार ली है। मध्यप्रदेश के नतीजों की समीक्षा करने में राजनीतिक विश्लेषक उनकी लोकलुभावन योजनाओं, राजनीतिक दांवपेंच को प्रमुखता से रेखांकित करके इस जीत को हल्का कर रहे हैं। चुनाव पूर्व समीक्षाओं में उन्हें हर फोरम पर जीत या जीत के करीब दिखाया जा रहा था। इस प्रचंड बहुमत की तो कल्पना भी किसी को नहीं थी। चुनाव पूर्व समीक्षाओं, खबरों में उनको एंटी इनकंबेंसी से जूझते नेता के रूप में दर्शाया जा रहा था। उन्हें उनके साथ अकेले छोडऩे का भी प्रयास किया गया। आज इसे रणनीति का नाम देकर रणनीतिकार स्वयं को महिमामंडित भी कर सकते हैं, लेकिन सत्य तो यही है कि उनकी उपलब्धियों और सरोकारों को कम करके आंका जा रहा था। उनका फीनिक्स पक्षी वाला बयान और वे सफलता की अंतिम सीढ़ी तक बिना थके दौड़ते गए। शिवराज जी ने खुद को उस प्लूटो की तरह स्थापित किया, जिसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आज लाखों प्रकाशवर्ष दूर बैठे कुछ लोग आजकल उसे ड्वार्फ याने बौना ग्रह कहने लगे हैं।
इस जीत में उनके सौम्य व्यक्तित्व और अजातशत्रु की छबि ने यह पूरा तानाबाना बुना। जो मुद्दों और राजनीतिक बयानबाजी के नीचे सुलगती रही और किसी को दिखाई ही नहीं दी। उनकी पब्लिक इमेज, अंदाज और संवेदनशील स्वभाव ने उनके बयानों और वादों को विश्वसनीयता प्रदान की। यहां तक कि विपक्ष भी जानता था कि उनके कद का कोई नेता उनके पास नहीं है, सो उन्होंने भी खुद के लिए सिर्फ जीत या जीत के करीब का ही लक्ष्य रखा था।
हर बार की तरह आज भी इस सफलता के कई दावेदार हैं, लेकिन असली और एकमात्र दावेदार शिवराज स्वयं हैं, उनकी अथक मेहनत, जीवंत संपर्क उनको विराट जन नेता के रूप में स्थापित करती है। इस शानदार जीत के बाद अगर मध्यप्रदेश की आठ करोड़ जनता देश को मध्यप्रदेश से प्रधानमंत्री देने का मन बना ले तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
फिलहाल तो प्रदेश उनकी ताजपोशी के एक बड़े जश्न की तैयारी कर रहा है ।

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