प्रशासन की अनदेखी, रेत माफिया काट रहा चांदी

रेत माफिया

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में अफसरों की लापरवाही से जहां सरकार को राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है तो वहीं रेत माफिया जमकर चांदी काट रहा है। इस मामले में होशंगाबाद के बाद अब बैतूल भी पीछे नहीं रह रहा है। खास बात यह है कि इन पर कार्रवाई करने की हिम्मत जिला प्रशासन तक नहीं दिखा पा रहा है। प्रदेश में यह हाल तब बने हुए है, जब सूबे के मुखिया कई बार खनन माफिया पर अंकुश लगाने के लिए साफ -साफ कह चुके हैं।
अगर बैतूल की बात की जाए तो जिले में रेत की 47 खदानों का ठेका होने के बाद भी अब तक अनुबंध नहीं किया गया है, जिसकी वजह से उनका संचालन शुरू नहीं हो पा रहा है। इसका फायदा उठाते हुए रेत माफिया रेत का खनन और परिवहन धड़ल्ले से कर रहा है। बैतूल के रेत सप्लायर घोड़ाडोंगरी क्षेत्र में अवैध रेत खनन करकर उसका खुलेआम परिवहन कर रहे हैं। घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बादलपुर, डेहरी आमढाना ओर फुलबेरिया से बहने वाले पहाड़ी नालों समेत भड़ंगा नदी से बड़े पैमाने पर रेत का अवैध खनन हो रहा है। चोपना क्षेत्र के बादलपुर इलाके में बने जलाशय के आसपास से बडे पैमाने पर रेत खनन कर डंपरों से रेत का अवैध रूप से परिवहन करने में माफिया जुटा हुआ है। इस क्षेत्र में रेत के अवैध खनन और परिवहन पर पुलिस भी रोक लगाने को तैयार नही है। हद तो यह है कि प्रशासनिक अधिकारियों को कलेक्टर ने रेत के अवैध खनन और परिवहन पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं पर कहीं पर भी अवैध रेत का परिवहन करने वाले वाहनों को न तो रोका जा रहा है और न नदियों के आसपास खनन देखने तक की जहमत उठाई जा रही है। दिन दहाड़े मजदूरों की मदद से नदी से रेत का खनन किया जाता है और उसे किनारे पर ट्रैक्टर ट्राली में भरकर एकत्र कर देते हैं। यहां से शाम होते ही बुलडोजर की मदद से रेत को डंपरों में भरकर जिले  के अलग-अलग क्षेत्रों में रवाना कर दिया जाता है। चोपना क्षेत्र से अवैध रेत लेकर डंपर पुलिस चौकी और थानों के सामने से भी गुजरते हैं। लेकिन इन पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है यह सवाल आम जनता के मन में उठ रहा है।
मनमाने दाम पर बिक रही रेत
जिले में रेत की एक भी वैध खदान प्रारंभ न होने से अवैध खनन करने वाले मनमाने दाम पर रेत बेच रहे हैं। 100 फीट की एक ट्राली रेत के दाम बैतूल शहर में छह हजार रुपये से 6400 रुपये हैं। 400 फीट का डंपर 25 हजार रुपये और 800 फीट का डंपर 50 हजार रुपये से 52 हजार रुपये में लोगों को खरीदना पड़ रहा है। भवन निर्माण का ठेका लेने वाले अर्जुन कनेरे ने बताया कि रेत न मिलने के कारण जून से काम बंद पड़े हुए थे।
रेत के भंडारण का मामला न्यायालय पहुंचा
ढोढरामोहार और गुवाड़ी में 64 हजार 12 घनमीटर रेत का भंडारण जून 2022 में किया था। रेत खदानों का ठेका खत्म होने के बाद खनिज विभाग ने रेत का जब्त कर उसकी नीलामी आफसेट प्राइज दो करोड़ 28 लाख 84 हजार 290 रुपये निर्धारित कर की थी। हैदराबाद की कंपनी ने तीन करोड़ 48 लाख 89 हजार 999 रुपये की बोली लगाकर टेंडर हासिल कर लिया। रेत का भंडारण करने वाली और उसके पहले ठेका लेने वाली कंपनी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी। भंडारित की गई रेत भी आम लोगों को नही मिल पा रही है। लोगों को अवैध रूप से खनन कर बेची जा रही रेत को मंहगे दाम पर खरीदना पड़ रहा है।

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