
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। एमपी पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन की संविदा उपयंत्री पर लोकायुक्त पुलिस के छापे में मिली करोड़ों की संपत्ति के बाद कई चौकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। इस मामले में अगर हेमा ने मुंह खोला तो माना जा रहा है की दो दर्जन अफसर फंस सकते हैं। इस पूरी कार्रवाई के बाद इस कारपोरेशन के सभी अफसर व कर्मचारी संदेह के घेरे में हैं । इसके अलावा कई अन्य दूसरे विभागों में पदस्थ आला अफसरों से भी उसके संबंधों का खुलासा हुआ है। दरअसल वह अन्य अफसरों को पपी भेंट कर उनसे मधुर संबंध बना लेती थी । अफसरों की मेहरबानी उस पर इससे समझी जा सकती है कि उसके नौकरी छोड़ने के बाद भी उसे हर बार मर्जी के अनुसार संविदा पर नौकरी दे दी जाती थी। इससे उसके रसूख का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह रसूख किन अफसरों की वजह से था, अगर इसकी जांच हो जाती है तो कई बड़े चेहरे बेनकाब हो जाएंगे। इस मामले में कारपोरेशन के इंजीनियर जनार्दन सिंह और चीफ प्रोजेक्ट इंजीनियर पस्तोरे की मॉनिटरिंग पर पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। चीफ प्रोजेक्ट इंजीनियर जेपी पस्तोरे के पास भवन निर्माण के कार्यों के साथ ही यहां पर पदस्थ इंजीनियर और सब इंजीनियर के कामकाज की मॉनिटरिंग करने की भी जिम्मेदारी है। सब इंजीनियरों को संविदा पर रखने के लिए चीफ इंजीनियर के यहां से ही प्रस्ताव बनाए जाते हैं। हेमा मीणा को बार-बार संविदा पर वहां नियुक्ति मिलने के पीछे भी यहां के कुछ अफसरों की खास मेहरबानी मानी जाती रही है। वहीं लोकायुक्त पुलिस को जो दस्तावेज हेमा के यहां पर छापे में मिले हैं। उसके बाद लोकायुक्त पुलिस की जांच की आंच यहां पर पदस्थ प्रोजेक्ट इंजीनियर जनार्दन सिंह पर भी आ सकती है। पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन के चेयरमैन एवं डीजी कैलाश मकवाना जब लोकायुक्त पुलिस के डीजी थे। तब हेमा मीणा को लेकर लोकायुक्त पुलिस ने जांच शुरू की थी। पिछले साल दिसंबर तक हेमा मीणा के खिलाफ जांच में लोकायुक्त पुलिस को अधिकांश जानकारी मिल गई थी। अब छापे के बाद कॉरपोरेशन के चेयरमैन कैलाश मकवाना ने हेमा मीणा को निकाल दिया और अपने कार्यालय में पदस्थ सभी कर्मचारियों और अफसरों को ईमानदारी और नियमानुसार कार्य करने की हिदायत दी है। प्रदेश में बढ़ते भ्रष्टाचार की गंभीर समस्या के साथ इन छापों ने एमपी के सबसे दबंग पुलिस अधिकारियों में शामिल कैलाश मकवाना की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान खड़े किए हैं। मकवाना पर सवाल इसलिए उठ रहे हैं ,क्योंकि वे एमपी पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन के चेयरमैन हैं। हेमा मीणा वहीं पदस्थ थीं। हेमा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में शिकायत 2020 में ही हुई थी। छापे के बाद उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया, लेकिन इससे पहले उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई, यह संदेह को जन्म दे रहा है।
बार-बार दी गई नियुक्ति
हेमा मीणा को दो बार नौकरी से इस्तीफा के बाद भी बार-बार नियुक्ति मिलती रही। यही नहीं संविदा की नौकरी में हेमा मीणा को पदोन्नति भी दी गई। हेमा मीणा पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन में संविदा पर नौकरी कर रही थी। उसके द्वारा बतौर सब-इंजीनियर पहली बार पुलिस कॉर्पोरेशन की नौकरी 2011 में ज्वाइन की गई थी। उसकी पहली ज्वाइनिंग भोपाल में हुई थी। पांच महीने बाद ही उसने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद फरवरी 2013 में हेमा मीणा की फिर से ज्वाइनिंग होती है। डेढ़ साल नौकरी करने के बाद 2015 में हेमा ने फिर इस्तीफा दे दिया। तीसरी बार नवंबर 2016 में हेमा मीणा को फिर से संविदा के आधार पर नियुक्ति मिल गई। इस बार हेमा की ज्वाइनिंग सागर संभाग में हुई। साथ ही वह सब इंजीनियर से असिस्टेंट इंजीनियर बन गई थी। संविदा के अनुसार पांच मई 2022 को उसका कार्यकाल खत्म होने के पहले ही उसे अक्टूबर 2013 तक का एक्सटेंशन मिल गया था।
बैंक खातों व लॉकर का खुलाना बाकी
खास बात यह है कि अब तक जिस संपत्ति का खुलासा हुआ है , उनमें अभी बैंक खातों का डिटेल बचा हुआ है। इसके अलावा लॉकर खुलना भी शोरूा है। माना जा रहा है कि इससे अभी संपत्ति में और इजाफा हो सकता है। बैंक खातों की डिटेल सामने आने से लेनदेन का भी खुलासा होने की संभावना है। दरअसल छापे के बाद से बैंक बंद होने की वजह से अब तक इस संबंध में कोई जानकारी लोकायुक्त को नहीं मिल सकी है।