मध्यप्रदेश में ‘माननीय मांगे मोर’

माननीय मांगे मोर
  • 30 फीसदी तक बढ़ सकता है विधायकों का वेतन भत्ता

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के विधायकों को वर्तमान में मिल रही तनख्वाह से गुजारा नहीं चल रहा है। मौजूदा वक्त में उनको हर महीने मिलने वाली एक लाख दस हजार रुपए की सैलरी कम पड़ रही है। इसको देखते हुए प्रदेश सरकार चुनावी साल में विधायकों का वेतन और भत्ते बढ़ा सकती है। इसकी तैयारी कर ली गई है। सूत्रों के अनुसार विधायकों के वेतन भत्तों में 30 फीसदी तक की बढ़ोतरी की जा सकती है। वहीं पूर्व विधानसभा अध्यक्षों को पूर्व मुख्यमंत्रियों की तरह सुविधाएं दिए जाने पर भी विचार किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार मप्र में 7 साल बाद विधायकों के वेतन-भत्ते बढऩे जा रहे हैं। अभी उन्हें हर महीने 1 लाख 10 हजार रुपए वेतन मिलता है, जो 40 हजार रुपए बढऩे वाला है। इससे वेतन 1.50 लाख रुपए महीना हो जाएगा। वेतन-भत्ते बढ़ाने के लिए सरकार ने अन्य राज्यों से जानकारी बुलाई है। इसके बाद वेतन-भत्तों व पेंशन पुनरीक्षण के लिए गठित समिति इस पर फैसला करेगी। समिति में वित्त मंत्री और संसदीय कार्य मंत्री सदस्य हैं। बता दें कि गुजरात, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में विधायकों के वेतन-भत्ते मप्र से ज्यादा हैं। इससे पहले मप्र विधायकों का वेतन साल 2016 में बढ़ा था। प्रदेश में 1972 से विधायकों को वेतन-भत्ते दिए जा रहे हैं। तब उन्हें 200 रुपए मासिक वेतन मिलता था। अभी 1.10 लाख रुपए है। यानी बीते 50 साल में इनका वेतन 550 प्रतिशत बढ़ चुका है।
विधायकों को कम पड़ रही 1.10 लाख सैलरी
मीटिंग, सभाओं सैर सपाटे में बीस रुपए लीटर मिनरल वाटर पीने वाले मप्र के विधायक इन दिनों तनख्वाह को लेकर खासे परेशान है। उनको हर महीने मिलने वाली 1.10 लाख रुपए की सैलरी कम पड़ रही है। उनका बटुआ अब जबाब देने लगा है। किसी घर के गड़बड़ाते बजट की तरह उनकी तनख्वाह आधे महीने ही खत्म हो जाती है। ऐसा कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे विधायक पीसी शर्मा का कहना है। उन्होंने पिछले दिनों दिल्ली सरकार में माननीयों के वेतन-भत्ते में हुई बढ़ोत्तरी का हवाला दिया हैं। उनकी दलील है कि महंगाई के जमाने में उन्हें 24 घंटे आम जनता के बीच रहना पड़ता है, खर्चे बढ़ते ही जा रहे है, इसलिए विधायकों के वेतन में बढ़ोतरी की जाना चाहिए।
माननीयों को पगार की चिंता
गौरतलब है कि विधायक पिछले लंबे समय से अपने वेतन भत्तों में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधायकों के स्वेच्छा अनुदान को 50 लाख रुपए से बढ़ाकर 75 लाख रूपए कर दिया है। माना जा रहा है कि बजट पर सोमवार और मंगलवार को होनी वाली चर्चा के दौरान विधायकों के वेतन भत्तों में वृद्धि का ऐलान किया जा सकता है। मप्र सरकार की वित्तीय स्थिति बताती है, कि उसका खजाना पाई-पाई जोडक़र भरा जा रहा है। साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए के कर्ज में डूबे मप्र सरकार के माननीयों का यह हाल है।
पिछले साल जुलाई में बढ़ी थी स्वेच्छा निधि: जिस तरह वेतन वृद्धि की मांग उठी है, उसी तरह पिछले साल विधायक स्वेच्छा निधि बढ़ाने आवाज उठी थी। सत्ता पक्ष हो या विपक्ष दोनों ओर से विधायकों के स्वर एक थे। जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वेच्छा निधि में 35 लाख रुपए का इजाफा करते हुए 50 लाख कर दी। जबकि पहले स्वेच्छा निधि के नाम पर सिर्फ 15 लाख रुपए ही मिलते थे।
वेतन-पेंशन के साथ सुविधाओं की भरमार
प्रदेश में जहां एक तरफ सांसदों और विधायकों को भारी भरकम वेतन और पेंशन मिल रही है, वहीं सुविधाओं और भत्तों की भी भरमार है। प्रदेश में  विधायकों को प्रतिमाह 30 हजार रुपए वेतन और निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 35 हजार रुपए मिलता है। वहीं टेलीफोन भत्ता 10 हजार रुपए प्रतिमाह  (भले ही निवास स्थान पर टेलीफोन कनेक्शन हो या न हो), चिकित्सा भत्ता 10 हजार रुपए, लेखन सामग्री और डाक भत्ता 10 हजार रुपए प्रतिमाह, कम्प्यूटर ऑपरेटर या अर्दली भत्ता 15 हजार रुपए प्रतिमाह मिलते हैं। इनके अलावा नि:शुल्क रेल और हवाई सुविधा भी मिलती है।

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