मनरेगा में भी नहीं मिल रहा हाथों को काम

मनरेगा
  • चुनावी साल में 87 फीसदी काम पड़े हैं आधे अधूरे

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। चुनावी साल में भी सरकार व शासन को लोगों के रोजगार की ङ्क्षचता नहीं रही है। यह हम नहीं कह रहे हैं, पर सरकार के मनरेगा के आंकड़े इसी तरह का खुलासा करते हैं। हालत यह है कि बीते माह तो कई जिलों में मजदूरों को कोई काम ही नहीं मिला है और यही हाल अब तक इस माह में बने हुए हैं। मनरेगा को लेकर सरकार कितनी सक्रिय है इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस साल इस योजना के तहत जो काम लिए गए थे, उनमें से अब तक महज 13 फीसदी ही पूरे हो सके हैं। यानि की अब तक महज 13 फीसदी काम ही पूरे हुए हैं। इस योजना को लेकर बेरुखी के चलते ही प्रदेश के अति पिछड़े अंचल बुंदेलखंड में पलायन पर रोक नहीं लग पा रही है। ऐसे में चुनाव आयोग की शत प्रतिशत मतदान की मंशा पर तो पानी फिरना तय है साथ ही दीपावली जैसे त्योहारों पर भी काम की तलाश में पलायन करने वाले लोगों का घर आना मुश्किल बना हुआ है। छतरपुर जिले के चंद्रनगर निवासी हलकाई अहिरवार को अक्टूबर से लेकर अब तक  मनरेगा के अंतर्गत काम नहीं मिला है। यही हाल नरसिंहपुर निवासी आशा प्रजापति का है। यह समस्या प्रदेश के लाखों मजदूरों की है। चुनावी साल में मनरेगा में इस साल अभी तक 13 फीसदी काम ही पूरे हुए हैं, जबकि पहले 90 प्रतिशत से अधिक कार्य पूर्ण होना बताए गए थे। अक्टूबर में 1640 पंचायतों में एक भी मानव दिवस सृजित नहीं किए गए, यानी किसी भी मजदूर को काम ही नहीं मिला। दरअसल, मप्र में विस चुनाव से दो दर्जन प्रमुख विभागों के कार्य सर्वाधिक प्रभावित हो रहे हैं। सबसे ज्यादा काम मनरेगा के प्रभावित हुए हैं। अगर हम 100 दिन के रोजगार की बात करें, तो इस साल 27,573 परिवारों को काम मिला जबकि चुनावी साल 2018-19 में यह आंकड़ा 76,745 था।
2.20 लाख कामों में से  28 हजार ही पूरे
मनरेगा में वर्ष 2023-24 में कुल 2.20 लाख काम खोले गए, परन्तु अब तक सिर्फ 28 हजार काम ही पूरे हो सके हैं और 1.91 लाख अपूर्ण हैं। इस साल के काम पूरे होने का प्रतिशत 13 है। जल संसाधन, लोनिवि, पीएचई सहित कई विभागों के बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इस मामले में संबंधित विभागों के अफसर भी बात करने से बच रहे हैं।

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