
अगले माह से कई तरह का दिया जाएगा सामान
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम।
प्रदेश की शिवराज सरकार अब चुनाव से पहले लाखों आदिवासियों को साधने के लिए चुनावी साल में नए-नए उपक्रम शुरू करने की तैयारी मे है। इसके तहत अब प्रदेश के करीब 41 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों को दो साड़ी, एक छाता और एक ठंडे पानी के लिए बाटल देने की तैयारी कर रही है। दरअसल तेंदू पत्ता संग्राह के रुप में आदिवासी समुदाय ही काम करता है। यह सामग्री देने के लिए लघु वनोपज संघ द्वारा प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इसमें इस पर आने वाले खर्च का भी अनुमान लगाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि अगर उक्त सामग्री लघु वनोपज संघ के पास मौजूद राशि से ही पूरी आ जाती है तो उसे संचालक मंडल से स्वीकृत करा लिया जाएगा अन्यथा विभाग द्वारा इसकी खरीदी के लिए सरकार से राशि की मांग की जाएगी। इसके लिए अलग से प्रस्ताव भेजकर अतिरिक्त बजट की मांग की जाएगी। गौरतलब है कि पूर्व में भी तेंदूपत्ता संग्राहकों को प्लास्टिक की चप्पलें बांटी गई थीं, लेकिन उसको लेकर विवाद खड़ा हो गया था। तब आरोप लगे थे कि इससे कैंसर का खतरा हो सकता है। यही वजह है कि इस बार के प्रस्ताव में चप्पलों को शामिल ही नहीं किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो विभाग का लक्ष्य अगले माह से उक्त सामग्री वितरण करने का लक्ष्य तय किया गया है। लघु वनोपजों का संग्रहण कर उसका विक्रय कर उससे होने वाली आमदनी ही आजीविका का मुख्य साधन होता है। यह वनोपज उनके द्वारा दूरस्थ अंचलों के जंगलों से एकत्रित की जाती है। जानकारी के अनुसार प्रदेश में करीब 16 लाख परिवारों के 41 लाख से अधिक सदस्य यह काम करते हैं। इनमें भी आदिवासी समुदाय की भागीदारी सर्वाधिक रहती है। दरअसल प्रदेश में इन संग्राहकों को बिचौलियों के शोषण से बचाने और उनके द्वारा संग्रहित लघु वनोपज का उचित लाभ दिलाने के लिए लघु वनोपज का संग्रहण एवं व्यापार सहकारिता के माध्यम से किया जाता है। इसके लिए सरकार द्वारा सहकारिता का त्रिस्तरीय ढांचा तैयार किया गया है। इसमें प्राथमिक स्तर पर संग्रहणकर्ताओं की सदस्यता से बनाई गई 1066 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियां हैं। द्वितीय स्तर पर 60 जिला स्तरीय यूनियन तथा शीर्ष स्तर पर मध्य प्रदेश राज्य लघु वनोपज संघ कार्यरत है। प्रदेश में किसी भी लघु वनोपज के संग्रहण पर प्रतिबंध नहीं है। ग्रामीणजन लघु वनोपज के संग्रहण व व्यापार के लिए स्वतंत्र हैं सिर्फ तेंदूपत्ता का ही काम संघ के माध्यम से किया जाता है। यह बात अलग है कि बीते आम चुनाव के ठीक पहले इसी तरह का कदम सरकार द्वारा उठाया गया था , लेकिन चुनाव में इसका फायदा भाजपा को नहीं मिला था। उस समय आदिवासी वर्ग कांग्रेस के साथ चला गया था, जिसकी वजह से कांग्रेस को आदिवासी सीटों पर जीत हासिल हुई थी और कांग्रेस की सत्ता में डेढ़ दशक बाद वापसी हो गई थी।
बच्चों को शिक्षा की व्यवस्था
लघु वनोपज संघ द्वारा तेंदूपत्ता संग्राहकों के बच्चों को शिक्षा में भी मदद दी जाती है। इसके लिए बीते साल ही एकलव्य वनवासी शिक्षा विकास योजना शुरू की गई थी, जिसके तहत मेघावी छात्रों को आर्थिक मदद भी दी जाती है। प्रदेश में इस योजना के माध्यम से अब तक कुल 12,223 छात्रों को 12.47 करोड़ रुपये की मदद दी जा चुकी है। इसी तरह से 2018 में तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए मुख्यमंत्री तेंदूपत्ता संग्राहक कल्याण सहायता योजना भी प्रारंभ की गई, जिसके तहत अभी तक 1893 संग्राहकों को आठ करोड़ 45 लाख रुपये की बीमा सहायता प्रदान की गई। संग्राहकों को और अधिक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए उन्हें संबल योजना में भी शामिल किया गया है।