समर्थन मूल्य पर सरकार अब साफ सुथरा गेहूं ही खरीदेगी

समर्थन मूल्य

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। हर बार समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद को लेकर होने वाले विवादों से बचने के लिए इस बार सरकार ने साफ सुथरा गेहूं खरीदने का फैसला किया है। इसके तहत अब किसानों को गेहूं लाकर बेचने से पहले खरीदी केंद्र पर छन्ना लगाना होगा। इसकी वजह से अब खरीदी केन्द्रों पर अच्छे साफ सुथरे गेहूं की ही खरीद हो सकेगी।
इस कदम से समितियों को तो परेशानी से ही मुक्ति मिलेगी साथ ही किसानों को भी भुगतान में कोई परेशानी नहीं होगी। यही नहीं फर्जी गेहूं बेचने पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए अब किसान का गेहूं तभी खरीदा जाएगा, जब उसकी पहचान उसके अंगूठे का निशान लेने पर हो जाएगी। इसके लिए आधार के बायोमेट्रिक से सत्यापन किया जाएगा। इसी तरह से फसल विक्रय के लिए होने वाला पंजीयन भी तभी हो सकेगा , जब उसका भू-अभिलेख के खाते एवं खसरे में दर्ज नाम का मिलान आधार कार्ड से हो जाएगा। अगर इसमें अंतर आता है तो फिर उसका सत्यापन संबंधित तहसील कार्यालय से कराने के बाद ही पंजीयन तभी मान्य किया जाएगा जब मिलान में वह सही पाया जाएगा।
25 मार्च से खरीदी की तैयारी
इस बार किसानों से गेहूं की खरीद 1975 रुपए प्रति क्विंटल पर खरीदी की जाएगी। यह खरीदी प्रदेश में 25 मार्च से शुरू करने की तैयारी सरकार द्वारा की जा रही है। इसके लिए करीब साढ़े तीन हजार से ज्यादा केंद्रों को बनाया जा रहा है। इस बार सरकार को अनुमान है कि 140 लाख टन तक गेहूं की खरीदी समर्थन मूल्य पर हो सकती है। किसानों को पंजीयन कराने में असुविधा का सामना न करना पड़े इसके लिए अब एमपी आनलाइन कियोस्क, कामन सर्विस सेंटर, लोक सेवा केंद्र और साइबर कैफे पर जाकर भी पंजीयन कराने की सुविधा शुरू की गई है इसके लिए किसान से पचास रुपये का शुल्क लिया जाएगा। खास बात यह है कि पंजीयन के समय किसान से बैंक खाता नंबर और आईएफएससी कोड नहीं लेगी, बल्कि इसकी जानकारी सरकार किसान के आधार नंबर से प्राप्त करेगी। यही वजह है कि विभाग द्वारा इस मामले में जिला प्रशासन को किसानों को जागरुक करने के लिए निर्देश दिए गए हैं, जिससे की वे समय रहते आधार नंबर के साथ मोबाइल नंबर और बैंक खाते को अपडेट करवा सकें , जिससे की भुगतान में कोई परेशानी न हो।
नहीं घोषित कर सकेंगे अमानक
इस बार छन्ना लगाकर की जाने वाली गेहूं की वजह से बाद में उसे अमानक घोषित नहीं किया जा सकेगा। बीते साल एक लाख टन गेहूं को बाद में अमानक घोषित कर दिया गया था। इसकी वजह से समितियों को नुकसान उठाना पड़ता है। इसकी वजह है उपार्जन से संबंधित सभी जिम्मेदारी समितियों की होना। खास बात यह है कि छन्ना लगाने का काम निजी संस्था को दिया जाएगा और प्रति क्विंटल तय की गई राशि का भुगतान किसान को करना होगा। फिलहाल यह राशि कितनी होगी अभी तय नहीं है।
किसान ही बताएगा फसल की किस्म और बेचने की तारीख
पंजीयन के समय किसानों को भूमि का क्षेत्र, फसल की किस्म आदि की जानकारी देनी होगी। इससे सरकार को आगामी कार्ययोजना तैयार करने में आसानी होगी। किराए की भूमि पर खेती करने वाले, बटाईदार और वन पट्टाधारी किसानों को पंजीयन के लिए पंजीयन केंद्र ही जाना होगा। इन्हें यह भी बताना होगा कि वे कितनी उपज बेचेंगे और उसे भंडारित करके कहां रखा है। किसानों को इस बार उपज बेचने के लिए एमएसएम नहीं किए जाएंगे। इसके स्थान पर उन्हें उपार्जन केंद्र, उपज बेचने के लिए लाने की तारीख और स्लाट का चयन कर खुद ही जानकारी देनी होगी। यही नहीं पंजीयन कराने और उपज बेचने के लिए आधार नंबर से जो मोबाइल नंबर लिंक होगा, ओटीपी उसी पर आएगा।

Related Articles