प्रदेश के 15 विवि के कुलगुरु हटेंगे, सरकार ने मानी गलती

  • निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग भी दे चुका है निर्देश

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की 32 विश्वविद्यालयों में कुलगुरु की नियुक्तियों को लेकर सवाल उठे हैं। दरअसल यह मामला विधानसभा में उठ चुका है। मध्य प्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग ने राज्य सरकार को 32 विश्वविद्यालयों के कुलगुरु की नियुक्तियों को अवैध बताते हुए उनको हटाने की अनुशंसा की थी, जिस पर राज्य सरकार ने आयोग को दोबारा अपने फैसले का पुनरीक्षण करने का सुझाव दिया। इसके बाद आयोग ने 15 यूनिवर्सिटी के कुलगुरु को मान्यता दे दी, लेकिन 15 प्रभारी कुलगुरुओं को हटाने को कहा गया है।  इस मामले में उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि 15 कुलगुरु जल्द हटेंगे। मंत्री ने नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के सवाल के जवाब में लिखित में यह गलती स्वीकार की। उन्होंने कहा कि कुछ जगह मानकों के विपरीत कुलगुरु पदस्थ हैं।  मंत्री ने कहा कि प्रदेश के कुछ विश्वविद्यालयों में मानकों के विपरीत कुलगुरु पदस्थ हैं। परमार ने कहा कि 15 विश्वविद्यालयों से मिली जानकारी के आधार पर कुलगुरु की नियुक्ति को आयोग ने स्वीकार कर लिया है। दो यूनिवर्सिटी में नियमित कुलगुरु की नियुक्ति की जा चुकी है। शेष 15 के अमान्य कुलगुरु को हटाकर कार्यवाहक कुलगुरु की नियुक्ति की गई है। नियमित कुलगुरु की नियुक्ति प्रक्रियाधीन है।
आर्ट्स के प्रोफेसर नौ साल से विज्ञान कॉलेज के प्राचार्य
प्रदेश के कॉलेजों में जहां प्राध्यापकों की कमी है, वहीं ज्यादातर कॉलेजों का संचालन प्रभारी प्रिंसिपलों के सहारे हो रहा है। ऐसे ही एक मामले को लेकर विधानसभा में गत दिवस हंगामा मच गया। दरअसल, विधानसभा में कांग्रेस विधायक लखन घनघोरिया ने जबलपुर जिले का एक मामला उठाया है। उन्होंने बताया कि शासकीय रॉबर्टसन कॉलेज जबलपुर का सबसे अच्छा कॉलेज माना जाता रहा है, लेकिन दो विंग में बंटे कॉलेज में स्थिति यह है कि आर्ट्स फैकल्टी का प्रोफेसर साइंस कॉलेज विंग में नौ साल से प्राचार्य बना बैठा है। घनघोरिया ने यह भी कहा कि साइंस का जूलॉजी का व्याख्याता महाकौशल आर्ट्स कॉलेज का प्रिंसिपल है। ऐसे में यह क्या पढ़ाते हैं, इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। उन्होंने इस अव्यवस्था पर सवाल उठाते हुए तंज कसा कि अगर ऐसा ही करना है तो फिर तहसीलदार और पटवारी को कॉलेज सौंप देना चाहिए।

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