मरीजों की जेब पर डाका डालने वाले अस्पतालों पर चला सरकारी डंडा

सरकारी डंडा
  • लौटानी पड़ी दंड के साथ तीन गुना राशि

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। सूबे के निजि अस्पताल संचालकों को जब भी मौका मिलता है, वे मरीजों को लूटने और उनकी जेब पर डाका डालने का कोई मौका तो छोड़ते ही नहीं हैं साथ ही सरकार  की योजनाओं को पलीता लगाने में भी पीछे नहीं रहते हैं। प्रदेश में अब तक इस तरह के बड़ी संख्या में मामले सामने आ चुके हैं। इस तरह की लूट खसौट करने वाले निजी अस्पतालों पर अब सरकारी डंडा चलने लगा है, फलस्वरुप निजी अस्पतालों द्वारा वसूली गई अधिक राशि के साथ ही उनसे अब दंड भी वसूला जा रहा है , जिसकी वजह से अब अस्पताल प्रबंधनों में हड़कंप मचा हुआ है। दरअसल सरकार द्वारा वसूली की गई राशि मरीजों से ली गई राशि से तीन गुना तक हैं। इस योजना को करीब चार साल पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2018 में शुरू किया गया था। प्रदेश में 67 निजी अस्पतालों ने इस योजना में शासन से तय पैकेज के अलावा मरीजों से भी 50 लाख रुपये से अधिक की राशि वसूली ली। हद तो यह हो गई की कुछ अस्पतालों ने तो आईसीयू में भर्ती मरीजों से भी तीन लाख रुपये से भी ज्यादा तक की वसूली कर डाली। बेचारे मरीज के परिजनों की हालत इस दौरान मरता क्या नहीं करने वाली रहती है, सो मजबूरी मे उनके द्वारा रुपयों का इंतजाम कर भुगतान किया गया। इस तरह के कुछ मामलों की जब शिकायत हुई तो उनसे मिले फीडबैक में सामने आयी जानकारी और कराए गए आडिट से इस मामले का खुलासा हुआ। इसके बाद आयुष्मान भारत मिशन मप्र ने इन अस्पतालों से दंड के साथ अवैध रुप से ली गई राशि की वसूली की है। इसमें अस्पतालों द्वारा मरीजों से जितनी राशि ली गई थी, उसके साथ ही उनसे तीन गुना अधिक राशि दंड के साथ वसूली गई है। इसमें भी खास बात यह है कि जिन 67 अस्पतालों पर कार्रवाई की गई है उसमें भोपाल के ही 29 अस्पताल शामिल हैं। इसी तरह से इंदौर के चार, ग्वालियर के नौ और जबलपुर के 10 अस्पताल भी इसमें शामिल हैं। गौरतलब है कि   इस योजना के दायरे में आने वाले परिवार के लोगों को हर साल पांच लाख रुपए तक के इलाज की मुफ्त सुविधा दी गई है। इसमें मरीजों के इलाज पर खर्च होने वाली राशि का भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है। आयुष्मान भारत मध्य प्रदेश के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अनुराग चौधरी का कहना है कि  67 अस्पतालों में मरीजों से ज्यादा राशि ली थी इन पर 3 गुना जुमार्ना लगाकर एक करोड़ 57 लाख रुपए वसूले गए हैं मरीज से जितनी अतिरिक्त राशि की वसूली की गई थी वह उनके खाते में ट्रांसफर कर दी गई है शिकायतों के निराकरण में मध्य प्रदेश देश में पहले नंबर पर है।
मरीज भर्ती में बनाते हैं कई  बहाने
पहले तो निजी अस्पताल में मरीजों को भर्ती करने के लिए ही तरह -तरह के बहाने बनाए जाते हैं। इसके बाद भी मरीज भर्ती हो जाता है तो फिर उन्हें दूसरी बीमारियां भी बता दी जाती हैं, जो योजना के पैकेज में शामिल नहीं होती हैं। जिसकी वजह से नका भुगतान उनसे नकद में वसूला जाता है। कुछ अस्पतालों में तो  कहा जाता है कि शासन से पैसा देरी से आता है इस कारण ज्यादा राशि देनी होगी।  
अस्पताल में खत्म क्यों नहीं किया जा रहा अनुबंध
जानकारी के मुताबिक इन अस्पतालों पर अर्थदंड तो लगा दिया गया है, लेकिन इस तरह से अवैध वसूली के बाद भी इनका अनुबंध समाप्त नहीं किया जा रहा है। जिसकी वजह से अस्पताल संचालकों को डर नहीं है इस मामले में आयुष्मान योजना के अधिकारियों का तर्क है कि अस्पतालों से अनुबंध खत्म करने से मरीजों को नुकसान होगा। इलाज के लिए अस्पताल कम पड़ जाएंगे। हां इलाज में गड़बड़ी करने पर जरूर कुछ अस्पतालों का अनुबंध खत्म किया गया है।
यहां कर सकते हैं शिकायत
आयुष्मान योजना का लाभ दिलाने के लिए सरकार द्वारा आयुष्मान मित्र भी नियुक्त किए गए हैं।  भोपाल जिले में 18 आयुष्मान मित्र हैं, जो मरीज के परिजनों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ दिलाने में मदद करते हैं. बता दें, कोरोना संक्रमित मरीजों को अगर आयुष्मान योजना का लाभ नहीं मिल रहा हो तो 181 नंबर पर कॉल करके शिकायत की जा सकती है. इसके अलावा 1075 और आयुष्मान भारत हेल्पलाइन 14555 पर भी कॉल कर शिकायत दर्ज करा सकते हैं. आयुष्मान कार्ड के बढ़ते विवादों को लेकर 18002332085 टोल फ्री नंबर भी परिजनों के लिए जारी किया गया है।
पहले भी की जा चुकी है वसूली
कोरोना काल के दौरान भी मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों में स्थित 55 अस्पतालों में भर्ती आयुष्मान भारत निरामयम योजना के हितग्राहियों से धोखे में रखकर राशि वसूली गई थी,शिकायतों के बाद सभी 63 शिकायतकर्ताओं को 29 लाख 18 हजार रुपए  वसूल कर वापस लौटाई गई थी। वही आयुष्मान कार्ड के तहत दिये गये दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर मरीजों से ली गई राशि के साथ उनके ऊपर 3.64 करोड़ रुपए का जुर्माना भी  वसूला गया। उस समय भी जो शिकायतें मरीजों और उनके परिजनों के द्वारा दर्ज कराई गई, उसमें राजधानी की सर्वाधिक थीं। भोपाल में प्रदेश के अन्य जिलों की तुलना में सबसे अधिक 48 शिकायतें जांच के बाद सही पाई गई, भोपाल के बाद जबलपुर में 17, ग्वालियर में 10, उज्जैन में 6 व सागर में 5 एवं रीवा व इंदौर से 1-1 शिकायत दर्ज हुई थीं।

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