म्यूल अकाउंट से हो रही ठगी

म्यूल अकाउंट
  • साइबर पुलिस तीन लाख से अधिक खातों की करेगी पड़ताल

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। डिजिटल लेन-देन बढऩे के साथ मप्र में ऑनलाइन स्कैम और फ्रॉड के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। अब साइबर ठग ने एक नए तरीके का इजाद किया है, जिसका नाम म्यूल अकाउंट फ्रॉड है। इन अकाउंट का इस्तेमाल अपराधी ठगी की राशि को घुमाने और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए करते हैं। अनजाने में भी ऐसे अकाउंट का हिस्सा बनने पर आम लोग गंभीर कानूनी मुसीबत में फंस सकते हैं। मप्र में 3 लाख से अधिक म्यूल खातों की जानकारी सामने आई है। अब मध्य प्रदेश की साइबर पुलिस इन खातों की पड़ताल करेगी।
गौरतलब है कि म्यूल अकाउंट वह बैंक अकाउंट होता है जिसका इस्तेमाल कभी-कभी अनजाने में या जानबूझकर धोखाधड़ी या गैरकानूनी तरीके से कमाए गए पैसे को ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है। अपराधी इन अकाउंट्स का इस्तेमाल धन के लेन-देन को छिपाने के लिए करते हैं, जिससे इनको ट्रेस करना मुश्किल हो जाता है। कई बार अकाउंट होल्डर को पता भी नहीं होता कि उसका अकाउंट अपराधियों के लिए पैसे का रास्ता बन गया है। साइबर पुलिस को अब तक राज्य में तीन लाख से अधिक म्यूल खातों (ठगी की राशि रखने के लिए फर्जी ढंग से खुलवाए गए खाते) की जानकारी मिली है।  एसपी साइबर पुलिस भोपाल प्रणय नागवंशी का कहना है कि मध्य प्रदेश में लगभग तीन लाख म्यूल खाते मिले हैं। अब एक-एक खाते की जांच कराई जाएगी। सबसे पहले यह देखेंगे कि जिसके नाम खाता है उसे खातों के बारे में जानकारी है या नहीं। राशि कहां से आई और कहां गई। इस जांच से ठगी करने वालों के नेटवर्क पता चल सकेगा।
खातों को खंगालने चलेगा विशेष अभियान
अब पुलिस विशेष अभियान चलाकर एक-एक खाते की जांच करने जा रही है। इसमें सबसे पहले यह देखा जाएगा कि जिसके नाम से खाता है, वह भी फर्जीवाड़े में शामिल है या उसे गुमराह कर खाता खुलवाया गया है। इसके बाद बैंकों के सहयोग से यह पता किया जाएगा कि कहां से कब कितनी राशि आई और कहां ट्रांसफर की गई। इससे फर्जीवाड़े में शामिल लोगों तक पहुंचना आसान हो जाएगा। जांच में ठगी की राशि म्यूल खातों में डालकर दूसरे देशों तक पहुंचाने का भी पता चलेगा। यह भी जानकारी जुटाई जाएगी कि कहीं इस राशि का उपयोग देशविरोधी गतिविधियों के लिए तो नहीं किया गया है। विदेश में राशि पहुंचाने का संदेह इसलिए भी है कि मप्र से बल्क में खरीदी गई फर्जी सिम थाईलैंड, कंबोडिया सहित दक्षिण-पूर्व के अन्य देशों में होने की जानकारी भी पुलिस को मिली है। फर्जी सिम खरीदने-बेचने वालों के विरुद्ध साइबर मुख्यालय द्वारा इसी माह 15 दिनों का अभियान चलाया गया था। मामले में अभी तक 50 एफआईआर दर्ज कर 44 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है। अभियान में 7500 फर्जी सिम पकड़ी गई हैं, जिसे 3284 सिम विक्रेताओं के यहां से जारी किया गया था। बड़ी संख्या में फर्जी सिम बेचने की दृष्टि से पुलिस ने पांच जिलों को हॉट स्पॉट के रूप में चिह्नित किया है। इनमें सीधी, छतरपुर, दतिया, डिंडौरी और शिवपुरी शामिल हैं। अन्य पांच जिलों में भी संख्या अधिक है। इनमें ग्वालियर, इंदौर, दमोह, मुरैना और जबलपुर सम्मिलित हैं। गिरफ्तार आरोपितों से पूछताछ में कई बड़ी जानकारियों सामने आने की आशा है।
सरकारी योजनाओं के नाम पर खुलवाते हैं खाते
सतना, कटनी और जबलपुर में ठगों का ऐसा गिरोह भी सामने आया है, जिसने सीमेंट फैक्ट्री के मजदूरों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का प्रलोभन देकर उनके खाते खुलवाए। ठगों ने उन्हें भरोसे में लेकर दस्तावेज ले लिए। खाता खुलवाने के लिए उनके मोबाइल नंबर का उपयोग किया। उनसे ओटीपी लेकर ठगों ने खातों में अपना मोबाइल नंबर अपडेट कराया और खुद खाते को संचालित करने लगे। लोगों को यह पता ही नहीं चला कि उनके नाम से खुले खातों से ठगी की राशि इधर-उधर की जा रही है। पुलिस सूत्रों के अनुसार म्यूल खाते खुलवाने के लिए एक अलग गिरोह काम रहे हैं जो खाते खुलवाने के बाद उसे लाखों रुपये में बेचते हैं। एक ही खाते में अलग-अलग तरह से ठगी की राशि भी आ रही है। उदाहरण के तौर मप्र स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने दो माह पहले ट्रेडिंग के नाम पर ठगी करने वालों का गिरोह पकड़ा था। फर्जीवाड़े में शामिल कंपनियों के खातों की जांच की गई तो पता चला कि डिजिटल अरेस्ट कर की गई ठगी के 80 लाख रुपये भी इनके खाते में आए थे।

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