
- अब गांधी सागर में दो नर व एक मादा चीता, कूनो नेशनल पार्क में 24 चीते
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रोजेक्ट चीता के तीन साल पूरे होने के मौके पर गांधी सागर अभयारण्य में बुधवार को कूनो की मादा चीता धीरा की शिफ्टिंग कर दी। मादा चीता पहले से छोड़े गए नर चीता पावक और प्रभाव के साथ रहेगी। इससे पहले 20 अप्रैल को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दो नर चीतों को गांधी सागर अभयारण्य में छोड़ा था। अब वंशवृद्धि के लिए यहां मादा चीता की शिफ्टिंग की गई है। मप्र में चीता प्रोजेक्ट के सफल तीन साल पूरे हो चुके हैं। साल 2022 में कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को पीएम मोदी ने उनके जन्मदिन 17 सितंबर को रिलीज किया था। इस साल मप्र के गांधी सागर अभयारण्य को भी चीतों का दूसरा घर बना दिया है। दरअसल कूनो नेशनल पार्क में चीतों की संख्या में इजाफा हो गया था। यहां तीन साल पहले 20 चीतों को छोड़ा गया था। कूनो में चीतों की संख्या अब 27 हो गई है। इनमें से 3 चीतों को गांधी सागर अभयारण्य में छोड़ा गया है। अब गांधी सागर अभयारण्य में भी चीतों की संख्या में इजाफा होगा। मादा चीता धीरा को कूनो से बुधवार सुबह 8 बजे गांधी सागर के लिए रवाना किया गया था।
प्रदेश में अभी 27 चीते मौजूद
बता दें, मध्य प्रदेश में नामीबिया और साउथ अफ्रीका से 20 चीते लगाए गए थे, जिनमें से 9 की मौत हो चुकी हैं। यहां पर 26 शावकों ने जन्म लिया, जिनमें से 10 की मौत हो गई। अभी प्रदेश में 27 चीते मौजूद हैं। इसमें 24 चीते कूनो और तीन चीते गांधीसागर अभयारण्य में मौजूद हैं।
चीता प्रोजेक्ट पर पुस्तक का विमान
चीता प्रोजेक्ट के तीन वर्ष पूरे होने पर वन विभाग के पीसीसीएफ वाइल्ड लाइन शुभरंजन सेन ने तीन वर्ष: राष्ट्रीय संरक्षण की एक विजय- महत्वपूर्ण घटनाओं और मील के पत्थरों की कहानियां नामक पुस्तक का विमोचन किया। इस पुस्तक में चीता प्रोजेक्ट की ऐतिहासिक घटनाओं और उपलब्धियों को साझा किया गया।
आठ से 10 चीतों को रखे जाने का इंतजाम
गांधीसागर अभयारण्य में चीतों के लिए 6500 हेक्टेयर का विशेष क्षेत्र तैयार किया गया है। इस क्षेत्र में तीन अलग-अलग बाड़े बनाए गए हैं। एक बाड़ा 1540 हेक्टेयर के वनक्षेत्र में तैयार किया गया है। गांधीसागर अभयारण्य में 8 से 10 चीतों को रखे जाने की व्यवस्था की गई है। इन चीतो के भोजन के लिए 150 चीतल, 80 से अधिक चिंकारा, 50 से अधिक नीलगाय और अन्य वन्यप्राणियों को रखा गया है। इस वनक्षेत्र में हिरणों की संख्या भी ज्यादा है। गांधीसागर अभयारण्य में चीतों के लिए पानी की पर्याप्त व्यवस्था की है। गांधीसागर के बेक वॉटर में 10 एचपी का पंप लगाया है, जिससे बाड़ा क्षेत्र में बने नालों में निरंतर पानी छोड़ा जाता है। चीतों के स्वास्थ को लेकर 8 चिकित्सकों और सहयोगियों की टीम तैनात रहेगी। देश में चीता प्रोजेक्ट पर अब तक 112 करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च की जा चुकी है। इसमें से 67 प्रतिशत राशि मध्यप्रदेश में हुए चीता पुनर्वास पर व्यय हुई है। प्रोजेक्ट चीता के तहत ही अब गांधीसागर अभयारण्य में भी चीते चरणबद्ध रूप से विस्थापित किए जाएंगे। गांधीसागर अभयारण्य राजस्थान की सीमा से लगा हुआ है, इसलिए अंतरराज्यीय चीता संरक्षण परिसर की स्थापना के लिए मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्य के बीच सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है। गांधीसागर अभयारण्य के 90 चीता मित्र कूनो नेशनल पार्क में पहले ही प्रशिक्षण ले चुके हैं। प्रशिक्षित टीम ही गांधीसागर अभयारण्य में चीतों की देखरेख कर रही है। चीतों पर कॉलर आईडी के जरिए नजर रखी जा रही है। गांधीसागर अभयारण्य के पूरे क्षेत्र को कैंसिंग से कवर किया गया है। इससे चीतों को किसी प्रकार का खतरा भी नहीं है।
