वित्त विभाग ने लगाया मध्यप्रदेश में बिजली से चलने वाली बसों की संभावनाओं पर ग्रहण

वित्त विभाग

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार द्वारा प्रदेश के चारों महानगरों सहित पांच शहरों में इलेक्ट्रिक बस चलाने की बनाई गई योजना पर वित्त विभाग ने ग्रहण लगा दिया है। इसकी वजह से अब इन बसों के संचालन के प्रस्ताव को रद्द कर दिया है। वित्त विभाग द्वारा इस प्रस्ताव को हरी झंडी न दिए जाने के बाद अब नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने भोपाल सहित ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर और उज्जैन के नगर निगम आयुक्तों को पत्र लिखकर बता दिया है कि वित्तीय स्थिति के परिप्रेक्ष्य में राज्य शासन ने इस योजना पर अमल नहीं करने का फैसला कर लिया है। दरअसल इस योजना को केंद्र की मदद से क्रियान्वित किया जाना था। इसके लिए केन्द्र सरकार ह्यफास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम-2) योजना के तहत प्रदेश सरकार को 340 बसें देने जा रही थी। बसें देने के पहले केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश से अलग-अलग पांच शहरों के नामों के साथ ही उन्हें जिन मार्गों पर चलाया जाना है उसके नाम मांगे गए थे। खास बात यह है कि इस योजना के तहत केंद्र ने देश के कुल 64 शहरों का चयन कर उनके लिए 5095 बसें देने का फैसला किया हुआ है। इनमें मप्र के भी पांच शहरों को शामिल करने का प्रस्ताव है। इसके तहत ग्वालियर में 40 बसों को चलाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। इस पर करीब 120 करोड़ रुपए की लागत का प्रस्ताव तैयार किया गया था। इसके प्रस्ताव में ग्वालियर के अन्तराज्यीय बस स्टैंड पर बसों के लिए चार्जिंग स्टेशन बनाने का भी तय किया गया था।
एक बस की कीमत एक करोड़ रुपए
सूत्रों की माने तो एक इलेक्ट्रिक बस की कीमत करीब एक करोड़ रुपए अनुमानित है। यह बसें बैटरी से संचालित होंगी और इनको फास्ट चार्जर से चार्ज किया जाएगा। इस फास्ट चार्जर से आधे घंटे में बैटरी पूरी तरह से चार्ज हो जाएगी। एक बार चार्ज होने पर बस 130 से 200 किमी तक चलेगी। खास बात यह है कि इन बसों के रास्ते में बैटरी चार्ज करने के लिए शहर के विभिन्न 30 स्थानों पर चार्जिंग स्टेशन भी बनाए जाने का प्रस्ताव दिया गया था। खास बात यह है कि अगर इन बसों का संचालन किया जाता तो डीजल बसों की संख्या में तेजी से कमी आती जिससे न केवल प्रदूषण कम होता बल्कि डीजल के मुकाबले उनके संचालन खर्च में भी कमी आती।
दो साल पहले किया गया था लागू
फेम इंडिया योजना के दूसरे चरण को कुल 10,000 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन के साथ 01 अप्रैल, 2019 से प्रभावी किया गया है। इस चरण के तहत सार्वजनिक एवं साझा परिवहन के विद्युतीकरण पर ध्यान केंद्रित किया गया है। साथ ही लगभग 7,000 ई-बसों, 5 लाख ई-तिपहिया वाहनों, 55,000 ई -यात्री कारों और 10 लाख ई-दोपहिया वाहनों को सब्सिडी के जरिये समर्थन करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोगकर्ताओं के बीच बुनियादी ढांचे को लेकर चिंता को दूर करने के लिए उसके निर्माण पर भी ध्यान दिया जा रहा है।

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