प्रदेश में मूंग की फसल सूखने का… बड़ा संकट, किसान परेशान

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  • चार जिलों के किसान हो जाएंगे पूरी तरह से बर्बाद, सूबे की 70 फीसदी फसल है चार जिलों में

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार भले ही किसानों को सिचाई के लिए र्प्याप्त बिजली देने का दावा करे, लेकिन वास्तव में किसानों को बिजली न मिल पाने की वजह से उनकी फसल पर गंभीर संकट खड़ा हो गया है। हालात यह है की सूबे में इस बार मंूग की फसल पर पूरी तरह से सूखने का खतरा बना हुआ है। अगर ऐसा होता है तो किसान बर्बाद हो जाएगा। यह हालात उन चार जिलों में भी बने हुए हैं ,जिनमें सूबे की इस सीजन में 70 फीसदी मूंग की फसल लगी हुई है।
यह चारों जिले कृषि मंत्री कमल पटेल के गृह संभाग नर्मदापुरम के तहत आते हैं। इन हालातों में तब भी सुधार नहीं हुआ है जबकी कृषी मंत्री स्वयं ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को कुछ दिन पहले फोन करके कह चुके हैं की बिजली दो, नहीं तो 4000 करोड़ की मूंग खराब हो जाएगी। फसल खराब हुई तो किसान न केवल उन्हें बल्कि अन्य भाजपा नेताओं को भी निपटा देंगे।
यह बात अलग है की समझाइश के बाद पटेल को सफाई देकर कहना पड़ा की बिजली मिल रही है। फसले ंठीक हैं। लेकिन वास्तविकता इससे इतर है। जिन चार जिलों नर्मदापुरम, हरदा, नरसिंहपुर और रायसेन में ग्रीष्मकालीन मूंग का 70  फीसदी रकबा है। वहां बिजली न मिलने से फसलें सूखने के कगार पर आ गई हैं। प्रदेश में 8.5 लाख हेक्टेयर में मूंग खड़ी है। इसमें 5.98 लाख हेक्टेयर फसल इन्हीं चार जिलों में है। 36 जिलों में मूंग का रकबा 500 हेक्टेयर से ज्यादा है। इनमें भी फसल सूखने की कगार पर है। प्रदेश में मूंग का सबसे ज्यादा 2.32 लाख हेक्टेयर (27.30फसदी) रकबा नर्मदापुरम में है। यहां दिन में बामुश्किल 7-8 घंटे ही बिजली मिल पा रही है। नर्मदापुरम संभाग के सहायक संचालक कृषि सुनील कुमार घोटे का कहना है की कटौती का यही हाल रहा तो फसल की उत्पादकता आधी रह जाएगी। जबकि बिजली विभाग के स्थानीय अफसरों को दावा है की 85 फीसदी क्षेत्र को 10 घंटे तक बिजली दे रहे हैं। गुनौरा के एक भाजपा नेता का यहां तक कहना है की 7 एकड़ में मूंग लगी है। बिजली कटौति जारी रहने से उत्पादन 40 फीसदी तक कम हो जाएगा। भोजवासा के महेंद्र पटेल कहते हैं, हम तो 24 घंटे खेत में बैठे हैं, कब बिजली मिले और सिंचाई करें। इसी तरह से नरसिंहपुर जिले में 1.20 लाख हेक्टेयर में ग्रीष्मकालीन मूंग लगाई गई है। सूरज गांव के शुभम सिंह कहते हैं, भीषण गर्मी में बस 5 घंटे बिजली मिली फसल सूख रही है।
दावे की खुली पोल
 प्रदेश सरकार ने किसानों को 10 घंटे तक निर्बाध बिजली देने की घोषणा की थी, लेकिन सरकार की घोषणाएं धरी रह गई। अचानक बिजली गुल होने के चक्कर में किसानों को रातभर खेत मे बैठना पड़ता है। किसानों का कहना है की यदि बिजली की किल्लत यूं ही चलती रही तो आने वाले समय में उड़द की लहलहाती फसल नष्ट हो जाएगी। किसान राकेश जैन कहते हैं कि मैने भड़पुरा ग्राम में 4 एकड़ में उड़द की फसल लगाई है। इसमें खाद और बीज दुकानदारों से उधार लिया है। अगर फसल नहीं आएगी तो वह अपना कर्ज कैसे चुकाएंगे। ये मेरे लिए सबसे कठिन समय है।
किस जिले में क्या हाल
प्रदेश में मूंग का सबसे ज्यादा 2.32 लाख हेक्टेयर (27.30फसदी) रकबा नर्मदापुरम में है। यहां दिन में बामुश्किल 7-8 घंटे ही बिजली मिल पा रही है। मप्र में रायसेन चौथा जिला है जहां मूंग का रकबा 1 लाख हेक्टेयर से ज्यादा (1.10) है। सिंचाई न होने से 45 दिन बाद भी फूल तक नहीं आए। किसान कहते हैं बस 5 घंटे बिजली मिली है। होशंगाबाद के बाद प्रदेश में सबसे ज्यादा हरदा में 1.30 लाख हेक्टेयर में मूंग की फसल खड़ी है। पूरे जिले में फसलें मुरझा रही हैं। क्योंकि सिचाई बहुत कम हुई। पीपल्या के किसान सुरेश गौर कहते है, दिन में 4-6 घंटे ही बिजली मिल सकी है।
सिंचाई के अभाव में बढ़ रहा कीटों का प्रकोप
अधिकांश किसानों के खेतों में अभी दूसरी सिंचाई का काम ही  किया जा रहा हैं। सिंचाई के आभाव में अब मूंग फसल में कीटों का प्रकोप भी बढ़ गया है। यदि किसान कीटनाशक दवा का छिड़काव करता है, तो उसे फसलों में सिंचाई करना अनिवार्य हो जाता हैं। ऐसी स्थिति में किसानों दोहरे संकट में आ चुका है। पहाड़ी क्षेत्रों में तो कई किसानों के खेतो में मूंग फसल सूखने की कगार पर पहुंच चुकी हैं। हरदा के एक स्थानीय किसान के मुताबिक एक हेक्टेयर क्षेत्र में फसल की बुआई से लेकर कटाई तक करीब 30 हजार रुपए की लागत बैठती है। इस रकम को जोड़ने के लिए उसने लगभग 2से 3 जगह से ऋण लेकर रखा है। कुछ ऋण बैंक से उठाया है तो कुछ गांव के ही साहूकारों से। किसान ने बताया कि एक हेक्टेयर में करीब 20 क्विंटल मूंग की पैदावार होती है। यदि पानी नहीं मिला तो सारे फसल सूख जाएंगे और वो कर्ज तले दब जाएगा।
किस जिले के क्या हैं हाल
जिला रकबा बिजली फसलों का हाल
बैतूल 5,000 5-6 घंटे फसलें सूख रहीं हैं।
मंडला 695 5-6 घंटे फसलें ठीक
कटनी 4500 56 घंटे गर्मी से लगी इल्लियां
दमोह 5,050 4-5 घंटे फसल पर लगी इल्लियां
सिवनी 6,000 5 घंटे फसलें ठीक हैं।
बालाघाट 15,000 4-5 घंटे फसलें सूख रहीं हैं
बड़वानी 6,000 5-6 घंटे फसलें ठीक हैं
खरगोन 18,135 7 घंटे कसरावद में फसलें खराब
देवास 45,000 10 घंटे फसलें ठीक हैं
छिंदवाड़ा 1,000 5-6 घंटे फसलें खराब
(रकबा हेक्टेयर में)

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