आउटसोर्स कर्मचारियों का हो रहा सरकारी महकमों में शोषण

आउटसोर्स

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की भर्ती की जगह शुरू की गई आउट सोर्स प्रथा युवाओं के शोषण की बड़ी वजह बन गई है।  इस प्रथा के माध्यम से सूबे के कई सरकारी महकमों अर्द्ध सरकारी संस्थानों में आउटसोर्स पर करीब 25 हजार युवाओं द्वारा सेवा प्रदान की जा रही है। बेरोजगारी से परेशान और सरकारी नौकरी के इंतजार में वे आउटसोर्स कर्मचारी बन गए। हर बार नियमित होने की उम्मीद करते हैं, लेकिन सरकार के पास उनके लिए कोई नीति ही नहीं है। इसकी वजह से आज भी वे सालों बाद भी पुरानी सुविधाओं व वेतन पर ही काम करने पर मजबूर बने हुए हैं। इसकी वजह से ठेके वाली कंपनियों द्वारा उनका शोषण किया जा रहा है। अगर बिजली महकमे की बात की जाए तो अकेले भोपाल में ही बिजली आपूर्ति और रखरखाव व्यवस्था में 6000 से अधिक युवा कर्मचारी आउटसोर्स पर काम कर रहे। ठेका एजेंसियों के माध्यम से इन्हें पांच से दस साल का समय हो गया, लेकिन न वेतन बढ़ रहा और न सुविधाएं। ठेकेदार कब नौकरी से निकाल दे, यही चिंता रहती है। हर दो साल में आउटसोर्स एजेंसियां बदलती हैं तो इनकी परेशानी भी बढ़ती है।

बिजली का काम करते हुए दुर्घटना भी होती है तो कंपनी से राहत नहीं मिलती। इसी तरह से नगर निगम के फिल्टर प्लांट से लेकर फायर, गार्डन समेत अन्य शाखाओं में आउटसोर्स से कर्मचारी नियुक्त हुए हैं। इन्होंने अपने जीवन के दस साल से अधिक का समय यहां बिता दिया, लेकिन वेतन पुराना ही है। यहां काम करने के बावजूद निगम में इनका कोई हिसाब-किताब नहीं है। हाल में निगम में हुई हड़ताल में इन्होंने भी आवाज बुलंद की, लेकिन लाभ नहीं मिला। अब निगम शासन के माध्यम से सीधी भर्ती की कवायद कर रहा है तो इनकी चिंता बढ़ गई है।

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