
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में भले ही किसानों के नाम पर राजनीति खूब होती है, लेकिन वास्तविकता में किसानों को फायदा कम और नुकसान अधिक ही होता है। यही वजह है कि प्रदेश में ऐसे लाखों किसान हैं, जिनकी जमीन कई दशकों बाद भी कर्ज मुक्त नहीं हो सकी है। अब किसान अपनी जमीन पूरी तरह से कर्ज से हटाने के लिए सरकार के कदमों का इंतजार कर रहा है। किसान अब एक बार फिर प्रदेश में वन टाइम सेटलमेंट योजना की आस लगा रहे हैं। दरअसल प्रदेश में करीब 85 लाख से अधिक किसानों की लाखों हेक्टेयर जमीन कर्ज में फंसी हुई है। खास बात यह है कि इसमें भी लाखों किसान ऐसे हैं, जिनकी जमीनों कर्ज के बोझ तले कई दशकों से दबी है। किसान इस बीच लगातार यह उम्मीद लगाए हुए हैं कि शायद एकाधवार सरकार की दिल पसीज जाए और सरकार कर्जमाफी कर दे, लेकिन ऐसा होता अब तक नहीं दिखा है। दरअसल किसानों पर अकेले भूमि विकास बैंक का ही 1932.89 करोड़ अधिक की राशि का कर्ज है। इसके एवज में बैंक द्वारा किसानों की जमीन को कर्ज के तले दबाया जा चुका है। सहकारी बैंकों का परिसमापन किए जाने के बाद सरकार ने भूमि विकास बैंक का कर्ज जिला सहकारी बैंकों को सौंप दिया है। इसकी वजह थी कि दोनों बैंको की कार्यशैली एक समान ही थी , लेकिन जिला सहकारी बैंकों ने किसानों को यह जानकारी देना तक मुनासिब नहीं समझा की वे भूमि विकास बैंकों कर्ज उनके यहां चुका सकते हैं , ऐसे में वसूली बात तो बेमानी ही है। इसकी वजह से किसानों पर कर्ज के ब्याज के रुप में लाखों रुपए का कर्ज और बढ़ गया।
कांग्रेस की कर्जमाफी योजना बनी मुसीबत
विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा सरकार ने किसानों से कर्ज वसूली और उन्हें कर्ज मुक्त करने के लिए वन टाइम सेटलमेंट का ऑफर दिया था। इस बीच कांग्रेस की सरकार बनी तो नाथ सरकार ने कर्जमाफी की घोषणा कर दी। इसकी वजह से किसानों को लगा कि उनकी जमीन कर्ज मुक्त हो जाएगी, जिसकी वजह से किसानों ने कर्ज भुगतान करने से किनारा कर लिया। दरअसल किसानों को लगा पूर्व में जिस तरह से सरकार ने घोषणा पर अमल करते हुए उनका कर्ज माफ कर दिया था वैसा ही इस बार भी होगा , लेकिन यह वादा पूरी तरह से राजनीतिक दांव पेंच में उलझकर रह गया। इसकी वजह से अब किसानों को दोहरी परेशानियों का समाना करना पड़ रहा है।
सिर्फ 50 हजार हेक्टेयर जमीन ही हुई मुक्त
एक बार पहले प्रदेश सरकार ने किसानों से कर्ज वसूली और उन्हें कर्ज मुक्त करने के लिए वन टाइम सेटलमेंट स्कीम लागू की थी। इस दौरान सरकार ने भूमि विकास बैंक को किसानों से 582.5 करोड़ रुपए मूलधन की वसूली के निर्देश दिए थे। उस समय भूमि विकास बैंक बंद होने की स्थिति में था , जिसकी वजह से बैंक प्रबंधन ने अपने ही कर्मचारियों से वसूली ही नहीं की थी। इसकी वजह से किसानों द्वारा महज 94.62 करोड रुपए जमा कराकर करीब 50 हजार हेक्टेयर जमीन ही मुक्त कराई गई थी।