निर्देश के 59 दिन बाद भी भ्रष्टों के खिलाफ विभागीय जांच अधर में

  • नाराज जीएडी ने विभागों को दिया 30 अप्रैल तक विभागीय जांच ऑनलाइन करने का निर्देश
  • विनोद उपाध्याय
विभागीय जांच

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के दिशा-निर्देश पर प्रदेश में भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जानी है। इसके तहत जीएडी (सामान्य प्रशासन विभाग) ने 20 फरवरी को सभी विभागों को भ्रष्ट अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच कर रिपोर्ट देने को कहा था। लेकिन विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। करीब दो महीने (59 दिन)बाद भी विभागों ने रिपोर्ट नहीं भेजी तो जीएडी ने नाराजगी जताई है। यही नहीं जीएडी के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव, विभागाध्यक्षों, राजस्व मंडल अध्यक्ष और संभागायुक्तों व कलेक्टरों को पत्र लिखकर अब 30 अप्रैल तक विभागीय जांच की कार्यवाही पोर्टल पर ऑनलाइन करने के निर्देश जारी किए हैं।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश में भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए भ्रष्टाचार के आरोपी अफसरों के खिलाफ जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए बकायदा अफसरों की एक कमेटी भी बनाई गई है। सरकार की मंशानुसार जीएडी ने 20 फरवरी को जारी आदेश में निर्देश दिए थे, की सभी विभाग अपने यहां के दागी अफसरों की विभागीय जांच कर रिपोर्ट जल्द से जल्द दें। लेकिन करीब 2 माह बाद भी विभागों ने जीएडी को रिपोर्ट नहीं भेजी है। विभागीय जांच के प्रकरणों में की जा रही देरी पर सामान्य प्रशासन विभाग ने विभाग प्रमुखों से नाराजगी जताते हुए कहा था कि जांच के लिए जो समय सीमा है, उसी अवधि में जांच का काम पूरा होना चाहिए। साथ ही जांच करने वाले अधिकारी की नियुक्ति का काम भी समय पर करना होगा। जीएडी ने इसी के साथ विभिन्न विभागों में चल रहे विभागीय जांच के मामलों की रिपोर्ट भी मांगी थी।
विभागों में मचा हडक़ंप
सामान्य प्रशासन विभाग ने विभागीय जांच पूरी कर ऑनलाइन करने के लिये 30 अप्रैल तक तक समय दिया है। यह चुनौतीपूर्ण इसलिए भी हो गया है  कि यह अवधि 2 दिन बाद पूरी हो रही है। उधर, जारी निर्देश में कहा है कि जिन शासकीय सेवकों की सेवानिवृत्ति में एक वर्ष से कम का समय बकाया है, उनके विभागीय जांच के प्रकरण दिन-प्रतिदिन सुनवाई करके सेवानिवृत्ति के पूर्व अथवा 30 जून 2024 के पूर्व जो भी पहले हो, समाप्त किए जाएं। वर्ग 3 और वर्ग 4 के शासकीय सेवकों के विभागीय जांच प्रकरणों के निराकरण की समीक्षा विभाग अध्यक्ष द्वारा तथा वर्ग एक एवं वर्ग 2 के अधिकारियों के विभागीय जांच प्रकरणों के निराकरणों की समीक्षा संबंधित अपर मुख्य सचिव, प्रमुख व सचिव द्वारा की जाए। प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन मनीष रस्तोगी द्वारा जारी निर्देश में यह भी कहा है कि सभी विभाग विभागीय जांच पोर्टल पर अनिवार्य रूप से ऑन बोर्ड हो जाएं तथा समस्त विभागीय जांच की कार्यवाही पोर्टल के माध्यम से ही की जाएं। सेवानिवृत्ति और दिसंबर 2024 तक रिटायर होने वाले शासकीय सेवकों के लंबित विभागीय जांच के प्रकरणों की जानकारी तय फॉर्मेट में एक हफ्ते में भेजने के निर्देश दिए गए हैं। निर्देश में यह भी कहा गया था कि विभागीय जांच चालू किए जाने के पूर्व जहां प्रारंभिक जांच आवश्यक है वहां अधिकतम तीन माह की समय सीमा में प्रारंभिक जांच पूरी करने के लिए कहा गया है। इसके अनुसार सक्षम अधिकारी द्वारा फ़ाइल में विभागीय जांच करने में एक हफ्ते में लिया जाना जरूरी होगा। आरोप पत्र जारी करने के लिए अधिकतम एक माह का समय तय किया गया है। इसके अलावा आरोपी कर्मचारी-अधिकारी से आरोप पत्र का उत्तर प्राप्त करने के लिए 7 दिन से एक महीने की समय अवधि तय है। उत्तर मिलने के बाद परीक्षण कर जांचकर्ता और प्रस्तुतकर्ता अधिकारी के नियुक्त करने का मामले में 7 दिन से एक महीने का समय तय किया गया है। जांच अधिकारी द्वारा जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए मुख्य शास्ति की प्रक्रिया के मामले में अधिकतम 6 माह और लघु शास्ति की प्रक्रिया के मामले में अधिकतम 3 माह की समय अवधि तय की गई है। जांच प्रतिवेदन का परीक्षण एवं शास्ति पारित करने के लिए मुख्य शास्ति की खातिर अधिकतम तीन सप्ताह और लघु शास्ति के मामले में दो सप्ताह की समय सीमा तय की गई है। आयोग की मंत्रणा जहां आवश्यक हो, उसे प्राप्त होने के बाद अंतिम आदेश पारित करने के लिए अधिकतम दो सप्ताह का समय निर्धारित किया है।
15 मई के बाद विभागीय जांच की समीक्षा
सामान्य प्रशासन विभाग के मुख्य सचिव द्वारा 15 मई के बाद विभागीय जांच की कार्यवाही की समीक्षा किया जाना प्रस्तावित है। उन्होंने कहा है कि ऐसे सभी रिटायर शासकीय सेवक जिनकी विभागीय जांच लंबित है, उनकी विभागीय जांच 31 मई 2024 तक शुरू की जाए और अभियान चलाकर पूरी की जाए। जिन मामलों में जांच के बाद शास्ति अधिरोपित किया जाना है उनके मामले में 31 अगस्त तक कार्यवाही करने के लिए कहा है। पीएस रस्तोगी ने इसको लेकर फरवरी में विभागीय जांच संबंधी निर्देश भी सभी संबंधित अधिकारियों को भेजे हैं। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा विभागीय जांच प्रकरणों का समय अवधि में निराकरण किए जाने को लेकर जारी निर्देश में कहा गया है कि मध्य प्रदेश सिविल सेवा वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील नियम 1966 के नियम 14 के अधीन मुख्य शास्ति अधिरोपित किए जाने की प्रक्रिया एक वर्ष की समय अवधि में पूरी करने की व्यवस्था है। इसी तरह लघु शास्ति के मामले में 150 दिन यानी 5 माह में जांच आवश्यक रूप से पूर्ण किए जाने के निर्देश हैं। शासन के संज्ञान में आया है कि इस समय सीमा का पालन नहीं किया जा रहा है। इसलिए विभागीय जांच प्रकरणों के निराकरण को लेकर राज्य शासन फिर निर्देश जारी कर रहा है ताकि नियमों के आधार पर जारी निर्देशों एवं समय अवधि का पालन सुनिश्चित किया जाए। फरवरी में जारी निर्देश में विभागीय जांच को लेकर जो फार्मेट तैयार करने को कहा उसमें विभागीय जांच के प्रकरण क्रमांक की जानकारी देने के साथ-साथ अपचारी अधिकारी और कर्मचारियों का नाम और पदनाम बताना होगा। साथ ही सेवानिवृत्ति की तारीख और विभाग की जांच शुरू होने की तारीख के बारे में भी जानकारी देनी होगी। इसके अलावा जांचकर्ता अधिकारी का नाम, पदनाम और उसकी आगामी पेशी की तारीख तथा आगामी पेशी पर होने वाली संभावित कार्यवाही के बारे में भी बताना होगा। जांचकर्ता अधिकारी द्वारा प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का समय और संभावित तारीख के बारे में भी जानकारी देने के लिए कहा गया है। इसके अलावा अंतिम आदेश पारित करने का संभावित दिनांक भी बताने के निर्देश जीएडी के प्रमुख सचिव ने जांचकर्ता अधिकारियों को जारी किए हैं।

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