- घट रही है विकास पर खर्च होने वाली राशि

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
प्रदेश सरकार को स्थापना व्यय साल दर साल बढ़ता जा रहा है, जिसका असर प्रदेश के विकास कार्यों पर पड़ रहा है। इससे हालत यह है कि प्रदेश सरकार को लगातार कर्ज लेकर काम चलाना पड़ रहा है। दरअसल पूर्व की सरकारों ने फिजूलखर्ची पर रोक नहीं लगाई और आय के स्रोत नहीं बढ़ाए परिणामस्वरुप प्रदेश के खजाने की हालत बिगड़ती चली गई। इसके बाद भी सरकारों ने प्रीबीज की योजनाओं को लागू करने में जमकर उदारता दिखाई। हालत यह है कि अब प्रदेश के बजट का कुल 45 फीसदी से अधिक हिस्सा स्थापना व्यय में खर्च हो रहा है। इसमें वेतन भत्ते, पेंशन , कर्ज और ब्याज का भुगतान शामिल है। ऐसे में सरकार के पास बजट का 55 फीसदी हिस्सा ही बचता है, जिसका उपयोग विकास कामों सहित अन्य कामों में हो पता है। यह हाल तब है जबकि प्रदेश में लाखों पद लंबे समय से रिक्त चल रहे हैं। अब इन पदों पर सरकार भर्ती करने जा रही है, जिससे स्थापना व्यय और बढ़ना तय है।
सरकार द्वारा महंगाई भत्ता, वार्षिक वेतनवृद्धि और पारिश्रमिक में वृद्धि से भी स्थापना व्यय बढ़ेगा। उधर, सरकार पर कर्ज का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। यह वित्तीय वर्ष 2024-25 में सवा चार लाख करोड़ रुपये के आसपास हो गया है। हाल ही में छह हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया है।
प्रदेश सरकार ने अब तक तय कर्ज सीमा को कभी पार नहीं यिका है, लेकिन फिर भी लगातार कर्ज लेने खजाने पर भार बढ़ता ही जा रहा है। इस मामले में कैग ने अपनी रिपोर्ट में सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर सवाल उठाते हुए राजस्व व्यय के लिए उधार लेने से बचने की सलाह दी है। प्रदेश में नियमित, संविदा और पेंशनरों को मिलाकर कर्मचारियों की संख्या 12-13 लाख के आसपास होती है। इनके वेतन और भत्ते पर 90 हजार 548 करोड़ रुपये व्यय वित्तीय वर्ष 2024-25 में अनुमानित है। नई भर्तियों के हिसाब से बजट में विभागों को स्थापना व्यय में प्रविधान
करना होगा।
सेवानिवृत्त होने पर स्वायत्तों का भुगतान
कर्मचारियों को अभी वार्षिक वेतन वृद्धि भी देनी होगी, जिसके लिए तीन प्रतिशत स्थापना व्यय बढ़ाकर प्रस्तावित करने के लिए वित्त विभाग ने पहले ही कह दिया है। इसी तरह आठ से दस हजार कर्मचारी सेवानिवृत्त भी होंगे। पेंशन सहित इनके स्वत्वों के भुगतान में भी राशि व्यय होगी। अभी राजस्व प्राप्तियों का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा स्थापना पर व्यय हो रहा है। इसके अलावा केन्द्र सरकार जनवरी और जुलाई में अपने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ाती है। इसके अनुसार ही प्रदेश में महंगाई भत्ता और पेंशनरों की महंगाई राहत में वृद्धि की जाती है। हालांकि, कुछ समय से यह क्रम गड़बड़ाया हुआ है। प्रदेश के कर्मचारियों को अभी 50 प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता दिया जा रहा है, जो केंद्रीय कर्मचारियों से तीन प्रतिशत कम है। वित्त विभाग ने सभी विभागों को 64 प्रतिशत के हिसाब से स्थापना व्यय में प्रविधान रखने के लिए कहा है। इसी तरह कर्ज और ब्याज अदायगी में हो रहे खर्च को देखें तो यह वित्तीय वर्ष 2024-25 में लगभग 30 हजार करोड़ रुपये अनुमानित है। इन सभी प्रतिबद्ध व्ययों को मिला लिया जाए तो यह राशि एक लाख 17 हजार 945 करोड़ रुपये होती है यानी राजस्व प्राप्तियों का लगभग 45 प्रतिशत। जाहिर है कि जब सरकार राजस्व आय का इतना बड़ा हिस्सा वेतन-भत्ते, कर्ज और उसका ब्याज चुकाने में व्यय करेगी तो विकास योजनाओं के लिए राशि का प्रबंध करना चुनौतीपूर्ण ही रहेगा।