अब तक 60 हजार क्विंटल धान की हेराफेरी उजागर

  • ईओडब्ल्यू की जांच में खुली धान खरीद और मिलिंग में घोटाला की पोल

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
खाद्य विभाग ने समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान को लेकर हुई गड़बड़ी के मामले में जांच के निर्देश दिए हैं। इसके लिए जांच दल गठित किया है। प्रदेश में धान खरीदी में अब तक 60 हजार क्विंटल धान की हेराफेरी उजागर हुई है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ द्वारा प्रदेश में धान खरीदी समितियों के विरुद्ध की जा रही जांच में खुलासा हुआ कि ऐसा घोटाला पहली बार नहीं हुआ है बल्कि आशंका यह है कि यह बरसों से चला आ रहा है।
 मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के निर्देश पर जांच दल जिलों में खरीदी केन्द्रों से दी गई धान की सत्यापन रिपोर्ट एवं अन्य शिकायतों की जांच करेगा। मंत्री राजपूत ने कलेक्टरों को 7 दिन में विस्तृत जांच कराकर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। सभी जिलों में जांच दल के अध्यक्ष कलेक्टर होंगे। टीम में उनके द्वारा तय किए गए अपर कलेक्टर, संयुक्त कलेक्टर या डिप्टी कलेक्टर शामिल होंगे। जिला आपूर्ति नियंत्रक या खाद्य अधिकारी इस जांच दल के संयोजक होंगे। उपायुक्त सहकारिता या सहायक आयुक्त सहकारिता, महाप्रबंधक जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक, जिला प्रबंधक मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन और जिला प्रबंधक मध्यप्रदेश वेयर हाउसिंग और लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन इस जांच टीम के सदस्य होंगे। खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने निर्देश दिया है कि गोदामों में धान कम मात्रा में जमा होने के कारणों की जांच कराई जाए एवं संबंधित उपार्जन समिति/परिवहनकर्ता आदि से शार्टेज मात्रा की वसूली कर संबंधित किसानों को भुगतान किया जाए। उपार्जन केंद्रों पर धान की शार्टेज की प्रतिपूर्ति बाजार एवं अन्य माध्यमों से कदापि न कराई जाए। धान परिवहन में उपयोग किए गए वाहनों की ट्रैकिंग एवं डाटा जिले से एवं टोल नाकों से प्राप्त करें। जिला परिवहन अधिकारी के माध्यम से धान परिवहन में उपयोग किए गए वाहनों की श्रेणी, प्रकार और लोडिंग क्षमता की जानकारी प्राप्त करें। इन बिंदुओं पर जांच कर अनियमितता पाए जाने पर नियमानुसार तत्काल संबंधित के विरूद्ध कार्यवाही सुनिश्चित करें। जांच के दौरान जिला प्रबंधक सिविल सप्लाइज कार्पोरेशन द्वारा मिलों को धान के नए डिलेवरी आर्डर जारी नहीं किए जाएंगे।
घोटाला डेढ़ सौ करोड़ के पार
जानकारी के अनुसार धान खरीद और मिलिंग में घोटाला अब तक डेढ़ सौ करोड़ रुपये की राशि पार कर गया है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ द्वारा प्रदेश में धान खरीदी समितियां के विरुद्ध की जा रही जांच में खुलासा हुआ कि ऐसा घोटाला पहली बार नहीं हुआ है बल्कि आशंका यह है कि यह बरसों से चला आ रहा है। फिलहाल अब तक 60 हजार क्विंटल धान की हेराफेरी उजागर हुई है।
दूसरे राज्यों से खरीद कर वसूल रहे मिलिंग चार्ज
ईओडब्ल्यू की जांच में खुलासा हुआ है कि 7 राज्यों से सस्ता धान खरीदकर मप्र सरकार से मिलिंग चार्ज वसूला जा रहा था। सिवनी की शकुंतला देवी राइस मिल में 2297 क्विंटल चावल जब्त किया गया है। यह चावल हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा से खरीदे गए सस्ते धान से तैयार किया गया था। ईओडब्ल्यू ने बीते 15 दिनों में 8 जिलों में 38 समितियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इसमें 145 लोगों को आरोपी बनाया गया। बालाघाट, सतना, सीधी, मैहर, डिंडोरी, सागर, पन्ना व सिवनी जिलों में की गई जांच में 60,000 क्विंटल धान की हेराफेरी पकड़ी गई है। ईओडब्ल्यू को शक है कि यह घोटाला सिर्फ राइस मिल संचालकों तक सीमित नहीं है। इसमें सहकारिता विभाग, सिविल सप्लाई कार्पोरेशन, वेयरहाउसिंग और नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों की भी मिलीभगत हो सकती है। ये एजेंसियां धान खरीदी से लेकर पीडीएस दुकानों तक सप्लाई की जिम्मेदार हैं। बिना इनकी सहमति के इस तरह की गड़बड़ी संभव नहीं। शकुंतला देवी राइस मिल में 4594 बोरियों में जो चावल मिला, उन बोरियों पर बाहरी राज्यों के मार्का थे। इससे साफ हो गया कि मिल ने मप्र सरकार को गलत जानकारी देकर सब्सिडी और मिलिंग चार्ज लिया।
पहले भी आ चुका है चावल घोटाला
चार साल पहले भी चावल घोटाला सामने आया था लेकिन उसमें कोई भी मिल संचालक जिम्मेदार नहीं ठहराया गया था। तब 22 जिलों के गोदामों में 73 हजार 540 टन पोल्ट्री ग्रेड का चावल मिला था। तीन सौ करोड़ के इस चावल घोटाले में सरकारी गोदामों तक घटिया (पोल्ट्री ग्रेड) चावल मिलर ने ही पहुंचाया था। ये चावल कोरोना काल में 22 जिलों में गरीब व प्रवासी मजदूरों को बांटने के लिए रखा गया था। इन जिलों के गोदामों में 73 हजार 540 टन से अधिक निम्न गुणवत्ता का चावल मिला था। प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी इस चावल के वितरण पर नाराजगी जताई थी। इतना बड़ा घोटाला सरकारी गोदाम के कर्मचारियों, मिलर और अधिकारियों की मिलीभगत के बगैर संभव नहीं था।

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