सिंचाई विभाग के सभी इंजीनियरों को ईएनसी ने दी क्लीनचिट

सिंचाई विभाग
  • बुंदेलखंड पैकेज घोटाला

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। देश के बहुचर्चित बुंदेलखंड पैकेज घोटाले में फंसे सिंचाई विभाग के 14 इंजीनियरों को विभाग के चीफ इंजीनियर ने क्लीनचिट दे दी है। प्रकरण में आरोपी इंजीनियरों द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन पर ईएनसी द्वारा दिए गए अभिमत में कहा गया है कि विभाग अधिरोपित आरोपों को प्रमाणित नहीं कर सका है। केंद्र सरकार ने बुंदेलखंड पैकेज के तहत मप्र को करीब 2,300 करोड़ रुपए आवंटित किए थे। इसमें से 600 करोड़ की राशि जल संरचनाओं के विकास के लिए सिंचाई विभाग को दी गई थी। सिंचाई विभाग के अफसरों द्वारा कराए गए कामों में उस समय बड़ी मात्रा में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। इसके बाद दोषी माने जा रहे इन इंजीनियरों को निलंबित कर विभागीय जांच शुरू कर दी गई थी। विभागीय जांच में आरोप प्रमाणित नहीं किए जा सके। इस जांच के दौरान जहां आठ 8 इंजीनियर सेवानिवृत्त हो गए , वहीं कुछ पदोन्नत भी हो गए। गौरतलब है कि  कथित अनियमितताओं के संबंध में तत्कालीन मुख्य तकनीकी परीक्षक (सीटीई) द्वारा राजघाट नहर परियोजना दतिया के निर्माण कार्य में अनियमितताओं के लिए प्रथम दृष्ट्या दोषी पाए गए जल संसाधन विभाग के सेवारत 14 इंजीनियरों के विरुद्ध 11 मई 2017 को आरोप पत्र जारी किए गए थे। प्रकरण में आरोपी इंजीनियरों द्वारा प्रस्तुत किए गए अभ्यावेदन पर ईएनसी का अभिमत मांगा गया था । इस अभिमत में ही ईएनसी ने क्लीनचिट दी है।
    इस तरह के लगाए गए थे आरोप
    दतिया जिले के भांडेर मुख्य नहर की लाइनिंग के कार्य का नियमित पर्यवेक्षण नहीं करना, बिना माप, सत्यापन तथा करना । फर्जी माप के आधार पर देयकों का भुगतान करना ।  हरपुरा सिंचाई एवं नदी तालाब जोड़ो परियोजना के निर्माण कार्य में फर्जी मापों के आधार पर भुगतान ।  कल्याणपुरा नहर सीसी लाइनिंग कार्य में सही काम नहीं होने से  कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त होना। मुख्य नहर अम्हा माइनर के कराए गए कार्यों की वास्तविक मापों को पुस्तक में दर्ज न कर मिथ्या माप दर्ज कर ठेकेदार को भुगतान करना और  सीसी लाइनिंग में 9000 मीटर से 1,28,000 के मध्य दरारें पाया जाना, वास्तविक मापों को छुपाकर मनगंढत माप के आधार पर भुगतान करना ।  बिना सत्यापन जानबूझकर अनियमित भुगतान किया जाकर सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया। मिट्टी का कार्य एवं नहर लाइनिंग के कार्यों को गुणवत्तापूर्ण नहीं होने से लाइनिंग कार्य में क्रेक पाए गए।
    पूरा पैकेज ही रहा चर्चा में
    अकले सिचाई विभाग का ही नहीं बल्कि मिला पूरा पैकेज ही अनियमिततओं के लिए चर्चा में रहा है। शायद ही ऐसा कोई विभाग रहा हो जिस पर अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोप न लगे हो। इन आरोपों के बाद भी सरकारी स्तर पर लीपापोती की चलते 2014 में टीकमगढ़ के समाजसेवी पवन घुवारा ने इस मामले में आरटीआई से मिली जानकारियों के आधार पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बुंदेलखंड पैकेज में हुए घोटालों की जांच के लिए निर्देश दिए गए थे। हाईकोर्ट के निर्देश पर गठित जांच टीम ने 2017 में जो रिपोर्ट जारी की उसमें पैकेज की धनराशि में बड़े पैमाने पर घोटाला होने की पुष्टि की गई थी। जांच टीम ने साफ तौर पर 350 स्टाप डैम के निर्माण में भारी अनियमितता होने का खुलासा किया था। मध्य प्रदेश के छह जिलों में 1250 नलजल योजनाओं में से एक हजार नलजल योजनाएं पूरी तरह से बंद पाई गईं, जबकि पैकेज का पैसा खर्च कर इनको चालू बताया गया था।
    इन इंजीनियरों पर थे गड़बड़ी के आरोप
    कार्यपालन यंत्री एचडी कुम्हार, दीपक सतपुते, एसडीओ एके त्रिपाठी, जेआर कनेरिया, आरपी शर्मा, एसपी पटेरिया, एमएल जैन, उपयंत्री एमसी आर्या, एससी माहौर, एमएस पवैया, एमएल गुप्ता, पीके अमर, एके श्रीवास्तव, एमके चौबे के नाम शामिल थे। इनमें से जेआर कनेरिया, आरपी शर्मा, एसपी पटेरिया, एमएल जैन, एमएल गुप्ता, पीके अमर, एके श्रीवास्तव तथा एमके चौबे सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

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