- कर्ज माफी, वसूली न होने और गड़बडिय़ों के कारण घाटे में चल रहे 50 प्रतिशत पैक्स

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
प्रदेश में किसानों को खाद-बीज बांटने, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपार्जन के साथ किसानों को अल्पावधि कृषि ऋण देने का काम करने वाली प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों (पैक्स)पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है। दरअसल, सरकार द्वारा किसानों की कर्ज माफी, वसूली न होने और गड़बडिय़ों के कारण 50 प्रतिशत प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां घाटे में चल रही हैं।
जानकारी के अनुसार प्रदेश की 4,539 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां (पैक्स) में से 50 प्रतिशत घाटे में चल रही हैं। वर्ष 2022-23 में 2,886 समितियां और वर्ष 2023-24 में 1,890 समितियां घाटे में रहीं। दरअसल, समितियों के चुनाव नहीं होने के कारण सामान्य कामकाज ही चल रहा है। नवाचार के प्रयास अवश्य हो रहे हैं, लेकिन इनकी गति इतनी धीमी है कि समितियों की आर्थिक सेहत नहीं सुधर रही है। इसके लिए सरकार समितियों में अपनी अंश पूंजी भी बढ़ा रही है।
कुछ समितियां वेतन बांटने की स्थिति में भी नहीं
गौरतलब है कि  प्रदेश में सहकारी समितियां खाद-बीज बांटने, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपार्जन के साथ किसानों को अल्पावधि कृषि ऋण देने का काम करती हैं। कुछ समितियां उचित मूल्य की राशन दुकानों का संचालन भी करती हैं। इन गतिविधियों के संचालन से कमीशन मिलता है, उससे न केवल इनका खर्च निकलता है बल्कि दूसरे व्यवसाय के लिए पूंजी भी बनती है। कांग्रेस सरकार की कर्ज माफी, वसूली न होने और गड़बडिय़ों के कारण समितियों को आर्थिक हानि होती रही है। स्थिति यह है कि 4,539 समितियों में से वर्ष 2022-23 में 1,640 और 2023-24 में केवल 375 को ही लाभ हुआ है। कुछ समितियां तो वेतन बांटने की स्थिति में भी नहीं रहीं। इससे हो रही परेशानी को देखते हुए सरकार ने अपनी अंश पूंजी भी बढ़ाई ताकि सहकारिता का तंत्र काम करता रहे।
पैक्स को उबारने हो रहे प्रयास
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह इस क्षेत्र को प्रोत्साहित कर रहे हैं। पहली बार 19 कंपनियों के साथ अनुबंध किया गया है, जो विभिन्न क्षेत्रों में समितियों के कारोबार को बढ़ाने में मदद करेंगी। भारत सरकार की कृषि अधोसंरचना निधि से भी नए काम प्रस्तावित किए गए हैं। जैविक खाद, पर्यटन, ग्रामीण परिवहन सहित अन्य क्षेत्र में काम करने के लिए महासंघ भी बनाए जा रहे हैं। सहकारी समितियों के सशक्तीकरण के लिए सरकार ने जो कार्य योजना बनाई है, उसके अनुसार खाद्य प्रसंस्करण, पशुपालन सहित अन्य क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। दो समितियां जहां पेट्रोल पंप का संचालन करने जा रही हैं तो कुछ दुग्ध उत्पादन, मत्स्य पालन, एलपीजी वितरण केंद्र आदि से जोडकऱ उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के प्रयास किए जाएंगे। 38 जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों में से नौ हानि में है। सरकार का दावा है कि इसमें से चार बैंकों को हानि से उबार लिया जाएगा।

 
											 
											 
											