निगम मंडलों व समितियों के खाली पदों पर राजनीतिक नियुक्तियों का शिद्दत से इंतजार

राजनीतिक नियुक्तियों
  • चुनावी जमावट के लिए अटकी राजनीतिक  नियुक्तियां, सत्ता में भागीदारी से दूर रहने से कार्यकर्ताओं में बढ़ रहा अंसतोष

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। भाजपा के नेता भले ही दावें करें की पार्टी अपने कार्यकर्ताओं की चिंता करती है, लेकिन इन दावों को पोल खुद सरकार द्वारा बीते ढाई साल में कार्यकर्ताओं की सियासी नियुक्तियों के न होने से खुल जाती है। मध्यप्रदेश में करीब एक दर्जन संस्थाओं में अटकी सियासी नियुक्तियों का इंतजार अब तक भी समाप्त नहीं हुआ है।  हद तो यह है कि प्रदेश में पहली बार ऐसा दिखाई दे रहा है जबकि बीते ढाई साल से विधानसभा उपाध्यक्ष का पद तक नहीं भरा गया है , जिसकी वजह से यह पद  लगातार रिक्त चल रहा है।  यह बात अलग है कि प्रभावशाली और कुछ बड़े नेताओं को जरुर सत्ता में भागीदारी दी जा चुकी है। खास बात तो यह है कि प्रदेश में पूर्व अफसरों की नियुक्ति में जरूर कोई  देर नहीं की जाती है।
मप्र में शिवराज सरकार के बने ढाई साल पूरे हो गए हैं, लेकिन अब तक निगम-मंडलों, प्राधिकरण और समितियों में नियुक्तियां नहीं हो पाई हंै। उधर, खाली राजनीतिक पदों पर नियुक्तियों का भाजपा नेता बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। लेकिन भाजपा सूत्रों का कहना है की चुनावी बेला में सरकार कोई ऐसा कदम नहीं उठाना चाहती है जिससे पार्टी में गुटबाजी और नाराजगी बढ़े। दरअसल, विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा राजनीतिक नियुक्तियां रणनीतिक प्लान के साथ करना चाहती है। भाजपा जातीय, क्षेत्रीय समीकरणों को देखते हुए आगामी दिनों में राजनीतिक नियुक्तियां करेगी, ताकि विधानसभा चुनाव में पार्टी को उसका फायदा मिल सके। गौरतलब है कि प्रदेश में करीब एक दर्जन संस्थाओं में अटकी सियासी नियुक्तियों का इंतजार डेढ़ साल बाद भी पूरा नहीं हो पाया।  यह पहला मौका है जब ढाई साल से विधानसभा उपाध्यक्ष का पद खाली पड़ा है। निगम-मंडल, प्राधिकरण, शासकीय अभिभाषक, कॉलेज, रोगी कल्याण, जेल की जनभागीदारी और अंत्योदय समितियों के अलावा सरकार में खाली राजनीतिक पदों पर नियुक्तयों का बेसब्री से इंतजार हो रहा है। लोक अभियोजकों की सूचियां संघ के आनुषांगिक संगठन से अनुमोदित होकर एक साल पहले ही भेजी जा चुकी हैं।
नियुक्तियां करने का बढ़ रहा दबाव
प्रदेश भाजपा में चल रही सरगर्मियों के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर सरकार में राजनीतिक नियुक्तियां करने का दवाब बढ़ रहा है। निगम-मंडलों में नियुक्तियों कई दिनों से अटकी हैं। सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए उनके समर्थकों को भी इन नियुक्तियों का इंतजार है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा में अंदरूनी तौर पर कई नेता नाराज है, उनकी सोच है कि नये आये भाजपाईयों को पदों से नवाजा जा रहा है और पार्टी के वरिष्ठ व निष्ठावान लोगों की कोई पूछ परख नहीं हो रही हैं। इसी कारण पार्टी के प्रदेश सूबा प्रमुख व उनके रणनीतिकारों ने यह नियुक्तियां ठंडे बस्ते में डाल दी है। बताया जाता है कि इसी कारण सरकार से होने वाली नियुक्तियों पर रोक लग गई है। इस संदर्भ में अब पार्टी सूबा प्रमुख से लेकर मुख्यमंत्री व संगठन महासचिव की बैठक होगी, तभी कुछ संभव हो पायेगा। ऐसा माना जा रहा है कि निगम मंडल व प्राधिकरण की आड़ में अब नाराज भाजपाई भी मनाये जाने की कवायद होगी। क्योंकि संगठन के लोगों को डर है कि पंचायत व नगरीय निकाय चुनावों में अपेक्षाकृत परिणाम नहीं मिल पाएंगे।
आज प्रभारी सौंपेंगे राज्य की रिपोर्ट
भाजपा हाईकमान ने आज मध्यप्रदेश सहित देश के सभी राज्यों के प्रभारियों की दिल्ली में बड़ी बैठक बुलाई है। इस अवसर पर राज्यों में लागू किए जाने वाले केंद्र के कार्यक्रम और मिशन 2023 और 2024 को लेकर महत्वपूर्ण फैसले भी किए जाएंगे। इसके बाद 30 सितंबर को भोपाल में भी संगठन की बड़ी बैठक बुलाई गई है। दिल्ली की बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष के अलावा सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल और प्रभारी मुरलीधर राव सहित अनेक पदाधिकारी मौजूद रहेंगे। इस बैठक के फैसले और नए कार्यक्रमों को लागू किए जाने के लिए रोडमैप तैयार करने राज्यों में अलग से बैठकें आयोजित की जाएंगी। इस संदर्भ में 30 सितंबर को भोपाल में भी बैठक बुलाई जा रही है।
समन्वय की कमी और नाराजगी की आशंका
पार्टी सूत्रों का कहना है कि लेट-लतीफी और अनिर्णय के पीछे समन्वय की कमी तो है ही इसके अलावा सत्ता-संगठन को कार्यकर्ताओं की नाराजी की आशंका भी सता रही है। पंचायत-निकाय चुनाव में जिस तरह बगावत और कार्यकर्ताओं की नाराजगी सामने आई है, उसे देखकर संगठन को यह भी आशंका सता रही है कि नियुक्तियों के मामले में एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति है। नियुक्तियों के बाद कार्यकर्ताओं में नाराजगी और निराशा उपजेगी उससे विधानसभा चुनाव भी प्रभावित होंगे। भोपाल में सत्ता-संगठन की पिछली बैठक और कोर कमेटी की बड़ी बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, फग्गन सिंह कुलस्ते, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और अन्य सदस्यों की मौजूदगी यह मुद्दा उठा था। इसके बाद निकाय और पंचायत चुनाव के बाद सियासी नियुक्तियों को हरी झंडी देने की बात सामने आई थी।
ढाई साल से अटकीं सूचियां: कॉलेज की जनभागीदारी समितियां, अंत्योदय समिति, रोगी कल्याण समितियां सहित सभी जिला जेल में नियुक्त होने वाले संदर्शक, लोक अभियोजक, सहायक लोक अभियोजक और नोटरी के लिए सूचियां सवा साल पहले ही फाइनल हो चुकी हैं। संघ परिवार का आनुषांगिक संगठन भी सरकारी वकीलों के संदर्भ में करीब सवा साल पहले अपनी अनुमोदित सूची सरकार को भेज चुका है। रोगी कल्याण, कॉलेज की जनभागीदारी और ब्लॉक स्तर पर गठित होने वाली जैसी अंत्योदय समिति में सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता एडजस्ट होने के इंतजार में हैं। प्रदेश में मार्च 2020 में सरकार बन गई थी, उसके बाद ढाई साल का समय निकल चुका है। आगामी चुनाव के लिए बमुश्किल एक साल का ही समय बचा है। विधानसभा चुनाव सिर पर हैं, ऐसे में सत्ता संगठन से जुड़े नेताओं की चिंता बढ़ रही है। पार्टी में वरिष्ठ कार्यकतार्ओं के अलावा हर जिले में ऐसे दावेदारों की संख्या भी बहुत ज्यादा है जो इन संस्थाओं में अपने लिए किसी न किसी पद की दावेदारी कर चुके हैं।

Related Articles