किसानों की महीनों की मेहनत पर फिरा पानी, जेब का पैसा भी गंवाया

 उड़द के बीज

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार द्वारा अच्छी फसल के लिए मुहैया कराए गए उड़द के बीज किसानों के लिए मुसीबत बनकर सामने आए हैं। हालत यह हो गई कि न तो उन्हें फसल मिली और न ही उनकी मेहनत का फल। हालत यह हो गई उन्हें इन बीजों पर भरोसा कर अपनी जेब की पूंजी से भी हाथ धोना पड़ गया है। यह हकीकत है कटनी जिले के बहोरीबंद विकास खंड के उन किसानों की जिन्होंने सरकारी उड़द के बीज पर भरोसा कर उन्हें फसल उगाने के लिए खेतों में डाला था। यह बीज किसानों को कृषि विभाग द्वारा दिया गया था। गर्मी में लगाई गई इस फसल की सुरक्षा और अच्छी उपज की आशा में यह किसान करीब तीन माह तक उसकी सुरक्षा से लेकर खाद और पानी डालते रहे , लेकिन जब फसल आयी तो पता चला कि उनकी पूरी मेहनत और लगाई गई पूंजी बेकार चली गई है। दरअसल फलियों में दाना ही नहीं आया। यही नहीं कुछ फसल के तो पत्ते तक पीले पड़ गए और उसमें फलियां तक नहीं आयीं। इस विकासखंड के तहत आने वाले ग्राम गाताखेड़ा के एक किसान के मुताबिक उसने कृषि विभाग से बीज लेकर खेत में डाला था। लगातार तीन माह से अधिक समय तक खेतों में रखवाली करते हुए तपती दोपहर में सिंचाई करने से लेकर खाद तक डाला , लेकिन उपज ही नहीं मिल सकी। अब इसके बाद फसल को हटाने में अलग से राशि अलग से खर्च करनी पड़ी है।  यही हाल लगभग अन्य किसानों के खेतों में भी रही है।
पहले भी हो चुके हैं किसान इस धोखे का शिकार
यह पहली बार नहीं हुआ है, बल्कि इस इलाके में इसके तीन साल पहले भी किसान इसी तरह के सरकारी धोखे का शिकार हो चुके हैं। वर्ष 2017 में कृषि विभाग की ओर से किसानों को उन्नत किस्म के धान की नर्सरी के लिए बीज दिया गया था। किसानों ने इस बीज को बोया तो , लेकिन उसमें बाली ही नहीं आयी थी , जिसकी वजह से इस फसल को बोने वाले किसान कर्जदार तक हो गए थे। किसानों का आरोप है कि कृषि विभाग के अफसर बीजों में घपला कर उनके घटिया बीज उपलब्ध करा रहे हैं जिसकी वजह से फसल का लाभ मिलना तो दूर उलटे उनकी जेब की रकम भी चली जाती है। उनका कहना है कि ऐसा कृषि विभाग के अफसरों द्वारा निजी बीज कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए किया जाता है। खास बात यह है कि इन मामलों के सामने आने के बाद भी सरकार व प्रशासन भी जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं करता है।

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