- गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।

चुनावी साल के बीच में भी सत्ता में भागीदारी के नाम पर निगम मंडलों में नियुक्ति की आस लगाए भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं के लिए अब बुरी खबर है। सत्ता व संगठन ने अब इस तरह की नियुक्तियां न करने का फैसला कर लिया है। इसकी वजह है आधारहीन अंचभों को पदों का बंदरबाट करने से कुलीनों के इस कुनबे में कलह होना है। इसकी वजह से अब भाजपा सरकार व संगठन में एक तरफ कुआँ तो दूसरी तरफ खाई की स्थिति बन गई है। यही वजह है कि अब सरकार व संगठन ने मिलकर तय किया है कि इस साल अब कोई भी नई राजनैतिक नियुक्तियां नहीं की जाएंगी। अब सिर्फ जातिगत समीकरण साधने के लिए बनाए जाने वाले कल्याण बोर्ड में ही नियुक्तियां की जाएंगी। इन बोर्ड में ब्राह्मण कल्याण बोर्ड, रजक, विश्वकर्मा, तेलघानी और स्वर्णकार कल्याण बोर्ड शामिल हैं। मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी निगम, मंडलों के साथ ही प्राधिकरण में नेताओं की नियुक्तियां कर असंतोष थामने का प्रयास कर रही थी, लेकिन इन नियुक्तियों को लेकर पार्टी के अंदर तो घमासान मचा ही दिया है साथ ही असंतोष को और हवा दे दी है। दरअसल अब तक जितनी भी निगम मंडलों में नियुक्तियां की गई हैं उनमें करीब 25 फीसदी पदों पर तो दूसरे दलों से आने वाले नेताओं को पद देकर उपकृत किया गया है। इसके बाद उन नेताओं को पद दे दिए गए हैं, जिनका भले ही प्रदेश तो ठीक अपने ही इलाकों में कोई प्रभाव नहीं है, लेकिन वे बड़े नेताओं के करीबी बनने में सफल रहे हैं। इसकी वजह से मेहनती और पार्टी के लिए तनमन धन से समर्पित कार्यकर्ता एक बार फिर पूरी तरह से उपेक्षित रह गए। इसकी वजह से उनके बेहद नाराजगी दिखना शुरु हो गई। इसके अलावा उनमें इन नियुक्तियों में देरी और सेवानिवृत्त अफसरों को उपकृत करने को वरीयता देना भी नाराजगी की बड़ी वजह है। यह बात जब मैदानी स्तर पर भेजे गए नेताओं की जानकारी में आयी तो इससे पार्टी के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश को अवगत कराया गया , जिसके बाद नई नियुक्तियों पर रोक लगा दी गई है। इसकी वजह से अब बचे हुए कई प्राधिकरण, सैकड़ों एल्डरमैन, सरकारी वकील, निगम-मंडल और आयोगों में नियुक्तियों पर ब्रेक लगा दिया गया है। इसी तरह से बचे हुए प्राधिकरणों में ग्वालियर विकास प्राधिकरण, ग्वालियर स्पेशल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी, ग्वालियर व्यापार मेला विकास प्राधिकरण, ओरछा और खजुराहो विकास प्राधिकरण, विंध्य और बुंदेलखंड विकास प्राधिकरण में होने वाली नियुक्तियां भी अटक गई है। खास बात यह है कि इस निर्णय के बाद नगरीय निकायों में एल्डरमैन के मनोनयन और मत्स्य महासंघ, हस्तशिल्प विकास निगम और महिला वित्त एवं विकास निगम के रिक्त पद भी फिलहाल खाली रहने वाले हैं। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही कुछ बीजेपी नेताओं ने दिल्ली जाकर हाईकमान से सियासी नियुक्तियों में देरी को लेकर शिकायत भी की थी। नेताओं की शिकायत में कहा था कि पूर्व आईएएस अफसरों और अधिकारियों के पुनर्वास में सरकार देर नहीं करती लेकिन, पार्टी का डंडा व झंडा लेकर चलने वालों पर पार्टी कोई ध्यान नहीं दे रही है। इसमें खासतौर पर पूर्व आईएएस अशोक शाह और केसरी के पुनर्वास पर हाईकमान से शिकायत की गई थी। अशोक शाह हाल ही में रिटायर हुए और उसके तुरंत बाद उन्हें गुणवत्ता परिषद में डीजी के पद पर नियुक्ति दे दी गई। इसी तरह एक अन्य अधिकारी केसरी को रिटायरमेंट के बाद पुनर्वास देते हुए दिल्ली में मीडिया सलाहकार पद पर नियुक्ति दे दी गई थी।
घोषणा के बाद नियुक्ति आदेश भी जारी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मार्च और अप्रैल में चुनावी सभाओं, रैलियों और बैठकों के दौरान कहा था कि हर बोर्ड का अध्यक्ष उसी समुदाय से बनाया जाएगा। यह बोर्ड कल्याण से जुड़ी अनुशंसाएं सरकार को करेगा। इसी आधार पर युवाओं को रोजगार या स्वरोजगार की संभावनाएं बनाई जाएंगी। सीएम की घोषणा के तुरंत बाद बोर्ड के गठन के आदेश तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार कल्याण विभाग ने तुरंत जारी भी कर दिए। बोर्ड में अध्यक्ष के साथ चार सदस्यों की नियुक्ति होगी।
जिलों के संगठन में होगा बदलाव
बीते रोज हुई प्रदेश पदाधिकारियों की नियुक्ति के बाद अब संगठन में प्रदेश स्तर पर बदलाव कम होंगे, जिलों की टीम में बदलाव हो सकता है। कुछ नए जिलाध्यक्ष बने हैं, लिहाजा जिला महामंत्री, उपाध्यक्ष से लेकर बाकी पदों पर चेहरें बदलेंगे। प्रकोष्ठों, मोर्चों और अन्य सहयोगी संगठनों के पदाधिकारियों में भी बदलाव किए जाने की संभावना है। संगठन द्वारा जिलों को निर्देश दिए जा चुके हैं कि वे नियुक्तियों व फेरबदल के काम को जल्द से जल्द पूरा कर लें, जिससे की विधानसभा चुनाव को लेकर तय किए जाने वाले कामों पर फोकस कर संगठन को तेजी से सक्रिय किया जा सके।
मलाईदार पदों की चाहत, हाईकमान तक पहुंची शिकायतें
मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी निगम, मंडलों के साथ ही प्राधिकरण में नेताओं की नियुक्तियां कर असंतोष थामने का प्रयास कर रही है, लेकिन इन नियुक्तियों को लेकर पार्टी के अंदर घमासान मचा हुआ है। कुछ नेताओं ने इसकी शिकायत दिल्ली पहुंचकर आलाकमान से की है। अभी भी कई पद खाली पड़े हैं। इन पदों के लिए नेताओं के बीच घमासान छिड़ा हुआ है। खास बात यह है कि इन नेताओं की पसंद संगठन के पदों के मुकाबले मलाईदार पदों पर टिकी है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की नसीहत के बाद शिवराज सरकार ने निगम व मंडल के साथ ही सत्ता और संगठन में खाली पदों पर नियुक्तियां फिर से शुरू की थी। इन नियुक्तियों को लेकर विवाद बढ़ने के बीच हाल ही में सरकार ने एक दर्जन अध्यक्ष, उपाध्यक्ष को कैबिनेट और राज्यमंत्री का दर्जा दिया था, जिसके बाद सियासी पुनर्वास का इंतजार कर रहे पुराने नेताओं में निराशा बढ़ गई। सरकार ने इसके पहले 42 नेताओं को मंत्री दर्जा देकर निगम मंडल, प्राधिकरण, आयोग, कमेटी या फिर अन्य जगह नियुक्तियां की थीं। कुल मिलाकर 61 लोगों की नियुक्तियां हो चुकी हैं।
यह भी है वजह
कार्यकर्ताओं में नाराजगी की एक यह वजह भी सामने आयी है , की कुछ चेहरे तो ऐसे हैं, जिन्हें संगठन के साथ ही चुनाव में भी प्रत्याशी बनने का मौका मिल चुका है। इनमें से कई विधायक भी रह चुके हैं। इसके बाद जब इस तरह का मौका आया तो उन्हें निगम मंडलों में नियुक्ति देकर एक बार फिर से उपकृत कर दिया गया है। यही नहीं कई चेहरे तो ऐसे हैं, जिन्हें हर बार सरकार बनने पर इस तरह से उपकृत कर दिया जाता है।