‘अविश्वास’… टांय-टांय फिस्स

मुख्यमंत्री

सत्ता पक्ष के सदस्य भी रहे विपक्ष पर आक्रमक

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की सियासत में 11 साल बाद एक बार फिर विपक्षी दल कांग्रेस द्वारा शिवराज सरकार के खिलाफ लाया गया प्रस्ताव टांय-टांय फिस्स हो गया है। सदन में विधायकों की संख्या के हिसाब से यह तो पहले ही तय था कि विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव ( ब्रह्मास्त्र ) से कोई अंतर सरकार की सेहत पर नहीं डाल पाएगा, लेकिन माना जा रहा था कि इस मौके का फायदा भरपूर रुप से विपक्ष द्वारा उठाया जाएगा, लेकिन इसमें वे असफल नजर आ रहे हैं। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान जिस तरह से कमलनाथ सदन से पूरी तरह से गायब रहे, उससे भी कई तरह के सवाल खड़े होना लाजमी हैं। नाथ न केवल प्रदेश में कांग्रेस के इस समय सबसे बड़ा चेहरा हैं, बल्कि उन पर ही अपनी पार्टी की भी जिम्मेदारी है। वे पूर्व मुख्यमंत्री भी हैं, लेकिन ऐसे समय में उनका सदन में नहीं आना पार्टी की स्थिति को दर्शा जाता है। अविश्वास पर चर्चा के समय जहां जीतू पटवारी, विजय लक्ष्मी साधौ और डॉ गोविंद सिंह आक्रमक दिखे तो वहीं उनकी ही पार्टी के अन्य साथी रस्मी तौर पर नजर भी आए।  अविश्वास प्रस्ताव पर बीते रोज देर रात पौने एक बजे तक चर्चा हुई। करीब तेरह घंटे तक चली चर्चा में विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों का मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज अपना वक्तव्य दे रहे हैं।  विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा बुधवार करीब सवा बारह बजे प्रारंभ हुई।
चर्चा की शुरुआत करते हुए नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए। उनके बाद गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सरकार की तरफ से मोर्चा संभालते हुए पक्ष रखा। इसके बाद अध्यक्ष गिरीश गौतम में एक-एक कर कांग्रेस और भाजपा के सदस्यों को प्रस्ताव पर बोलने का मौका दिया। इससे पूर्व सदन में जय श्री राम और जय जय सियाराम के नारे गूंजे। कांग्रेस ने भगवान राम और सीता पर मंत्री मोहन यादव और बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा के बयान पर विरोध जताते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया। अध्यक्ष ने पहले प्रस्ताव पर चर्चा के लिए चार घंटे का समय निर्धारित किया था। पर कांग्रेस सदस्यों की मांग पर बार-बार इसे बढ़ाया जाता रहा। देर रात विधानसभा अध्यक्ष ने बाकी बचे सभी विधायकों को चर्चा के लिए 5-5 मिनट का समय देना तय किया। चर्चा के दौरान कई मौके पर सदन में हंगामे के हालात बने। कांग्रेस की वरिष्ठ विधायक डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव पर जमकर हमला बोला। डॉ. साधौ ने कहा कि उच्च शिक्षा मंत्री द्वारा सीता माता पर की गई टिप्पणी महिलाओं का अपमान है, इसके लिए वे माफी मांगे। इस पर जमकर हंगामा हुआ।
सत्तापक्ष द्वारा माफी मांगने से इंकार किए जाने पर कांग्रेस ने सदन से बहिर्गमन कर दिया। एक समय तो ऐसी स्थिति बनी कि विपक्ष की सीट पर एक मात्र विधायक तरवर लोधी मौजूद थे। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान जहां विपक्ष ने सरकार को घेरा, तो सत्ता पक्ष ने भी करारा जवाब दिया। भगवान श्रीराम को लेकर राज्य विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर हंगामा और शोर-शराबा हुआ। सत्ताधारी दल भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्यों ने सदन में जय श्री राम और जय सिया राम के नारे गूंजे। आसंदी में मौजूद विधानसभा अध्यक्ष के हस्तक्षेप के बाद दोनों दलों के सदस्य शांत हुए। यह वाकया तब हुआ, जब भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा सदन में बोल रहे थे। उन्होंने श्रीराम, और भारतीय संस्कृति को लेकर टिप्पणी की थी। इस पर कांग्रेस की डा. विजय लक्ष्मी साधौ ने कहा, प्रदेश सरकार के मंत्री मोहन यादव ने माता सीता के बारे में टिप्पणी की है, यह कौन सी संस्कृति है। क्या वे माता सीता को नहीं मानते हैं। साधौ ने कहा, फिर भाजपा और आरएसएस के लोग जय श्री राम क्यों बोलते हैं, जय सिया राम क्यों नहीं बोलते हैं।
शर्मा ने कहा, माता सीता, श्रीराम और अयोध्या सब हमारे हैं, तुम्हारा क्या ? कांग्रेस सदस्यों ने कहा, शर्मा माफी मांगे, हम लोग भी राम को मानते हैं। साधौ और सज्जन सिंह वर्मा ने कहा, चंदा चोर राम को मानने लगे हैं, आरएसएस के लोग कभी महिलाओं का सम्मान नहीं करते हैं? उसके बाद दोनों तरफ से जमकर शोर-शराबा हुआ। अध्यक्ष और संसदीय कार्यमंत्री ने शर्मा के माफी मांगने को नकार दिया। कांग्रेस के जीतू पटवारी ने कहा, माफी नहीं मांगेंगे तो हम लोग सीएम को नहीं सुनेंगे। थोड़ी देर तक हंगामे और शोर-शराबा के बीच आसंदी के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हो  गया।

झूठ बोलो, जोर से बोलो, बार-बार बोलो, ये कोई जीतू से सीखे: सीएम
इससे पहले सीएम ने सदन में बैठे रहने की बात पर कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हो रही हो और सीएम न हो ऐसा नहीं हो सकता, इसलिए मैं यहां बैठा हूं। सीएम की बात पर कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने कहा- आप तो जाने वाले?… इस पर सीएम ने कहा- झूठ बोलो, जोर से बोलो, बार-बार बोलो, ये कोई जीतू से सीखे।
सिंधिया को दिखाकर वोट लिए और बुजुर्ग को सीएम बना दिया
मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कहा मध्यप्रदेश में 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने सिंधिया जी का चेहरा दिखाकर वोट लिए और बाद में 70 साल के बुजुर्ग को सीएम बना दिया। जब हम कांग्रेस में थे, तब 100 यूनिट बिजली 100 रुपये में देने का वचन दिया था, लेकिन उसे कांग्रेस की सरकार ने नहीं शिवराज सिंह चौहान ने पूरा किया।
व्यापम भ्रष्टाचार पर फिल्म बनी: जयवर्धन  सिंह
कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने कहा कि एक फिल्म बनी है, वो सीएम के विकास पर नहीं, बल्कि व्यापमं के भ्रष्टाचार पर बनी है। व्यापम ने युवाओं का भविष्य खत्म कर दिया। उन्होंने कुपोषित बच्चों, गर्भवती माताओं के आहार में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए।
सभी परेशान, भ्रष्टाचार का बोलबाला:  गोविंद सिंह
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत करते हुए नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि प्रदेश में किसान और युवा परेशान हैं। किसानों के नाम से चल रही स्वरोजगार योजनाएं बंद कर दीं। हजारों पद रिक्त हैं। बिजली के अनाप-शनाप बिल थमाए जा रहे हैं। रोजगार कार्यालयों में 32 लाख और भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में एक करोड़ 30 लाख बेरोजगार हैं। राज्य आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ लूट के केंद्र बन गए हैं। पोषण आहार में करोड़ों रुपये का घोटाला हो गया। अस्पतालों पर सरकार की मेहरबान ऐसी हैं कि अकेले चिरायु अस्पताल को 70 करोड़ रुपये दिए।
अविश्वास प्रस्ताव महज सतही दस्तावेज : भूपेन्द्र
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने सदन में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि इसमें न तथ्य हैं, न तर्क हैं। यह पहली बार देखने को मिला कि विपक्ष ने सदन के पटल पर एक भी तथ्य या तर्क नहीं रखा, जिसका जवाब दिया जा सके। सिंह ने कहा कि कांग्रेस की सवा साल की सरकार के भ्रष्टाचार के ढेरों मामले हमारे पास हैं, जिन्हें सार्वजनिक करने में प्रदेश की बदनामी होगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव कुंठाग्रस्त होकर लाया गया ऐसा सतही दस्तावेज है, जो महज अखबारों की कतरनों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के सवा साल के कार्यकाल मप्र में लुटेरों की मानसिकता से काम करते हुए पूरे प्रदेश को आर्थिक रूप से तबाह कर दिया था। कांग्रेस की सरकार यदि नहीं गिरती तो यह संभावना बन रही थी कि मप्र की हालत 2003 के पहले वाले मध्यप्रदेश जैसी हो जाती। उन्होंने कहा कि मेरे पास वह एक्सेल शीट है, जिसमें इनकम टैक्स के छापे में नामों की सूची है, जिनके आगे राशि लिखी हुई है। मैं इस एक्सेल शीट को सदन में पढ?ा नहीं चाहता, इससे राज्य की बदनामी होगी। मंत्री सिंह ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने बुंदेलखंड की महत्वाकांक्षी केन बेतवा लिंक परियोजना में अड़ंगे खड़े करके विलंब करवाया। गरीब और कमजोर वर्ग का सहारा बनी राज्य बीमारी सहायता योजना को बंद कर दिया। मुख्यमंत्री संबल योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना, तेंदूपत्ता संग्राहक योजनाएं गरीब, कमजोर वर्गों के लिए भाजपा सरकार ने शुरू की थीं। कांग्रेस सरकार ने ऐसी योजनाएं चुन चुन कर बंद कीं। मंत्री सिंह ने कहा कि कांग्रेस की सवा साल की सरकार ने गरीबों के 2 लाख 32 हजार आवास वापस कर दिए थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरंन्द्र मोदी जी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार तेजी से मध्य प्रदेश को विकास के रास्ते पर ले जा रही है।
15 माह में कर दिए थे 15 हजार तबादले: डॉ. नरोत्तम मिश्र
कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव पर पलटवार करते हुए गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कमल नाथ की सरकार डेढ़ साल अकंठ भ्रष्टाचार में डूबी हुई थी । वल्लभ भवन को दलाली- का अड्डा बना दिया था। 165 दिन में 450 आइएएस, आइपीएस और 15 हजार से अधिक कर्मचारियों के तबादले किए। कुत्तों तक को नहीं छोड़ा। 46 कुत्तों के तबादले कर दिए। एक भी किसान का दो लाख रुपये का ऋण माफ करना बता दें तो मैं इस्तीफा दे दूंगा। एक समय प्रदेश में डकैत, नक्सली और सिमी के आतंकियों का बोलबाला था, लेकिन हमने न सिर्फ प्रदेश को डकैत मुक्त बनाया है, बल्कि सिमी के नेटवर्क को भी ध्वस्त किया। आलोचना का स्तर इतना गिर गया है कि श्री महाकाल महालोक को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

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