- वित्त विभाग ने जारी नहीं की राशि
- विनोद उपाध्याय
मप्र आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है। इसके चलते सरकार ने फिलहाल खर्चों पर रोक लगा रखी है। इसका खामियाजा विकास कार्यों पर भी पड़ रहा है। प्रदेश की आर्थिक स्थिति को देखते हुए वित्त विभाग ने नए कार्यों के लिए फंड देने में लगभग रोक सी लगा दी है। इस कारण प्रदेश में सडक़ निर्माण और अन्य विकास के करीब 6अरब रुपए से अधिक के कार्य अटक गए हैं। गौरतलब है की लोकसभा चुनाव को देखते हुए सरकार का सबसे अधिक फोकस विकास कार्यों पर है। गौरतलब है कि चुनाव के दौरान प्रत्याशियों ने कई वादे भी किए। विधायक निधि तो नए वित्तीय वर्ष में ही मिलेगी पर इसके पहले लोकसभा चुनाव होंगे। उधर, सभी निर्माण विभागों के अधिकारियों से कहा गया है कि वे सांसद और विधायकों के माध्यम से मिलने वाले प्रस्तावों को आगामी वर्ष की कार्य योजना में प्राथमिकता दें। लोक निर्माण विभाग ने तो आश्वस्त भी कर दिया है कि जो प्रस्ताव मिलेंगे उनका तकनीकी परीक्षण कराकर एक साथ निविदा आमंत्रित कर ली जाएंगी।
सीएम ने दिए हैं राशि जारी करने के निर्देश
जानकारी के अनुसार, राजधानी समेत प्रदेश के 413 नगरीय निकायों में सडक़ों व अन्य जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए 600 करोड़ रुपए की दरकार है। वित्त विभाग ने यह राशि रोक रखी है। ऐसे में विकास कार्य रफ्तार नहीं पकड़ पा रहे हैं। इसे ध्यान में रखते हुए नगरीय विकास विभाग के आला अफसर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से यह राशि जल्द दिलाने का आग्रह कर चुके हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कुछ दिन पहले नगरीय विकास विभाग की समीक्षा की थी। इस दौरान विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई व अन्य अधिकारियों ने उन्हें बताया था कि मुख्यमंत्री नगरीय क्षेत्र अधोसंरचना निर्माण योजना के लिए 200 करोड़ रुपए का बजट उपलब्ध है। यह राशि वित्त विभाग में लंबित है। इस कारण नगरीय निकायों को जरूरी कार्यों के लिए नहीं दे पा रहे हैं। इसी तरह सडक़ों की मरम्मत, नए सिरे से निर्माण की कायाकल्प योजना के लिए बजट में 400 करोड़ रुपए रखा गया है। यह पैसा वित्त विभाग के पास अटका हुआ है। इस पर मुख्यमंत्री ने वित्त विभाग के अफसरों को राशि जारी करने के निर्देश दिए थे। यहां बता दें कि वित्त विभाग ने पिछले वर्ष भी कायाकल्प और अन्य योजनाओं के लिए मंजूर फंड रोक दिया था। शहरों की सडक़ें दुरुस्त करने के लिए कायाकल्प योजना की शुरुआत की गई थी। इसके दूसरे चरण में सड़क के साथ ही पुल, पुलिया, ड्रेनेज, डिवाइडर, सेंट्रल लाइटिंग जैसे कार्य भी कराए जा सकेंगे। भोपाल, इंदौर समेत प्रदेश के चार बड़े शहरों के लिए 18-18 करोड़ रुपए की सैद्धांतिक स्वीकृति दी गई थी। बाकी 12 नगर निगम को 60 करोड़ रुपए दिया जाना है। वहीं नगर पालिका और नगर परिषदों को उनके आकार व जनसंख्या के लिहाज से सडक़ों के लिए 50 लाख से 2.30 करोड़ रुपए दिया जाना है। मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना विकास योजना के चौथे चरण में 332 करोड़ रुपए पिछले साल ही मंजूर हो गए थे। इस राशि से 299 नगरीय निकायों में 308 परियोजनाओं का काम होना है। इसके अलावा तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की 29 घोषणाओं पर अमल योजना में होना था। इसमें प्रमुख तौर से भोपाल के गुफा मंदिर प्रांगण में नाला निर्माण व अन्य कार्य के लिए पांच करोड़, छोला हनुमान मंदिर जीर्णोद्धार व कॉरिडोर निर्माण के लिए छह करोड़ और अशोक नगर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए 25 करोड़ रुपए शामिल है। स्वीकृत के अलावा योजना में 168 करोड़ रुपए का प्रावधान और किया गया है। इस तरह 500 करोड़ रुपए का प्रावधान सप्लीमेंट्री बजट में किया जाना जरूरी है। यह विस और फिर कैबिनेट में अनुमोदित होने के बाद ही मिल सकेगा।