‘माननीयों’ के विकास प्रस्ताव फाइलों में कैद

विकास प्रस्ताव
  • 3 साल बाद भी सड़क निर्माण के बड़े प्रोजेक्ट शासन की प्राथमिकता सूची में नहीं

    भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। 
    मप्र में सत्ता और संगठन ने सांसदों और विधायकों को अपने-अपने क्षेत्र में सक्रिय रहने और विकास कार्य करवाने का निर्देश दिया है। ताकि मिशन 2023 और 2024 को आसानी से फतह किया जा सके। लेकिन ‘माननीयों’ के सामने समस्या यह है कि उनके पहले के विकास प्रस्ताव फाइलों में कैद है। ऐसे में नए प्रस्ताव कैसे दें।
    जानकारी के अनुसार, 2018 में भी सत्ता और संगठन ने ‘माननीयों’ को निर्देश दिया गया था कि वे अपने क्षेत्र के ऐसे बड़े पोजेक्ट तैयार करें जो सीधे जनता से जुड़े हैं। उधर, विधायकों की ओर से बात सामने आ रही है कि मिशन 2018 के लिए भी बड़े प्लान दिए थे जो आज तक पूरे नहीं हुए हैं। सांसद रहते ज्योति धुर्वे और आमला के विधायक रहे चैतराम मानेकर के प्रस्ताव शासन की प्राथमिकता सूची में शामिल नहीं होने से करीब 400 करोड़ के प्रपोजल केंद्र सरकार तक नहीं पहुंचे। उधर लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव का कहना है कि विभाग द्वारा केन्द्र को भेजे गए सभी प्रपोजल मंजूर कर लिए गए हैं तथा एक माह पहले राशि भी मिल गई है। केन्द्रीय सड़क विकास निधि योजना में सभी प्रस्ताव शामिल नहीं हो सकते हैं। विधायकों के कामों को शासन स्तर पर प्राथमिकता में लिया जाता है।
    सैकड़ों किमी सड़कों के प्रस्ताव अटके
    तत्कालीन बैतूल सांसद ज्योति धुर्वे ने जुलाई 2018 को सारणी से लांदी होते हुए रतेडाकला-जमदेही, माहोली, जंबाडा, सोनतलाई, बुंडाला  सर्रा होते हुए परमंडल (एनएच 47) तक कुल 48 किमी, आठनेर से मंढा छिंदवाड़ा, गारगुड, हीरादेही, धारूल होते हुए महाराष्ट्र राज्य की सीमा तक 48 किमी तक सड़क निर्माण और 45 किमी तक पाढर से चिखली- झाडकुंड, मलाजपुर-चिचोली होते हुए भीमपुर तक सड़क निर्माण के प्रपोजल दिए हैं। आमला के विधायक रहे चैतराम मानेकर ने 120 किलोमीटर मार्ग निर्माण के लिए करीब तीन सौ करोड़ के प्रस्ताव दिए। विधायक योगेश पंडाग्रे ने सारणी से रतेडाकला तक सड़क निर्माण का प्रपोजल दिया है। विधायक सुखदेव पांसे ने बैतूल जिले के मुलताई पिसाटा बिरूलबाजार मार्ग को बनाने के लिए प्रस्ताव दिया है। इनके प्रपोजल शासन की प्राथमिकता सूची में शामिल नहीं किए गए।
    1800 करोड़ के प्रस्ताव लंबित
    पूर्व सांसद धुर्वे और मानेकर अकेले जनप्रतिनिधि नहीं हैं बल्कि कई और सांसद और विधायकों के बड़े प्रोजेक्ट लोक निर्माण विभाग ने शासन की प्राथमिकता सूची में शामिल नहीं किए। इनमें वर्तमान विधायक डॉ. योगेश पंडाग्रे और सुखदेव पांसे भी हैं। इनके प्रस्ताव भी फाइलों में दबे पड़े हैं। विडंबना यह है कि लोक निर्माण विभाग केन्द्रीय सड़क विकास निधि योजना में बजट लाने में पीछे है। विभागीय जानकारी के अनुसार 16 दिसम्बर तक केंद्र सरकार के पास 1811.78 करोड़ के प्रस्ताव लंबित हैं। जबकि इन्हें मंजूर करने प्रमुख सचिव आधा दर्जन स्मरण पत्र लिख चुके हैं। योजना अन्तर्गत 561.03 किलोमीटर सड़क निर्माण कराए जाने के लिए राशि मांगी जा रही है।
    467 करोड़ के प्रस्तावों को मंजूरी मिलने का इंतजार
    107 करोड़ लागत का सीहोर जिले में बकतारा, सियागेहन, सागपुर, रिछोड़ा, क्वाड़ा, सतरामऊ, बोदरा, गडिय़ा, नीमटोन और डूंगरिया रोड के  उन्नयन कार्य। सागर जिले में शाहपुर दरारिया, चनौआ जामघाट पाटई संगी, ज्वाप मार्ग लागत 126.50 करोड़। सागर लोक निर्माण मंत्री- गोपाल भार्गव का गृह जिला है। भोपाल जिले में बैरागढ़-भोपाल मार्ग पर एलीवेटेड कॉरीडोर निर्माण के लिए 234 करोड़ का प्रस्ताव मंजूर नहीं हुआ है। मुलताई विधायक सुखदेव पांसे का कहना है कि केन्द्रीय सड़क निधि योजना में प्रपोजल शामिल नहीं किया गया है। पिछले डेढ़ साल से सड़क विकास के मामले में बैतूल और मप्र की लगातार उपेक्षा की जा रही है। मेरे द्वारा मांगी गई सड़क सीआरआईएफ योजना में शामिल किया जाना था।

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