वाणिज्यिक कर विभाग के 15 कर्मचारी सालों से लापता, विभाग भी असहाय

वाणिज्यिक कर विभाग

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/ बिच्छू डॉट कॉम। आम आदमी को लापता होते तो सभी ने सुना है , लेकिन मध्यप्रदेश में ऐसे कई विभाग भी हैं जिसके, अफसरों से लेकर कर्मचारी तक सालों से गायब बने हुए हैं, लेकिन न तो विभाग उनकी तलाश कर पाता है और न ही उन पर कोई ठोस कार्रवाई करने की हिम्मत दिखा पता है। इसका फायदा उठाते हुए कर्मचारी लापता हो जाते हैं।
ऐसा ही हो रहा है प्रदेश के वाणिज्यिक कर विभाग में। इस विभाग के 15 अधिकारी और कर्मचारी सालों से लापता हैं, लेकिन विभाग है कि उन्हें सालों से ढूंढ ही नहीं पा रहा है। यह सभी लोग बगैर किसी सूचना के गायब बने हुए हैं। हद तो यह है कि विभाग के पास उनकी तलाशी के लिए  सही पते ठिकाने तक की जानकारी नही है।  इन सभी के अचानक लापता होना अब तक रहस्य ही बना हुआ है। विभाग द्वारा इनके मौजूदा पत्तों पर उनकी उपसिथति तय करने के लिए सूचनाएं चस्पा भी कराईं गईं, लेकिन उनमें से किसी ने भी लौटने की जहमत तक नहीं उठाई। इसके बाद उनको दिए जाने वाले वेतन-भत्तों तक को भी रोक दिया गया है, फिर भी वे लौट नहीं रहे हैं। हद तो यह है कि विभाग का एक भृत्य बीते 17 सालों से नौकरी से नदारद बना हुआ है। खास बात यह है कि यह सभी लापता कर्मचारी आबकारी और पंजीयन विभाग में रेगुलर नौकरी पर पदस्थ हैं।
यह लापता कर्मचारी और अधिकारी विभाग में उप पंजीयक, आबकारी आरक्षक, लिपिक, भृत्य और सहायक ग्रेड-1, 2, 3 के पदों पर नौकरी करते हैं। इसमें सबसे अहम बात यह है कि विभाग व सरकार अब तक उन्हें नौकरी से बर्खास्त नहीं किया है। इस मामले में विभाग का तर्क है कि उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है। सरकार का रवैया भी उनके प्रति उदारता का बना हुआ  है।  उल्लेखनीय है कि यह मामला भाजपा विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया विधानसभा में भी उठा चुके हैं। विभाग का कहना है कि इन सभी लापता कर्मचारियों के घरों पर कई बार सूचनाएं और नोटिस आदि भेजे गए लेकिन वे तामील ही नहीं हो पा रहे हैं।
विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि 15 में से कुछ लोग अनुकंपा नियुक्ति के तहत भर्ती हुए हैं। एक भृत्य 17 साल (2005) से गायब है, बाकी कर्मचारी 11, 7, 4, 2 और एक साल से ड्यूटी पर ही नहीं आ रहे हैं। बेहद अहम बात तो यह है कि विभाग द्वारा भी इन कर्मचारियों के लंबे समय ये लापता होने की जानकारी तक नहीं भेजी गई है, जिसकी वजह से  स्टाफ क्राइसिस के दौर में ये सभी पद न तो रिक्त हो पा रहे हैं और न ही भरे हुए स्थिति में हैं। अब तो हालात यह हैं कि विभाग को यह भी नहीं पता कि ये लोग जीवित हैं या नहीं। इसकी वजह है उनके निकट संबंधी भी विभाग के सामने उपस्थित नहीं हुए और न ही परिवार की ओर से किसी तरह की कोई सूचना ही दी गई है।
यह है लापता अधिकारी-कर्मचारी
अमित जैन उपपंजीयक 2015, लखपति नंदेश्वर लिपिक 2019, अशोक माली एवं अभिषेक दीक्षित सहायक ग्रेड- 12021, संतोष कलाना सहायक ग्रेड-3 एवं इरशाद अहमद भृत्य 2018 से, महेंद्र सिंह ठाकुर भृत्य 2018, शरद गवले 2019, रीना भिड़े आबकारी आरक्षक 2021, गनपत प्रसाद भृत्य 2011, रामकुमार धुर्वे सहायक अमित गुप्ता सहायक 2015 एवं सुखेंद्र पटेल भृत्य 2005 से ड्यूटी पर नहीं आ रहे हैं।

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