
- टाइगर स्टेट मप्र में 1000 से अधिक बाघ
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। वन विभाग बाघों की गणना के लिए तैयारी शुरू कर चुका है, या यूं कहें कि काउंटडाउन शुरू हो गया है। इसके लिए तैयारी भी तेज कर दी गई है। वन विभाग साल 2026 में बाघों की गणना करेगा। बाघों की गणना के लिए कर्मचारियों ट्रेनिंग दी जा रही है। बाघों की गणना के लिए ट्रेनिंग का आयोजन पेंच टाइगर रिजर्व में किया गया। यह 3 दिवसीय ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर्स की कार्यशाला थी। इस ट्रेनिंग में मध्य भारत और पूर्वी घाट टाइगर लैंडस्केप से 5 राज्यों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड के चयनित 150 अधिकारियों और कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। इसमें 22 टाइगर रिजर्व से प्रतिभागियों को डिजिटल निगरानी, लाइन ट्रांसेक्ट, वन्य प्राणी आवास, सर्वेक्षण, कैमरा ट्रैपिंग, एम स्ट्राइप एप और जीपीएस डिवाइस के उपयोग की ट्रेनिंग दी गई। उमरिया के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से 4 अधिकारी और कर्मचारियों को प्रशिक्षण के लिए भेजा गया। जिसमें क्षेत्र संचालक डॉक्टर अनुपम सहाय, उप संचालक विवेक सिंह, परिक्षेत्र अधिकारी कल्लवाह महावीर पांडे और वनरक्षक कमलेश नंदा शामिल थे। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में इस बार 1000 से अधिक बाघ हैं।
टाइगर स्टेट मप्र अब 6वीं बार बाघों की गिनती के लिए तैयार है। उसके पहले विशेषज्ञों का अनुमान है कि प्रदेश में 1000 से अधिक बाघ है। यदि अनुमान सही साबित होता है तो मप्र टाइगर स्टेट का दर्जा बचाने में सफल होगा और कर्नाटक जैसे राज्यों को और मेहनत करनी पड़ सकती है। अभी प्रदेश में 785 बाघ है, यह संया वर्ष 2022 में हुए अखिल भारतीय बाघ आकलन रिपोर्ट में सामने आई थी। अब यह आकलन वर्ष 2026 में होना है। बाघों का आकलन करने से पहले देशभर में इसकी तैयारी की जा रही है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण इसका नेतृत्व कर रहा है। उसी के नेतृत्व में वन्यजीव संस्थान देहरादून में बीते महीने राष्ट्रीय स्तर की बैठक हो चुकी है। इसके बाद मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व में कार्यशाला हुई है। जिसमें पांच राज्यों के विशेषज्ञ जुटे थे। इनके बीच बाघों के आकलन से जुडी तैयारियों को लेकर बिंदुवार चर्चा हुई और तैयारियों में की जाने वाली सुधारात्मक प्रक्रिया पर बातचीत हुई।