
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना के चलते प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण जांच एजेंसी का कामकाज भी बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। इसकी वजह से अब इसके पास लंबित विभिन्न मामलों की जांच भी प्रभावित हो रही है। इसमें उद्यानिकी विभाग का घोटाला भी शामिल है। यह मामला सरकार की योजना में किसानों को बजट देकर 15 दिन में वितरण और फसल लगाने से संबंधित है। फिलहाल यह मामला कोरोना की वजह से ठंडे बस्ते में डाल दिया गा है।
यही हाल अन्य मामलों का भी है। उद्यानिकी विभाग के अफसरों ने केंद्रीय अनुदान वाली एमआईडीएच योजना में 17 करोड़ की वित्तीय बजट मिलने के बाद भी 50 करोड़ रुपए के वर्क आर्डर जारी करते हुए महज 15 दिन में किसानों के रजिस्ट्रेशन से लेकर उपकरण वितरण और भुगतान की प्रक्रिया तक शुरू कर दी गई जबकि नियमानुसार किसानों को भुगतान के पहले खेत में फसल के साथ फोटो के साथ सत्यापन किया जाना जरूरी है। इस मामले में प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक शिकायत होने के बाद मामले की जांच शुरू की गई है।
एक अरब का यंत्रीकरण घोटाला
उद्यानिकी विभाग में 100 करोड़ की यंत्रीकरण योजना में हुए घोटाले का मुख्य आरोपी तथा तीन फर्जी कंपनियों का कर्ताधर्ता अप्रवासी भारतीय (एनआरआई) जिग्नेश पटेल उर्फ नकुल भाई पटेल के मामले में अब ईओडल्यू उज्जैन इकाई ने मामला जांच में लिया हुआ है। इस मामले में अब तक उद्यानिकी विभाग से मिली जानकारी के आधार पर बड़ा घोटाला सामने आ चुका है। इसमें पता चला है कि कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से किसानों की अनुदान की राशि तीन शासन द्वारा अप्रमाणित कंपनियों के बैंक खातों में डाल दी गई। इनमें किसान एग्रो लिमिटेड, जेएम इंटरप्राइजेज और गणेश ट्रेडिंग शामिल हैं। इनमें जेएम इंटरप्राइजेज को छत्तीसगढ़ में ब्लैक लिस्टेड है। खास बात यह है कि तीनों कंपनियों का रजिस्ट्रार आॅफ कंपनीज या फर्म्स एवं सोसायटी में पंजीयन भी नहीं है। इस तरह ये तीनों ही कंपनियां फर्जी हैं। कंपनियों के रिकॉर्ड की जांच में तीनों कंपनियों का कर्ताधर्ता गुजरात का आणंद निवासी जिग्नेश पटेल पाया गया है। दस्तावेजों में जिग्नेश पटेल के आणंद के पते पर लोकायुत पुलिस ने नोटिस भेजा। साथ ही उसके मोबाइल फोन की कॉल डिटेल निकलवाई तो मामला चौंकाने वाला निकला। दरअसल कंपनियों के जिस पते के नाम से वह फर्जीवाड़ा कर रहा था, वह जिग्नेश पटेल नहीं बल्कि नकुल भाई पटेल का है। नकुल भाई पटेल एनआरआई है और उसने विदेश से आकर यहां अफसरों से मिलकर इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया।