
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। भाजपा के बाद अब कांग्रेस भी आमसभाओं के माध्यम से पार्टी के पक्ष में अभी से माहौल बनाने की रणनीति पर अमल करने जा रही है। इसकी शुरुआत कांग्रेस की ओर से प्रदेश के उस महानगर जबलपुर से की जा रही है, जिसे संस्कारधानी कहा जाता है। अगले माह 12 जून को प्रियंका गांधी वाड्रा की जबलपुर में आमसभा का आयोजन प्रस्तावित है। इस सभा में कांग्रेस ने एक लाख लोगों को शामिल कराने की योजना बनाई है। पार्टी ने जबलपुर में प्रियंका गांधी की सभा के बहाने महाकौशल और विंध्य अंचल को साधने की योजना बनाई है। यह वे दो अंचल हैं, जहां पर विधानसभा चुनाव में अगर कांग्रेस को अच्छी सफलता मिलती है तो फिर सत्ता में वापसी की राह खुल जाएगी। दरअसल विंध्य अंचल में कांग्रेस को बीते चुनाव में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। अगर विंध्य में कांग्रेस 2013 के परिणामों को भी दोहरा लेती तो आज भी कांग्रेस की सरकार होती। यही वजह है कि इस बार कांग्रेस अभी से खास फोकस उन इलाकों पर कर रही हैं , जहां से पिछली बार उसे अच्छे नतीजे देखने को नहीं मिले थे। कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो पार्टी द्वारा कराए गए हालिया सर्वे में मौजूदा सरकार से यहां के लोगों की नाराजगी है। ऐसे में विंध्य और महाकौशल से कांग्रेस के प्रति अच्छे रुझान आते हैं तो इसका सीधा असर पूरे प्रदेश पर पड़ेगा। इन दोनों अंचलों में प्रदेश की 230 विस सीटों में से 68 सीटें हैं। इनमें से कांग्रेस के पास कुल 30 सीटें हैं। इनमें भी 24 सीटों का आंकड़ा महाकौशल अंचल का है। विंध्य अंचल में तो पार्टी का कितना खराब प्रदर्शन रहा था ,इससे ही समझा जा सकता है कि अंचल की तीस में से कांग्रेस को महज छह सीटें ही मिली थीं। उधर, इन दोनों ही अंचलों पर भाजपा भी पूरी ताकत लगा रही है। भाजपा जहां विंध्य में बीते चुनाव के परिणाम दोहरानी चाहती है तो वहीं वह अपने गढ़ महाकौशल अंचल में एक बार फिर से 2013 के चुनाव परिणाम की अपेक्षा कर रही है। विंध्य अंचल में बीते चुनाव में कांग्रेस को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। इस अंचल की तीस सीटों में से कांग्रेस को महज छह सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था। यही नहीं अंचल के दोनों बड़े नेता अजय सिंह व राजेन्द्र सिंह तक को हारना पड़ा था। इसकी वजह से कांग्रेस को महज छह यानि की बीस फीसदी सीटों पर ही जीत से संतोष करना पड़ा था। एक समय ऐसा था जबकि कांग्रेस में इस अंचल से कई बड़े नेता आते थे , जिनका भोपाल तक में अपना प्रभाव था। लेकिन अब पार्टी में अजय सिंह को छोड़ दिया जाए तो अब भोपाल में उस क्षेत्र से आने वाला कोई मजबूत नेता नहीं बचा है, जिसकी सुनी जाए। एक समय विंध्य के नेताओं का कब्जा भोपाल पर होता था।
महाकौशल अंचल पर एक नजर
माना जा रहा है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में महाकौशल की 38 सीटों पर सत्ता का दारोमदार । महाकौशल से 2018 में बीजेपी को मात्र 13 सीटों पर संतोष करना पड़ा था, जबकि कांग्रेस के खाते में 24 सीट गई। एक सीट कांग्रेसी विचारधारा के उम्मीदवार ने निर्दलीय चुनाव लडक़र जीती थी। कांग्रेस के लिए प्रदर्शन 2013 चुनाव के मुकाबले डबल खुशी देने वाला था। 2013 के आंकड़े देखने पर स्पष्ट है कि बीजेपी को 24 और कांग्रेस को 13 सीट मिली । एक सीट पर निर्दलीय ने जीत का परचम लहराया था। कांग्रेस इस अंचल में बीते चुनाव परिणाम को कायम रखने की कवायद कर रही है। इसके लिए कांग्रेस का फोकस बीजेपी से नाराज मतदाता पर भी है। इसी वजह से कांग्रेस ने आदिवासी नेताओं को सक्रिय किया है।