ग्वालियर, चंबल, अंचल में ‘भाई साहब’ का विकल्प तलाश रही कांग्रेस!

ज्योतिरादित्य सिंधिया
  • महल विरोधियों को बनाया जाएगा दमदार …

    भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। 
    ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने बाद से कांग्रेस को एक ऐसे नेता की तलाश है जो उनका विकल्प बन सके। इसके लिए पार्टी ने भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन(एनएसयूआई)की कसौटी पर युवा नेताओं को कसने की मंशा बनाई है। सूत्रों के अनुसार, प्रदेश कांग्रेस की कोशिश है कि एनएसयूआई अध्यक्ष सहित संगठन में ज्योतिरादित्य विरोधियों को दमदार बनाया जाए। इसके लिए वैसे युवाओं की खोज शुरू हो गई है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ से लेकर कांग्रेस के सभी दिग्गज नेता अपने-अपने स्तर पर ऐसे युवा नेताओं की खोज कर रहे हैं जो सिंधिया का विकल्प बन सके। साथ ही ये नेता अपनी गोटियां बैठाने में जुटे हैं। जानकारी के अनुसार संगठन का राष्ट्रीय नेतृत्व इंटरव्यू के जरिए नया अध्यक्ष चुनना चाह रहा है। पार्टी हाईकमान भी संगठनात्मक चुनाव के माध्यम से भाराछासं की नई टीम बनाने का पक्षधर है। हाईकमान की मंशा पर काम करते हुए दावेदारों के इंटरव्यू भी पिछले महीने दिल्ली में हो चुके हैं, जिसमें करीब एक दर्जन छात्र नेता अपनी दावेदारी जताते हुए थे।
    इंटरव्यू के बाद सभी छात्रनेता रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं। मगर सूत्रों की मानें तो छात्र नेताओं के हाथ में केवल इंतजार ही बचा है, क्योंकि भले ही एनएसयूआई एक छात्र संगठन है और इसे छात्रों तक ही सीमित माना जाता है। मगर अब इसके नए प्रदेशाध्यक्ष के लिए पार्टी के बड़े नेताओं के बीच बिसात बिछ गई है।
    अपने-अपने समीकरण बैठाए जा रहे
    सिंधिया के विकल्प की तलाश में भोपाल से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस के बड़े चेहरे न केवल दौड़-भाग कर रहे हैं, बल्कि अपने समीकरणों पर नया अध्यक्ष चाहते हैं। सूत्रों की मानें तो इस पद के लिए कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के साथ ही अन्य दिग्गज भी अपने चेहरे आगे कर रहे हैं। प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ तो दिल्ली तक अपनी राय जता चुके हैं कि अगला अध्यक्ष ग्वालियर-चंबल अंचल से ही बनाया जाना चाहिए। उनकी मंशा के अनुरूप जमावट के लिए पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने जिम्मेदारी संभाल रखी है। ग्वालियर-चंबल से नया चेहरा ढूंढने का काम भी वर्मा ही कर रहे हैं। भाराछासं का नया अध्यक्ष जहां सिंधिया की कसौटी पर कसा जा रहा है, वहीं महिला कांग्रेस की नई अध्यक्ष भी आड़े आ गई हैं। सूत्रों के मुताबिक भोपाल जिलाध्यक्ष आशुतोष चौकसे इस पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। मगर अर्चना जायसवाल को महिला कांग्रेस की दोबारा कमान मिलने से आशुतोष की दावेदारी पिछड़ गई है। इसकी वजह है दोनों का एक समाज व जाति का होना। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए लॉबिंग कर रहे अरुण यादव के लिए भी ओबीसी से आने वाली अर्चना रुकावट बन सकती हैं।
    ग्वालियर-चंबल को महत्व
    एनएसयूआई के नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए ग्वालियर-चंबल अंचल को महत्व दिया जा रहा है। संगठन में अचानक बढ़ी ग्वालियर-चंबल की डिमांड को देखते हुए यहां से करीब आधा दर्जन छात्र नेता सक्रिय हो गए हैं। इनमें ग्वालियर के सचिन द्विवेदी कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष की पहली पसंद बताए जा रहे हैं तो ग्वालियर के पुष्पेंद्र तोमर और शिवलाल यादव भी इस पद की दौड़ में शामिल हो गए हैं। मुरैना के आकाश शर्मा भी इंटरव्यू देने के बाद से अपनी ताजपोशी के इंतजार में हैं। इनके अलावा आशुतोष चौकसे भोपाल, अंशु मिश्रा कटनी, प्रीतेश शर्मा उज्जैन, मंजुल शर्मा रीवा भी इंटरव्यू देकर आए हैं। प्रक्रिया आरंभ होने तक आशुतोष चौकसे का नाम दौड़ में सबसे आगे माने जा रहे थे। मगर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष द्वारा भाई साहब की कसौटी लगने के बाद आशुतोष सहित ग्वालियर-चंबल के बाहर के सारे छात्र नेता निराश होकर बैठ गए हैं।
    कांग्रेस को सीधी टक्कर भाई साहब और उनके समर्थकों से
    असल में भाई साहब के भाजपा में जाने से ग्वालियर- चंबल अंचल में कांग्रेस का एक कोना बिल्कुल खाली हो गया है। भाई साहब के प्रभाव क्षेत्र के अधिकांश बड़े नेता भी भाजपा का दामन थाम चुके हैं। ऐसे में अब आने वाले चुनावों में कांग्रेस को सीधी टक्कर भाई साहब और उनके समर्थकों से ही मिलना है। इसके चलते पीसीसी चीफ कमलनाथ उस पूरे अंचल में ऐसे कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी करना चाहते हैं, जो खुलकर भाई साहब का विरोध कर सकें। छात्र संगठन होने के नाते भाराछासं से जुड़े चेहरे यह काम बखूबी कर सकते हैं। इसीलिए नाथ भाराछासं का नया नेता इसी अंचल से तलाश रहे हैं। वहीं पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने बदले हुए समीकरणों को देखते हुए अपने समर्थकों का नाम सीधे-सीधे बढ़ाने से मना कर दिया है। अब उनके समर्थक भी अपनी दावेदारी के लिए नाथ के दरबार  में हाजिरी देने को मजबूर हैं।

Related Articles