अधिक खर्च दिखाकर कंपनियां बढ़वाना चाहती हैं बिजली दरें

बिजली

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। देश में सबसे अधिक बिजली उत्पादन करने के दावे के बावजुद मप्र में उपभोक्ताओं को महंगी बिजली की मार झेलनी पड़ रही है। उसके बावजुद भी बिजली कंपनियां घाटे का रोना रोती रहती हैं। हर बार घाटा दिखाकर बिजली की दरें बढ़वा ली जाती हैं। जिससे उपभोक्ताओं पर लगातार बोझ बढ़ रहा है। एक बार फिर मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी सहित प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों ने वर्ष 2023-24 के लिए 3.20 प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव दिया है। इसके पीछे कंपनियों का तर्क है कि 1,537 करोड़ रुपए का घाटा होने के कारण बिजली दरें बढ़ाने की मांग मप्र विद्युत नियामक आयोग से की है। जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनियों को 5,121 करोड़ रुपए का लाभ हो रहा है।
बिजली कंपनी बिजली के दाम बढ़ाने का प्लान कर रही हैं। मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी सहित तीनों विद्युत वितरण कंपनियों ने मप्र विद्युत नियामक आयोग में एक याचिका दायर की है। इस याचिका के जरिए बिजली कंपनियों ने मप्र में बिजली के दाम 3.4 फीसदी बढ़ाने की मांग की है। याचिका में कहा गया है मप्र विद्युत वितरण कंपनियों को साल 2023-24 में बिजली कंपनियों को 49 हजार 500 करोड़ रुपए के राजस्व की जरूरत है। इसमें कुल आय और व्यय के लिए 1,537 करोड़ों रुपए की और जरूरत पड़ेगी यानी बिजली कंपनियों को आने वाले साल में 1,537 करोड़ का घाटा लगेगा।
कंपनियों को 42,871 करोड़ के राजस्व  की आवश्यकता
 बिजली विशेषज्ञों की माने तो टैरिफ पिटीशन में दिए आंकड़ों के हिसाब से बिजली दर 10 प्रतिशत कम की जाना चाहिए। मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी के पूर्व अतिरिक्त मुख्य अभियंता राजेंद्र अग्रवाल बताते हैं कि टैरिफ पिटीशन में कंपनियों ने 1,537 करोड़ रुपए का घाटा बताते हुए इसकी भरपाई के लिए बिजली दर 3.20 प्रतिशत बढ़ाने की अनुमति मप्र विद्युत नियामक आयोग से की है। याचिका के मुताबिक, विद्युत कंपनियों को 49,530 करोड़ रुपए के सालाना राजस्व की जरूरत है, जबकि बिजली बेचने से उसे 47,992 करोड़ रूपए मिलेंगे। इस तरह उसे 1537 करोड़ रुपए का घाटा हो रहा है। अग्रवाल ने पिटीशन के विभिन्न आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि वास्तव में कंपनियों को राजस्व 42,871 करोड़ रुपए की आवश्यकता रहेगी। उनका दावा हैं कि बिजली कंपनियों ने बिजली खरीदी, बिजली हानि सहित अन्य खर्चे बढ़ा-चढ़ाकर बताए हैं।
आयोग को आपत्ति भेजी गई
पूर्व अतिरिक्त मुख्य अभियंता राजेंद्र अग्रवाल इस संबंध में मप्र विद्युत नियामक आयोग को आपत्ति भी भेजी है। उन्होंने आयोग से व्यक्तिगत स्तर पर सुनवाई में अपना पक्ष रखने की मांग की है ताकि 10 प्रतिशत बिजली की दर कम करने के आंकड़ों को मजबूती से पेश कर सके। अग्रवाल का कहना है कि आयोग द्वारा सत्यापन याचिका 20-21 में जिन बिंदुओं पर राशि की मांग को खारिज किया जा चुका है, उन्हीं बिंदुओं पर फिर से 21-22 की सत्यापन याचिका में राशि की मांग की गई है।

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