जंगल महकमे में प्रभार का खेल

जंगल महकमे
  • मंत्री ने नोटशीट लिख पूछा क्या है नियम…?

भोपाल/गणेश पाण्डेय/बिच्छू डॉट कॉम। जल संसाधन, लोक निर्माण और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग की तरह जंगल महकमे में भी प्रभार का खेल शुरू हो गया है। वन विभाग के आला अफसरों द्वारा अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी के आधार पर अपने चहेतों को दो-दो प्राइम पदों का प्रभार दिए जाने का खेल खूब चल रहा है। दिलचस्प पहलू यह है कि प्रभार के खेल में मंत्री को विश्वास में नहीं लिया जा रहा है। यही वजह रही कि विभागीय मंत्री नागर सिंह चौहान ने एक नोटशीट लिखकर विभाग से जानना चाहा कि प्रभार के नियम क्या है और दूसरे राज्यों में क्या व्यवस्था है..? हालांकि उनकी यह नोटशीट महीने भर से अधिक समय से प्रशासन-एक शाखा में धूल खा रही है। वन विभाग में सर्किल प्रमुख, वन संरक्षक सामाजिक वानिकी, डीएफओ और एसडीओ के पद लंबे समय से रिक्त पड़े हैं। इन पदों को नियमित रूप से भरने के लिए अपर मुख्य सचिव से लेकर वन बल प्रमुख प्रमुखता से पहल नहीं कर रहें है। इसके बदले वे अपने चहेते अफसरों को एक से अधिक पदों का प्राइम प्रभार देकर उन्हें उपकृत कर रहें हैं। यही नहीं, उन्हें बाकायदा विकास और कैम्पा मद से अधिक फंडिंग भी दे रहें है। वन मंत्री नागर सिंह चौहान को प्रभार के खेल का फंडा उनके विश्वसनीय अधिकारी ने समझाया। यही नहीं, इसके लिए वन मंत्री चौहान के थिंक टैंक अफसर ने नोट शीट लिखकर विभाग के मुखिया से प्रभार देने के नियम और दूसरे राज्यों में व्यवस्था की जानकारी मांगी है। हालांकि उनकी नोटशीट को लेकर विभाग के अफसर गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। यही वजह है कि एक महीने से उनकी नोटशीट धूल खा रही है। मुख्यालय में एपीसीसीएफ ग्रीन इंडिया मिशन से लेकर एपीसीसीएफ सामाजिक वानिकी जैसी महत्वपूर्ण शाखाएं प्रभार पर संचालित की जा रही है। इसके अलावा टीकमगढ़, दक्षिण सिवनी, अनूपपुर और दतिया बरमंडल प्रभाव में संचालित हो रहे हैं। एफडी बांधव टाइगर रिजर्व, बैतूल सर्किल, सामाजिक वानिकी रीवा और सामाजिक वानिकी सागर सर्किल, बालाघाट और खंडवा उत्पादन वन मंडल भी प्रभार में संचालित हो रहे हैं।
मैहर के रेंजर को रीवा में दो-दो एसडीओ का प्रभार
प्रभार के खेल का ताजा उदाहरण रीवा सर्किल का है। मुख्य वन संरक्षक रीवा राजेश राय ने 70 किलोमीटर दूर मैहर में पदस्थ प्रभारी एसडीओ और रेंजर यशपाल मेहरा को रीवा एसडीओ का प्रभार सौंपा है। राय यही नहीं रुके बल्कि मेहरा पर और उदारता बढ़ाते हुए उन्हें एसडीओ मऊगंज का भी प्रभार दे दिया है। जबकि रीवा में दो-दो वरिष्ठ  एसडीओ कार्यरत है। रीवा में पदस्थ दोनों एसडीओ पर राय ने विश्वास नहीं जताया। सवाल यह उठता है कि 70 किलोमीटर दूर मैहर में पदस्थ प्रभारी एसडीओ मेहरा रीवा और मऊगंज का प्रभार की जिम्मेदारी कैसे संभालेंगे..? सवाल यह भी उठ रहा है कि प्रभारी एसडीओ राजसात की कार्रवाई करने में सक्षम नहीं है तो फिर यह करवाई कौन करेगा..? रेंजर मेहरा मैहर एसडीओ प्रभार के रूप में काम कर रहे हैं और उन्हें दो और प्रभारी एसडीओ का दायित्व सौंपने के पहले वन बल प्रमुख को विश्वास में नहीं लिया गया। यही वजह है कि प्रभार के आदेश की प्रतिलिपि वन बल प्रमुख को नहीं सौंपी। इसी प्रकार अनूपपुर वन मंडल में तो एक डिप्टी रेंजर को तीन-तीन रेंज के प्रभार दिए गए हैं। चर्चा है कि जंगल महकमे में ऊंचे पदों के प्रभार लेने के लिए पॉवर के साथ-साथ पैसे भी खर्च करने पड़ते हैं। इसी के दम पर वन विभाग में कई बड़े पद प्रभार में चल रहे है। मंडला, सहित आधा दर्जन से अधिक वन मण्डलों में प्रभार के खेल खूब फूल-फल रहा है।

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